पूनम शर्मा
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 का पहला चरण: 26.56% मतदान के साथ लोकतंत्र का उत्सव, 106 सीटों पर कांटे की टक्कर
बिहार की सियासत एक बार फिर गर्म है। 6 नवंबर 2025 को राज्य में पहले चरण के मतदान की प्रक्रिया संपन्न हुई, जिसमें सुबह से ही मतदाताओं में जबरदस्त उत्साह देखने को मिला। सुबह 11 बजे तक कुल 26.56% मतदान दर्ज किया गया। चुनाव आयोग के आंकड़ों के अनुसार, पहले चरण में बिहार की 106 विधानसभा सीटों पर वोट डाले जा रहे हैं।
इनमें राज्य के उत्तर-मध्य और दक्षिण-मध्य हिस्सों की वे सीटें शामिल हैं जो जातीय समीकरण, विकास के मुद्दे और स्थानीय प्रभावशाली चेहरों के कारण हर बार राजनीतिक समीकरण बदल देती हैं।
पहले चरण की सीटें — बिहार की सियासी धड़कन
पहले चरण के तहत बिहार की जिन 106 सीटों पर मतदान हो रहा है, उनमें शामिल हैं:
अगिआंव (एससी), आलमनगर, अलौली (एससी), अलीनगर, अमनौर, आरा, अस्थावां, औराई, बछवाड़ा, बहादुरपुर, बैकुंठपुर, बखरी (एससी), बख्तियारपुर, बनियापुर, बांकीपुर, बरौली, बरबीघा, बाढ़, ब्रहमपुर, बड़हरा, बड़हरिया, बरूराज, बेगूसराय, बेलदौर, बेनीपुर, भोरे (एससी), बिभूतिपुर, बिहारीगंज, बिहारशरीफ, बिक्रम, बोचहां (एससी), बक्सर, छपरा, चेरिया बरियारपुर, दानापुर, दरौली (एससी), दरौंदा, दरभंगा, दरभंगा ग्रामीण, दीघा, डुमरांव, एकमा, फतुहा, गायघाट, गरखा (एससी), गोपालगंज, गौरा बौरम, गोरियाकोठी, हाजीपुर, हरनौत, हसनपुर, हथुआ, हायाघाट, हिलसा, इस्लामपुर, जगदीशपुर, जाले, जमालपुर, कल्याणपुर (एससी), कांटी, केवटी, खगड़िया, कुचायकोट, कुम्हरार, कुढ़नी, कुशेश्वर स्थान (एससी), लखीसराय, लालगंज, मधेपुरा, महाराजगंज, महिषी, महुआ, मनेर, महनार, मांझी, मढ़ौरा, मसौढ़ी (एससी), मटिहानी, मीनापुर, मोहिउद्दीननगर, मोकामा, मोरवा, मुंगेर, मुजफ्फरपुर, नालंदा, पालीगंज, परबत्ता, पारू, परसा, पातेपुर (एससी), पटना साहिब, फुलवारी, राघोपुर, रघुनाथपुर, राजा पाकर (एससी), राजगीर (एससी), राजपुर (एससी), रोसड़ा (एससी), सहरसा, साहेबगंज, साहेबपुर कमाल, सकरा (एससी), समस्तीपुर, संदेश, सरायरंजन, शाहपुर, शेखपुरा, सिमरी बख्तियारपुर, सिंहेश्वर (एससी), सिवान, सोनबरसा (एससी), सोनपुर, सूर्यगढ़ा, तरैया, तारापुर, तरारी, तेघरा, उजियारपुर, वैशाली, वारिसनगर और जीरादेई।
इन सीटों का राजनीतिक महत्व इसलिए भी बढ़ जाता है क्योंकि इनमें से अधिकांश जगहों पर एनडीए और महागठबंधन के बीच सीधी टक्कर है।
मतदान प्रतिशत और क्षेत्रीय रुझान
सुबह 11 बजे तक बिहार में औसतन 26.56% मतदान दर्ज किया गया।
आरा में 26.62%
मुंगेर में भारी मतदान पूरा हो रहा है
बिहारशरीफ, दरभंगा, बेगूसराय, और बक्सर जैसे इलाकों में महिलाओं की बड़ी संख्या में भागीदारी देखी गई है।
ग्रामीण इलाकों में दोपहर बाद मतदान प्रतिशत तेजी से बढ़ने की संभावना है। विशेषज्ञों के अनुसार, मतदान प्रतिशत 55–58% तक पहुँच सकता है।
