विश्व विजेता बनी भारत की बेटियाँ
भारत की बेटियों ने रचा इतिहासः खुशी के आंसू, गर्व से सीना चौड़ा, लहराया तिरंगा और भावुक हो उठा हिंदुस्तान
प्रतिज्ञा राय
नई दिल्ली, 3 नवंबर:भारत की महिला क्रिकेट टीम ने 2025 महिला विश्व कप जीतकर इतिहास रच दिया है। दक्षिण अफ्रीका को 52 रनों से हराकर भारत ने पहली बार वर्ल्ड कप अपने नाम किया। यह जीत सिर्फ एक ट्रॉफी नहीं, बल्कि उस संघर्ष का नतीजा है जो सालों से भारतीय महिला क्रिकेट की धड़कन में धड़क रहा था।
फाइनल में भारत ने पहले बल्लेबाज़ी करते हुए 298 रन बनाए। शेफाली वर्मा ने शानदार 87 रन की पारी खेली, वहीं दीप्ति शर्मा ने 58 रन बनाए और गेंदबाज़ी में कमाल दिखाते हुए 5 विकेट झटके। दक्षिण अफ्रीका की टीम भारत के सामने टिक नहीं पाई और 246 रन पर सिमट गई। इसी के साथ भारत की बेटियों ने क्रिकेट इतिहास का सबसे सुनहरा अध्याय लिखा।
कहानी की शुरुआत – 2017 का वो टूटा हुआ सपना
हमारी कहानी शुरू होती है साल 2017 से महिला विश्व कप का फाइनल खेला जा रहा था, भारत बनाम इंग्लैंड भारत को जीतने के लिए 229 रन चाहिए थे। टीम बहुत अच्छी स्थिति में थी, 143 पर 3 विकेट, केवल 39 रन की दरकार, और 8 ओवर बाकी थे क्रिज़ पर थीं हरमनप्रीत कौर और वेदा कृष्णमूर्ति पूरा देश उम्मीद से भरा हुआ था कि अब यह कप हमारा होगा लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंज़ूर था अचानक विकेटों का ऐसा सिलसिला गिरा कि अगले 29 रनों में पूरी टीम सिमट गई और भारत 8 रन से हार गया, हार का सिलसिला जारी रहा, लेकिन हौसले नहीं टूटे
2018 के टी20 विश्व कप सेमीफाइनल में हार,
2020 के टी20 विश्व कप फाइनल में हार,
2022 के वनडे विश्व कप में हार,
राष्ट्रमंडल खेलों में फिर से हार,
और 2023 तक हर बार जीत के करीब पहुँच कर फिसल जाना,यह सब उस अधूरी कहानी का हिस्सा था, जो आखिरकार 2025 में पूरी हुई।
2025 – नया अध्याय, नई कहानी
2025 महिला विश्व कप की शुरुआत भारत के लिए अच्छी नहीं रही, पहले तीन मैचों में हार का सामना करना पड़ा।
कई लोग कहने लगे कि यह टीम अब पहले जैसी नहीं रही, लेकिन बेटियों ने सबको गलत साबित कर दिया।
क्वार्टर फाइनल में धमाकेदार जीत दर्ज की, और सेमीफाइनल में सात बार की चैंपियन ऑस्ट्रेलिया को हरा कर इतिहास रच दिया, ऑस्ट्रेलिया के 339 रनों के लक्ष्य का पीछा करते हुए भारतीय टीम ने अद्भुत संयम दिखाया और मैच अपने नाम किया।
फाइनल, जहाँ अधूरी कहानी पूरी हुई
फाइनल में सामना था दक्षिण अफ्रीका से।
साउथ अफ्रीका ने टॉस जीतकर पहले गेंदबाज़ी का फैसला किया,भारत ने 298 रन बनाकर मजबूत चुनौती दी। शेफाली वर्मा और दीप्ति शर्मा की साझेदारी ने मैच की नींव रखी।
जब गेंदबाज़ी की बारी आई, तो दीप्ति शर्मा ने वो कर दिखाया जो किसी ने सोचा नहीं था, 39 रन देकर 5 विकेट झटके हर विकेट के साथ पूरा स्टेडियम “भारत माता की जय” से गूंज उठा।
और जब आखिरी विकेट गिरा, तो वो सिर्फ जीत नहीं थी वो आठ साल पुराने दर्द का मरहम था, वो उन सभी लड़कियों की जीत थी जिनके हाथ में बल्ला है और आँखों में सपना।
इस जीत का मतलब सिर्फ ट्रॉफी नहीं है, यह जीत बताती है कि हार कभी अंत नहीं होती अगर दिल में जुनून और आँखों में हौसला हो, तो वही हार एक दिन जीत में बदल जाती है।
भारत की इन बेटियों ने न सिर्फ एक कप जीता है,
बल्कि करोड़ों दिल भी जीत लिए हैं।
उन्होंने साबित किया है कि भारत की महिला क्रिकेट अब किसी के साए में नहीं, बल्कि अपनी रौशनी में चमक रही है।