हिंदू धर्म की आर्थिक शक्ति: त्योहारों ने 2025 में भारत की विकास दर को दी नई रफ़्तार

महाकुंभ से लेकर दीपावली तक — हिंदू त्योहारों ने 2025 में तीन लाख करोड़ से अधिक का व्यापार और लाखों नौकरियों के अवसर पैदा किए।

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  • महाकुंभ 2025 ने 3 लाख करोड़ रुपये की आर्थिक गतिविधि उत्पन्न कर 60 लाख लोगों को रोजगार दिया।
  • दीपावली 2025 के दौरान 6.05 लाख करोड़ रुपये की ऐतिहासिक बिक्री, ग्रामीण भारत की 28% भागीदारी के साथ।
  • छठ पूजा, नवरात्रि और दुर्गा पूजा ने क्षेत्रीय अर्थव्यवस्था और छोटे कारोबारियों को दिया बड़ा सहारा।
  • “वोकल फॉर लोकल” और “आत्मनिर्भर भारत” अभियानों को मिला वास्तविक प्रोत्साहन, त्योहार बने रोजगार और विकास के इंजन।

समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 6 नवंबर: साल 2025 में हिंदू त्योहारों ने भारत की अर्थव्यवस्था को नई दिशा दी। इन आयोजनों ने न केवल सांस्कृतिक एकता को मजबूत किया बल्कि व्यापार, सेवा, और रोजगार के अवसरों में रिकॉर्ड वृद्धि दर्ज की। देशभर में उपभोक्ता खर्च और स्थानीय उत्पादों की मांग में उल्लेखनीय उछाल देखा गया।

महाकुंभ 2025: अर्थव्यवस्था का सबसे बड़ा आयोजन

प्रयागराज में आयोजित महाकुंभ 2025 में 66 करोड़ श्रद्धालु पहुंचे। इस आयोजन से लगभग 3 लाख करोड़ रुपये की आर्थिक गतिविधि हुई और 60 लाख लोगों को रोजगार मिला। उत्तर प्रदेश सरकार को 54,000 करोड़ रुपये का राजस्व प्राप्त हुआ। 76 देशों के प्रतिनिधियों की उपस्थिति ने इसे वैश्विक पहचान दी।

दीपावली 2025: उपभोक्ता विश्वास का उत्सव

दीपावली पर देशभर में 6.05 लाख करोड़ रुपये का व्यापार हुआ, जिसमें वस्तुओं का 5.40 लाख करोड़ और सेवाओं का 65,000 करोड़ शामिल रहा। ग्रामीण और अर्ध-शहरी इलाकों से 28% व्यापार आया, जो देश की व्यापक आर्थिक भागीदारी को दर्शाता है।

छठ पूजा 2025: परंपरा से व्यापार तक

छठ पूजा से देशभर में 50,000 करोड़ रुपये का व्यापार हुआ। बिहार, झारखंड और दिल्ली में पारंपरिक वस्तुओं, दीपक, गन्ना, फल और पूजा सामग्री, की बिक्री ने छोटे व्यापारियों और किसानों की आय बढ़ाई।

धनतेरस 2025: ऊंचे दामों के बावजूद चमकता सोना

धनतेरस पर 1 लाख करोड़ रुपये का व्यापार दर्ज हुआ। सोने के दाम बढ़ने के बावजूद 60,000 करोड़ रुपये के बुलियन की बिक्री हुई। दिल्ली के बाज़ारों में अकेले 10,000 करोड़ रुपये की बिक्री हुई।

नवरात्रि और दुर्गा पूजा: क्षेत्रीय अर्थव्यवस्था की रीढ़

नवरात्रि में ऑटोमोबाइल, इलेक्ट्रॉनिक्स और फैशन सेक्टर में अभूतपूर्व बिक्री हुई। पश्चिम बंगाल में दुर्गा पूजा के दौरान 65,000 करोड़ रुपये का कारोबार हुआ, जिसमें कोलकाता का योगदान 70% रहा। कारीगरों और मूर्तिकारों को सीधा आर्थिक लाभ मिला।

होली, राखी, करवा चौथ और भाई दूज: स्वदेशी उत्पादों की बढ़ती मांग

होली 2025 में 60,000 करोड़ रुपये का व्यापार हुआ, जिसमें हर्बल रंग और घरेलू मिठाइयाँ लोकप्रिय रहीं। राखी पर 17,000 करोड़ रुपये का कारोबार हुआ, जहाँ पर्यावरण-अनुकूल राखियों की मांग बढ़ी। करवा चौथ और भाई दूज पर भी 50,000 करोड़ रुपये से अधिक का कुल व्यापार दर्ज किया गया।

त्योहारों ने न केवल व्यापार बढ़ाया बल्कि लॉजिस्टिक्स, ट्रांसपोर्ट, आतिथ्य, और कारीगरी क्षेत्रों में लाखों नौकरियां उत्पन्न कीं।
“वोकल फॉर लोकल” और “आत्मनिर्भर भारत” अभियानों को सीधा प्रोत्साहन मिला।

2025 में हिंदू त्योहार भारत की आर्थिक प्रगति के स्तंभ बनकर उभरे, जहाँ आस्था और अर्थव्यवस्था ने मिलकर विकास का नया अध्याय लिखा।

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