अनिल अंबानी समूह पर ED का बड़ा एक्शन: ₹3084 करोड़ की संपत्ति जब्त

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  • प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने अनिल अंबानी समूह की 40 से अधिक संपत्तियों को अस्थायी रूप से जब्त किया है। 
  • जब्त की गई इन संपत्तियों का कुल मूल्य लगभग ₹3,084 करोड़ है।
  • यह कार्रवाई मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम अधिनियम (PMLA) के तहत यस बैंक से जुड़े कथित ऋण धोखाधड़ी और फंड डायवर्जन मामले की जांच के तहत की गई है।  

समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 03 नवंबर: उद्योगपति अनिल अंबानी और उनकी समूह कंपनियों की मुश्किलें बढ़ती दिख रही हैं। प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने मनी लॉन्ड्रिंग जांच के सिलसिले में रिलायंस अनिल अंबानी ग्रुप (RAAGA) से जुड़ी लगभग ₹3,084 करोड़ की संपत्तियों को अस्थायी रूप से कुर्क (Attach) कर लिया है। यह कार्रवाई 31 अक्टूबर 2025 को PMLA की धारा 5(1) के तहत जारी आदेशों के अनुसार की गई।

जिन संपत्तियों को अटैच किया गया है, उनमें सबसे प्रमुख हैं अनिल अंबानी का मुंबई के बांद्रा (पश्चिम) स्थित पॉश पाली हिल इलाके का आलीशान आवास ‘अबोड’ और नई दिल्ली का रिलायंस सेंटर ऑफिस। इसके अलावा, दिल्ली, नोएडा, गाजियाबाद, मुंबई, पुणे, ठाणे, हैदराबाद, चेन्नई (कांचीपुरम समेत) और ईस्ट गोदावरी जैसे प्रमुख शहरों में फैली कई आवासीय, वाणिज्यिक इकाइयों और भूमि के प्लॉट भी शामिल हैं।

ED का कहना है कि यह कार्रवाई आम जनता के पैसे की रिकवरी सुनिश्चित करने और वित्तीय प्रणाली की अखंडता बनाए रखने के लिए की गई है।

यस बैंक लोन और फंड डायवर्जन का मामला

ED की जांच का मुख्य केंद्र रिलायंस होम फाइनेंस लिमिटेड (RHFL) और रिलायंस कमर्शियल फाइनेंस लिमिटेड (RCFL) द्वारा किए गए कथित ऋण धोखाधड़ी और पब्लिक फंड के दुरुपयोग का मामला है।

यस बैंक का निवेश: ED के आरोप के मुताबिक, 2017 से 2019 के बीच यस बैंक ने कई माध्यमों से RHFL में ₹2,965 करोड़ और RCFL में ₹2,045 करोड़ का भारी निवेश किया था।

NPA में बदलना: दिसंबर 2019 तक, ये निवेश गैर-निष्पादित संपत्ति (NPA) में बदल गए, जिससे यस बैंक को कुल ₹3,300 करोड़ से अधिक का नुकसान हुआ।

फंड डायवर्जन: जांच एजेंसी का आरोप है कि RHFL और RCFL ने जुटाई गई इन राशियों को निर्धारित उद्देश्य के बजाय रिलायंस समूह की अन्य कंपनियों या फर्जी/शेल कंपनियों में गलत तरीके से घुमा दिया।

ED ने अपनी जांच में पाया कि ये फंड डायवर्जन सेबी (SEBI) के नियमों का उल्लंघन करके किया गया। एजेंसी ने लोन पास करने की प्रक्रिया में भी कई गंभीर अनियमितताएं पाईं, जैसे: बिना उचित जांच के एक ही दिन में लोन मंजूर करना, लोन की फाइल बनने से पहले ही पैसा दे देना, और कई मामलों में दस्तावेज़ों का अधूरा होना। ED ने इसे ‘जानबूझकर नियंत्रण तंत्र की नाकामी’ बताया है।

RCom मामले में भी जांच तेज

अनिल अंबानी समूह के लिए मुश्किलें यहीं खत्म नहीं होती हैं। ED ने रिलायंस कम्युनिकेशंस लिमिटेड (RCom) और इससे जुड़ी कंपनियों के खिलाफ चल रहे एक अन्य ऋण धोखाधड़ी मामले में भी अपनी जांच तेज़ कर दी है। इस मामले में ₹13,600 करोड़ से अधिक की कथित अनियमितताओं की जांच की जा रही है। एजेंसी का दावा है कि इस रकम का एक बड़ा हिस्सा भी ग्रुप की संबंधित पार्टियों को भेजा गया था।

समूह पर यह भी आरोप है कि कई बैंकों ने RCom और इससे जुड़ी कंपनियों के लोन खातों को पहले ही धोखाधड़ी (Fraud) घोषित कर दिया है, जिससे अनिल अंबानी की कानूनी और वित्तीय परेशानियां लगातार बढ़ती जा रही हैं। यह कार्रवाई दर्शाती है कि जांच एजेंसियां बड़े पैमाने पर कॉर्पोरेट लोन धोखाधड़ी से जुड़े मामलों में सख्ती बरत रही हैं।

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