- बिहार विधानसभा चुनाव के पहले चरण में राज्य के इतिहास का सबसे अधिक 64.66% मतदान दर्ज किया गया, जिसने 2000 का रिकॉर्ड तोड़ा।
- आम आदमी पार्टी (AAP) ने इस रिकॉर्ड तोड़ वोटिंग पर सवाल उठाते हुए इसे ‘वोट चोरी’ का हिस्सा बताया है।
- AAP का दावा है कि BJP ने संगठित तरीके से अपने वोटरों को ट्रेन टिकट देकर दूसरे शहरों (जैसे हरियाणा के करनाल) से बिहार भेजा।
समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 07 नवंबर: बिहार विधानसभा चुनाव के पहले चरण में दर्ज किए गए रिकॉर्ड-तोड़ मतदान प्रतिशत (64.66%) ने जहां राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है, वहीं आम आदमी पार्टी (AAP) ने इस पर एक सनसनीखेज आरोप लगाकर पूरे मामले को एक नया मोड़ दे दिया है। जहां अधिकांश दल इस उच्च मतदान को अपनी-अपनी जीत या बदलाव की लहर के रूप में देख रहे हैं, वहीं AAP ने इसे भारतीय जनता पार्टी (BJP) की एक सुनियोजित रणनीति का हिस्सा बताया है। पार्टी ने दावा किया है कि इस ऐतिहासिक मतदान के पीछे भाजपा का ‘वोटर ट्रांसफर’ अभियान है।
नई दिल्ली में आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में, AAP के वरिष्ठ नेता और दिल्ली के संयोजक सौरभ भारद्वाज ने इस दावे को पुख्ता करने के लिए एक वीडियो भी साझा किया। इस वीडियो में कुछ लोगों को भाजपा का पटका पहने हुए दिखाया गया है, जो कथित तौर पर वोट डालने के लिए बिहार की यात्रा कर रहे हैं, और उन्होंने पुष्टि की कि उनके टिकटों की व्यवस्था भाजपा द्वारा की गई है।
‘वोट चोरी’ का संगठित तरीका
सौरभ भारद्वाज ने अपनी बात को विस्तार देते हुए कहा कि यह सब वोट चोरी का दूसरा हिस्सा है। उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा ने संगठित तरीके से उन वोटरों को चिन्हित किया, जिनके नाम SIR (चुनाव प्रणाली) में मौजूद थे और जिनकी वोट अन्य शहरों में नहीं काटी गई थी। इसके बाद, लाखों की तादाद में ऐसे वोटरों को चुनाव से ठीक पहले विभिन्न शहरों से ट्रेन टिकट और अन्य लॉजिस्टिक्स सुविधाएँ मुहैया कराकर बिहार भेजा गया।
भारद्वाज ने सीधे तौर पर भाजपा के करनाल जिला अध्यक्ष का उल्लेख किया और कहा कि वे खुद स्टेशन पर मौजूद थे, जिससे यह साबित होता है कि यह प्रयास पार्टी के शीर्ष संगठनात्मक स्तर पर किया गया था। AAP नेता ने ज़ोर देकर कहा, “इस तरीके से बिहार की वोटिंग 75 साल के सबसे ऐतिहासिक स्तर पर पहुंची। यह जनता का स्वतःस्फूर्त फैसला नहीं, बल्कि प्रबंधित मतदान (Managed Voting) है।”
ऐतिहासिक मतदान के आंकड़े
यह रिकॉर्ड-तोड़ मतदान का आरोप इसलिए भी महत्वपूर्ण हो जाता है क्योंकि चुनाव आयोग के आंकड़ों के अनुसार, बिहार विधानसभा के पहले चरण में 18 जिलों की 121 निर्वाचन क्षेत्रों में कुल 3.75 करोड़ से अधिक मतदाताओं में से 64.66 प्रतिशत ने मतदान किया। यह प्रतिशत राज्य के इतिहास में ‘अब तक का सबसे ज्यादा’ है। इससे पहले, बिहार में सबसे अधिक मतदान 2000 में 62.57 प्रतिशत दर्ज किया गया था। कोविड-19 महामारी के साये में हुए 2020 के पिछले विधानसभा चुनावों में मतदान प्रतिशत 57.29 रहा था। इस बार के बंपर मतदान ने सभी राजनीतिक पंडितों को हैरान कर दिया है, और AAP के आरोप ने इस पर एक नई बहस छेड़ दी है।
इस गंभीर आरोप पर भाजपा की ओर से भी प्रतिक्रिया आने की संभावना है, क्योंकि यह सीधे तौर पर चुनावी प्रक्रिया की पारदर्शिता पर सवाल खड़ा करता है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यदि AAP के ये दावे सत्य साबित होते हैं, तो यह न केवल बिहार चुनाव, बल्कि भारतीय चुनावी इतिहास में माइग्रेंट वोटर्स (Migrant Voters) के प्रबंधन का एक अभूतपूर्व मामला होगा।