आरएसएस पर प्रतिबंध की मांग अनुचित, समाज ने संघ को स्वीकार किया है: दत्तात्रेय होसबले

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के बयान पर आरएसएस महासचिव की प्रतिक्रिया , संघ राष्ट्र की एकता और संस्कृति का प्रतीक संगठन है

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  • दत्तात्रेय होसबले ने कहा, आरएसएस राष्ट्र की एकता, संस्कृति और विकास के लिए कार्यरत संगठन है।
  • कांग्रेस प्रमुख खड़गे ने सरदार पटेल की जयंती पर संघ पर प्रतिबंध लगाने की बात दोहराई थी।
  • होसबले बोले, “संघ तीन बार प्रतिबंध झेल चुका, पर हर बार समाज ने उसका समर्थन किया।”
  • जनसंख्या असंतुलन, धार्मिक परिवर्तन और मादक पदार्थों की लत जैसे मुद्दों पर भी जताई चिंता।

समग्र समाचार सेवा
भोपाल | 04 नवम्बर: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के महासचिव दत्तात्रेय होसबले ने कहा कि संघ को देश ने एक राष्ट्रनिर्माणकारी संगठन के रूप में स्वीकार किया है। “कुछ राजनेताओं की व्यक्तिगत इच्छा मात्र से आरएसएस पर प्रतिबंध नहीं लगाया जा सकता,” उन्होंने शनिवार को जबलपुर में हुए तीन दिवसीय राष्ट्रीय कार्यकारिणी बैठक के समापन अवसर पर कहा।

होसबले यह प्रतिक्रिया कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के उस बयान पर दे रहे थे, जिसमें उन्होंने सरदार वल्लभभाई पटेल की 150वीं जयंती पर संघ पर प्रतिबंध लगाने की मांग की थी। उन्होंने कहा कि “संघ पर तीन बार प्रतिबंध लगाया गया, लेकिन हर बार सच्चाई सामने आई और समाज ने संघ को फिर से स्वीकार किया।”

बीजेपी से आरएसएस के रिश्तों को लेकर पूछे गए सवाल पर होसबले ने कहा, “संघ ने अपने रुख को पिछले 50 वर्षों में बार-बार स्पष्ट किया है। हमारे स्वयंसेवक सभी दलों में हैं, बस बीजेपी में संख्या अधिक है क्योंकि वहां प्रवेश पर कोई रोक नहीं है। संघ विचारों और समाज का संगठन है, जो हर सरकार से संवाद बनाए रखता है।”

देश में बढ़ते जनसंख्या असंतुलन पर चिंता व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा कि “अवैध घुसपैठ और धार्मिक परिवर्तन जैसी वजहों से असंतुलन बढ़ रहा है। इसके लिए ठोस जनसंख्या नीति बनना जरूरी है।”

उन्होंने पंजाब में सिखों के धर्मांतरण, पश्चिम बंगाल की राजनीतिक हिंसा और मणिपुर की स्थिति पर भी टिप्पणी की। कहा कि “बंगाल की स्थिति चिंताजनक है, वहीं मणिपुर में हालात धीरे-धीरे सुधर रहे हैं। संघ के स्वयंसेवक वहां लगातार समाजिक सौहार्द के लिए कार्यरत हैं।”

माओवाद प्रभावित इलाकों में आत्मसमर्पण को सकारात्मक बताते हुए उन्होंने कहा कि “सरकार को इन क्षेत्रों के विकास के प्रति संवेदनशील रुख अपनाना चाहिए।” युवाओं में नशे की बढ़ती प्रवृत्ति पर भी उन्होंने चिंता व्यक्त की और बताया कि “यह लत अब विश्वविद्यालयों और उच्च शिक्षण संस्थानों तक पहुंच चुकी है।”

बैठक में संघ के शताब्दी वर्ष की तैयारियों, समाजिक अभियान और संगठनात्मक विस्तार पर भी चर्चा हुई। देशभर में 80,000 हिंदू सम्मेलन, घर-घर संपर्क अभियान और सामाजिक सद्भाव बैठकों के आयोजन की योजना बनाई गई है।

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