वंदे मातरम् से मां दुर्गा का उल्लेख हटाने पर BJP का कांग्रेस पर वार, नेहरू युग के फैसले पर उठे सवाल

BJP प्रवक्ता ने कहा— कांग्रेस ने 1937 में नेहरू की अध्यक्षता में वंदे मातरम् के मूल छंदों को बदला, जिनमें मां दुर्गा का वर्णन था।

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  • BJP ने कांग्रेस पर वंदे मातरम् के “हिंदू प्रतीकों” को हटाने का आरोप लगाया।
  • पार्टी ने 1937 के फैजपुर अधिवेशन और नेहरू के पत्रों का हवाला दिया।
  • केसवन ने कहा, नेहरू ने देवी से जुड़े छंदों को “अनुचित” बताया था।
  • इस बीच पीएम मोदी वंदे मातरम् के 150 वर्ष पूरे होने पर कार्यक्रम का करेंगे उद्घाटन।

समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 7 नवंबर: भारतीय जनता पार्टी ने कांग्रेस पर ऐतिहासिक आरोप लगाते हुए कहा है कि आज़ादी से पहले 1937 में पंडित जवाहरलाल नेहरू के नेतृत्व में वंदे मातरम् के उन छंदों को हटाया गया, जिनमें मां दुर्गा का उल्लेख था। पार्टी का दावा है कि कांग्रेस ने उस समय “धार्मिक कारणों” का हवाला देकर गीत को छोटा कर दिया था, जबकि यह गीत भारत की सांस्कृतिक एकता और राष्ट्रभावना का प्रतीक था।

भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता सी.आर. केसवन ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर लिखा,

> “हमारी युवा पीढ़ी को जानना चाहिए कि कैसे कांग्रेस ने 1937 के फैजपुर अधिवेशन में वंदे मातरम् का केवल एक छोटा रूप राष्ट्रीय गीत के रूप में स्वीकार किया। नेहरू ने उन छंदों को हटवा दिया जिनमें मां दुर्गा का बखान था।”

उन्होंने आगे कहा कि यह निर्णय उस समय मुस्लिम लीग को नाराज़ न करने के दबाव में लिया गया था। केसवन के अनुसार, कांग्रेस ने अंग्रेज़ों की धार्मिक राजनीति से प्रभावित होकर अपने ही राष्ट्रीय प्रतीकों के साथ अन्याय किया।

उन्होंने 1 सितंबर 1937 के नेहरू के एक पत्र का हवाला देते हुए कहा कि नेहरू ने वंदे मातरम् को देवी से जोड़ना “बेतुका” बताया था। उन्होंने लिखा कि नेताजी सुभाषचंद्र बोस ने उस समय वंदे मातरम् के पूर्ण रूप का दृढ़ता से समर्थन किया था और इसे राष्ट्र की आत्मा से जुड़ा गीत बताया था।

केसवन ने आगे कांग्रेस की वर्तमान नीतियों पर भी निशाना साधा। उन्होंने लिखा,

> “1937 में नेहरू ने मां दुर्गा का उल्लेख हटाया, और 2024 में राहुल गांधी ने कहा कि हम ‘शक्ति’ के खिलाफ लड़ रहे हैं,  यही कांग्रेस की मानसिकता है। धर्म, आस्था और राष्ट्रभक्ति से दूरी बनाना कांग्रेस की पुरानी परंपरा रही है।”

भाजपा नेताओं का कहना है कि कांग्रेस की यही विचारधारा समय-समय पर भारत की सांस्कृतिक अस्मिता पर प्रश्न उठाती रही है। पार्टी का दावा है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में अब वही राष्ट्रभावना फिर से सशक्त रूप में सामने आ रही है, जिसकी नींव वंदे मातरम् जैसे गीतों ने रखी थी।

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