फेक न्यूज़ के ख़िलाफ़ शुरू हुआ देश का पहला डिजिटल पत्रकार प्रमाणन कार्यक्रम

इरास्मस डिजिटल मीडिया काउंसिल की ऐतिहासिक पहल, पत्रकारिता में सत्य, पारदर्शिता और जवाबदेही के नए युग की शुरुआत।

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  • भारत में शुरू हुआ पहला डिजिटल पत्रकार प्रमाणन कार्यक्रम
  • फेक न्यूज़ के खिलाफ राष्ट्रीय स्तर पर ऑडिट और सत्यापन प्रणाली
  • मीडिया में पारदर्शिता और जनभागीदारी को मिलेगा बढ़ावा
  • पत्रकारिता की स्वतंत्रता और जवाबदेही में संतुलन की दिशा में बड़ा कदम

समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली। 8 नवंबर: भारत ने डिजिटल पत्रकारिता के क्षेत्र में एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए देश का पहला व्यापक डिजिटल पत्रकार प्रमाणन कार्यक्रम (Digital Journalist Certification Programme) शुरू किया है। इस पहल का उद्देश्य फेक न्यूज़ और भ्रामक सूचनाओं पर लगाम लगाना और डिजिटल मीडिया की विश्वसनीयता को नई ऊँचाई पर पहुँचाना है।

यह कार्यक्रम इरास्मस डिजिटल मीडिया काउंसिल द्वारा शुरू किया गया है, जो डिजिटल युग में पत्रकारिता की गुणवत्ता, पारदर्शिता और नैतिकता को मजबूत करने की दिशा में काम कर रही है।

तीन चरणों में लागू होगा कार्यक्रम

इस कार्यक्रम को तीन प्रमुख चरणों में लागू किया जाएगा,

1. पहला चरण:
मूल्यांकन मानदंड, आवेदन प्रक्रिया और समिति संरचना तैयार की जाएगी, ताकि पत्रकारों और मीडिया संस्थानों के प्रमाणन के लिए स्पष्ट दिशानिर्देश तय हो सकें।

2. दूसरा चरण:
एक राष्ट्रीय ऑडिट और सत्यापन प्रणाली विकसित की जाएगी, जो प्रमाणित पत्रकारों के कार्यों की निरंतर समीक्षा करेगी।

3. तीसरा चरण:
देशभर में जागरूकता अभियान और प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाकर इस पहल को शहरी से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों तक पहुंचाया जाएगा।

फेक न्यूज़ पर लगेगी नकेल

फेक न्यूज़ और भ्रामक सूचनाओं का प्रसार हाल के वर्षों में लोकतांत्रिक विमर्श और जनमत पर गहरा असर डाल चुका है। कई बार झूठी खबरों ने समाज में अविश्वास और विभाजन की स्थिति पैदा की है।

इरास्मस काउंसिल का मानना है कि यह प्रमाणन केवल एक प्रशासनिक कदम नहीं, बल्कि एक “नैतिक क्रांति” है, जो पत्रकारिता में सत्य, निष्पक्षता और जिम्मेदारी जैसे मूल्यों को पुनर्जीवित करेगी।

इस पहल के ज़रिए आम नागरिक भी यह जान सकेंगे कि कौन से समाचार स्रोत विश्वसनीय हैं और किन पर भरोसा नहीं किया जा सकता।

नियंत्रण नहीं, सशक्तिकरण है उद्देश्य

काउंसिल के प्रवक्ता ने कहा,
> “हमारा उद्देश्य नियंत्रण नहीं, सशक्तिकरण है। पत्रकारिता की स्वतंत्रता और जवाबदेही के बीच संतुलन बनाना आज की सबसे बड़ी चुनौती है, और यही इस कार्यक्रम की आत्मा है।”

कार्यक्रम के तहत प्रमाणित मीडिया संस्थानों को नियमित समीक्षा, जन प्रतिक्रिया और पारदर्शी रिपोर्टिंग प्रक्रिया से जोड़ा जाएगा ताकि जनता सीधे तौर पर मीडिया की साख को आंक सके।

डिजिटल युग की नई परिभाषा

डिजिटल मीडिया आज भारतीय लोकतंत्र की धड़कन बन चुका है। सोशल मीडिया ने समाचारों को जन-जन तक पहुँचाने की ताकत दी है, लेकिन इसके साथ यह जिम्मेदारी भी बढ़ी है कि हर जानकारी सत्य और सटीक हो।

इरास्मस डिजिटल मीडिया काउंसिल की यह पहल न केवल पत्रकारों के लिए, बल्कि नागरिकों के लिए भी मीडिया साक्षरता और सत्यनिष्ठ पत्रकारिता की दिशा में बड़ा कदम है।

काउंसिल का संदेश

> “डिजिटल युग में पत्रकारिता का अर्थ केवल सूचना देना नहीं, बल्कि सत्य की रक्षा करना है।

निष्कर्ष
इरास्मस डिजिटल मीडिया काउंसिल का यह कार्यक्रम भारत को फेक न्यूज़ के खिलाफ सशक्त बनाएगा और विश्व स्तर पर डिजिटल पत्रकारिता की विश्वसनीयता का प्रतीक बनेगा।
यह पहल न केवल पत्रकारिता के पेशे को सम्मान और विश्वसनीयता दिलाएगी, बल्कि भारत में एक जिम्मेदार, नैतिक और सत्यनिष्ठ मीडिया युग की शुरुआत करेगी।

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