मुख्य न्यायाधीश पर हमले के बाद शुरू हुआ ‘जूता दान अभियान’, ज़रूरतमंद बच्चों को बाँटे जाएँगे 5,000 जोड़ी जूते
26 नवंबर से 6 दिसंबर तक चलेगा अभियान, आरक्षण से लाभान्वित लोग देंगे योगदान — 50% जूते छात्राओं को
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मानवाधिकार संगठन नवसर्जन समूह ने किया अभियान का ऐलान।
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जूतों पर लिखे जाएँगे संदेश: “संविधान को स्वर्णिम सलाम” और “अधिकार और मेरा आरक्षण”।
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गुजरात, महाराष्ट्र, यूपी, ओडिशा, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में बाँटे जाएँगे जूते।
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लक्ष्य 1,000 जोड़ी से बढ़ाकर 5,000 जोड़ी किया गया।
समग्र समाचार सेवा
अहमदाबाद, 3 नवंबर:भारत के मुख्य न्यायाधीश बी.आर. गवई पर अदालत में कथित जूता फेंके जाने की घटना के बाद, गुजरात स्थित मानवाधिकार संगठन नवसर्जन समूह ने एक अनोखा सामाजिक अभियान शुरू किया है। इस अभियान के तहत देशभर के ज़रूरतमंद छात्रों को जूते दान किए जाएँगे।
नवसर्जन के संस्थापक मार्टिन मैकवान ने बताया कि “हम आरक्षण से लाभान्वित लोगों को दान देने के लिए प्रेरित कर रहे हैं ताकि वे समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारी निभाएँ।” यह अभियान 26 नवंबर — संविधान दिवस से शुरू होकर 6 दिसंबर डॉ. भीमराव अंबेडकर महापरिनिर्वाण दिवस तक चलेगा।
इस पहल का उद्देश्य न केवल ज़रूरतमंद बच्चों की मदद करना है, बल्कि संविधान और सामाजिक समानता के मूल्यों को सम्मान देना भी है। इस अभियान के तहत कक्षा 5 से 10 तक के छात्रों को जूते दिए जाएँगे, जिनमें से 50% जूते छात्राओं को मिलेंगे।
जूते के प्रतीकवाद को लेकर मैकवान ने कहा, “हमने जूते को अभियान का केंद्र इसलिए बनाया क्योंकि इससे जुड़ा विवाद समाज को सोचने का मौका देता है। हम निंदा का जवाब नफरत से नहीं, सेवा से देंगे।”
अभियान के लिए “संविधान को स्वर्णिम सलाम”, “निंदा का एक ही जवाब” और “अधिकार और मेरा आरक्षण – समाज की रक्षा” जैसे नारे तय किए गए हैं, जो जूतों के डिब्बों पर छपवाए जाएँगे।
शुरुआत में 1,000 जोड़ी जूतों का लक्ष्य रखा गया था, लेकिन बेहतर प्रतिक्रिया मिलने पर इसे बढ़ाकर 5,000 जोड़ी कर दिया गया है। अब तक 2,000 जोड़ी जूतों का पुष्ट दान मिल चुका है।