एनडीए बनाम महागठबंधन: जंग का असली रंग
इस बार चुनाव का मुख्य मुकाबला एनडीए (भाजपा-जदयू गठबंधन) और महागठबंधन (राजद-कांग्रेस-लेफ्ट) के बीच है।
एनडीए अपने विकास कार्यों — आवास योजना, उज्ज्वला, सड़क, बिजली और महिला सुरक्षा — को केंद्र में रखकर वोट मांग रहा है।
वहीं महागठबंधन बेरोजगारी, महंगाई और भ्रष्टाचार को बड़ा मुद्दा बना रहा है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सभाओं में उमड़ती भीड़ भाजपा के लिए सकारात्मक संकेत मानी जा रही है।
वहीं तेजस्वी यादव और राहुल गांधी अपने जनसंपर्क कार्यक्रमों से युवाओं और किसानों को जोड़ने की कोशिश कर रहे हैं।
महिलाएँ और गरीब तबके — निर्णायक मतदाता
नीतीश कुमार की योजनाओं ने महिलाओं को सशक्त किया है।
कन्या उत्थान योजना, साइकिल योजना और आरक्षण नीति ने महिला वोट बैंक को एनडीए की ओर झुकाया है।
दूसरी ओर, महागठबंधन का फोकस युवाओं और बेरोजगारों पर है, जिन्हें “रोजगार गारंटी” और “सरकारी नौकरियों की बहाली” जैसे वादों से आकर्षित किया जा रहा है।
महादलित और पिछड़े वर्गों में मोदी सरकार की योजनाओं का असर साफ देखा जा सकता है। जनधन योजना, शौचालय, राशन और आवास जैसी योजनाओं से यह तबका एनडीए से जुड़ा हुआ महसूस करता है।
जनसभाएँ और चुनावी माहौल
मुंगेर, गोपालगंज, दरभंगा और सिवान जैसे जिलों में भाजपा की रैलियों में बड़ी भीड़ दिखी थी । देवेंद्र फडणवीस की मोहित नगर की सभा में भारी जनसमूह देखने को मिला।
दूसरी ओर, राहुल गांधी के “मछुआरों के बीच” वाले वीडियो ने सियासी बहस को गर्म कर दिया, जिस पर भाजपा ने तीखी प्रतिक्रिया दी और इसे “छठ और धार्मिक भावनाओं का अपमान” करार दिया।
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि धार्मिक और सांस्कृतिक भावनाओं को लेकर इस बार का चुनाव और भी संवेदनशील हो गया है।
मतदान प्रतिशत से तय होगा परिणाम
विशेषज्ञों का मानना है कि:
यदि मतदान 55% से ऊपर गया, तो इसका लाभ महागठबंधन को मिल सकता है।
जबकि कम मतदान का लाभ एनडीए को मिलने की संभावना है, क्योंकि उसका वोट बैंक स्थिर और समर्पित माना जाता है।
पहले चरण की सीटों पर नतीजे यह तय करेंगे कि नीतीश कुमार और नरेंद्र मोदी की जोड़ी अपनी पकड़ बनाए रखती है या तेजस्वी-राहुल गठजोड़ कोई नया समीकरण बनाता है।
निष्कर्ष
बिहार का पहला चरण यह दिखा रहा है कि मतदाता अब सिर्फ नारों से नहीं, विकास और स्थिरता के आधार पर फैसला करना चाहता है।
जहाँ एनडीए अपने काम के दम पर भरोसा दिखा रहा है, वहीं महागठबंधन युवाओं के भविष्य और रोजगार के सवालों पर केंद्रित है।
26.56% मतदान का यह शुरुआती आंकड़ा आने वाले रुझानों की झलक दे रहा है — कांटे की टक्कर तय है, लेकिन जीत उस गठबंधन की होगी जो अंतिम बूथ तक संगठन और भावनाओं दोनों को साध सकेगा।