- सुप्रीम कोर्ट ने आवारा कुत्तों के हमलों की बढ़ती घटनाओं पर गंभीर चिंता व्यक्त की, खासकर विदेशी नागरिकों पर हो रहे हमलों को लेकर।
- कोर्ट ने सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि इन घटनाओं से देश की छवि विदेशों में भी खराब हो रही है।
- अदालत ने पूर्व के आदेश (अगस्त 2025) का पालन न करने पर अधिकांश राज्यों के मुख्य सचिवों को तलब किया था।
समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 07 नवंबर: सुप्रीम कोर्ट ने देश भर में आवारा कुत्तों के बढ़ते आतंक और उनके काटने की लगातार हो रही घटनाओं पर कड़ा रुख अपनाया है। अदालत ने इस बात पर गहरी चिंता व्यक्त की है कि इस समस्या के कारण भारत की छवि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रभावित हो रही है। जस्टिस विक्रम नाथ, जस्टिस संदीप मेहता और जस्टिस एनवी अंजारिया की पीठ ने टिप्पणी करते हुए कहा कि अदालत के संज्ञान में यह बात भी लाई गई है कि भारत आने वाले विदेशी नागरिक भी इन आवारा कुत्तों के हमलों का शिकार हो रहे हैं।
पीठ ने इस बात पर नाराजगी जताई कि अधिकारी और राज्य सरकारें इस गंभीर समस्या को हल करने में विफल रही हैं, जबकि ये मुद्दे वर्षों से स्थानीय नगर निगमों और राज्य सरकारों के दायरे में आते हैं। जस्टिस विक्रम नाथ ने स्पष्ट रूप से कहा, “लगातार घटनाएं हो रही हैं और देश की छवि विदेशी देशों की नजरों में खराब हो रही है। हम भी समाचार रिपोर्ट पढ़ रहे हैं।” कोर्ट की यह टिप्पणी स्पष्ट रूप से यह संकेत देती है कि आवारा कुत्तों का मुद्दा अब केवल स्थानीय कानून-व्यवस्था का नहीं, बल्कि राष्ट्रीय प्रतिष्ठा का विषय बन गया है।
आदेश का अनुपालन न करने पर मुख्य सचिवों को फटकार
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के ढीले रवैये पर भी कड़ी नाराजगी व्यक्त की। कोर्ट ने अगस्त 2025 में आवारा कुत्तों को पकड़ने, उनकी नसबंदी (sterilization) करने और उन्हें छोड़ने संबंधी नियम (एनिमल बर्थ कंट्रोल – ABC नियम) का अनुपालन सुनिश्चित करने का आदेश दिया था।
हालांकि, सुनवाई के दौरान यह पाया गया कि दिल्ली, पश्चिम बंगाल और तेलंगाना को छोड़कर अधिकांश राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने इस आदेश का अनुपालन हलफनामा (Compliance Affidavit) दाखिल नहीं किया है। इस लापरवाही पर भड़कते हुए कोर्ट ने इन राज्यों के मुख्य सचिवों को व्यक्तिगत रूप से अदालत में पेश होने के लिए तलब किया था। जस्टिस नाथ ने सवाल किया, “आपके अधिकारी अखबार या सोशल मीडिया नहीं पढ़ते? एक बार जब उन्हें जानकारी हो जाए तो उन्हें आगे आना चाहिए।”
संस्थागत क्षेत्रों से कुत्तों को हटाने का आदेश
अपने सख्त रुख को जारी रखते हुए, सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में एक और महत्वपूर्ण निर्देश जारी किया है। अदालत ने अधिकारियों को निर्देश दिया है कि शैक्षणिक संस्थानों, अस्पतालों, सार्वजनिक खेल सुविधाओं और परिवहन केंद्रों (जैसे बस स्टेशन और रेलवे स्टेशन) जैसे संस्थागत क्षेत्रों से आवारा कुत्तों को हटाकर शेल्टर होम में स्थानांतरित किया जाए। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि इन स्थानों से पकड़े गए कुत्तों को टीकाकरण और नसबंदी के बाद वापस उसी जगह नहीं छोड़ा जाएगा।
इसके अलावा, कोर्ट ने भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) को भी निर्देश दिया है कि वे राजमार्गों और एक्सप्रेसवे से आवारा पशुओं (गायों और अन्य) को हटाकर उन्हें नामित आश्रय स्थलों में स्थानांतरित करें। सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए ये आदेश देश में आवारा कुत्तों के मुद्दे को एक व्यवस्थित और कठोर तरीके से नियंत्रित करने की दिशा में एक बड़ा कदम हैं, जिसका मुख्य उद्देश्य सार्वजनिक सुरक्षा और देश की छवि को सुरक्षित रखना है।