ग्लैमर छोड़ बनीं संन्यासी: नुपुर अलंकार की कहानी
प्रसिद्ध टीवी एक्ट्रेस ने छोड़ा पति-करियर; अब हिमालय में माँगकर जीती हैं 'पीतांबरा माँ'
- टीवी इंडस्ट्री की जानी-मानी अभिनेत्री नुपुर अलंकार ने ग्लैमरस करियर और सांसारिक जीवन त्याग कर संन्यास ले लिया है।
- वह अब ‘पीतांबरा माँ’ के नाम से हिमालय में सादा जीवन जीती हैं और भिक्षाटन (मांगकर खाना) करती हैं।
- नुपुर का यह परिवर्तन पारिवारिक त्रासदियों (माँ और बहन का निधन) और पीएमसी बैंक घोटाले में अपनी बचत फंस जाने के बाद आया।
समग्र समाचार सेवा
मुंबई, 01 नवंबर: भारतीय टेलीविजन पर दो दशकों से अधिक समय तक अपनी पहचान बनाने वाली अभिनेत्री नुपुर अलंकार एक समय घर-घर में जाना-पहचाना नाम थीं। उन्होंने 155 से अधिक टीवी धारावाहिकों में काम किया, जिनमें शक्तिमान, घर की लक्ष्मी बेटियाँ, अगले जनम मोहे बिटिया ही कीजो, रेत और दिया और बाती हम जैसे हिट शो शामिल हैं। अपनी बहुमुखी प्रतिभा के लिए मशहूर नुपुर ने बड़े पर्दे की चकाचौंध के बीच एक साधारण जीवन जिया, लेकिन 2022 में उन्होंने अपने जीवन का एक सबसे बड़ा और अप्रत्याशित फैसला लिया।
नुपुर अलंकार ने अभिनय करियर, भौतिक सुख-सुविधाओं और यहाँ तक कि अपने वैवाहिक जीवन को भी त्याग दिया और संन्यास का मार्ग अपना लिया। अब उन्हें ‘पीतांबरा माँ’ के नाम से जाना जाता है।
निजी संकटों ने बदली जीवन की दिशा
नुपुर के इस बड़े बदलाव के पीछे उनके जीवन में आए लगातार बड़े संकट और निराशाजनक घटनाएँ थीं। 2022 में संन्यास लेने का उनका निर्णय व्यक्तिगत उथल-पुथल के एक दौर के बाद आया। एक ओर उन्होंने अपनी माँ और बहन को खो दिया, वहीं दूसरी ओर पीएमसी बैंक घोटाले (PMC Bank Scam) के कारण उनकी सारी बचत फँस गई और उनकी आर्थिक स्थिति डगमगा गई।
एक साक्षात्कार में, नुपुर ने बताया था कि इन चुनौतियों ने उन्हें जीवन के उद्देश्य पर फिर से विचार करने के लिए मजबूर किया। उन्होंने कहा, “जब मेरी बचत बैंक में फँस गई… मेरी माँ और मेरी बहन की मौतें आखिरी झटका थीं। मैं उससे पहले ही दुनिया से कटने लगी थी।” उन्होंने बताया कि उन्होंने सांसारिक जीवन जीने में अपनी रुचि खो दी थी, इसलिए उन्होंने अपने पति सहित सभी करीबियों से अनुमति ली, जिन्होंने अनिच्छा से ही सही, लेकिन सहमति दे दी।
गुफाओं में निवास और भिक्षाटन का अभ्यास
मुंबई छोड़ने के बाद, नुपुर अलंकार ने लगभग तीन वर्षों तक भारत भर में यात्रा की। वह गुफाओं, जंगलों और दूरदराज के आश्रमों में रहीं, जहाँ उन्हें कड़ाके की ठंड, पाला, यहाँ तक कि चूहों के काटने जैसी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा, लेकिन उन्होंने आध्यात्मिक अभ्यास में शांति पाई। उन्होंने कहा, “मैं बिना सुख-सुविधाओं के जीवन का अनुभव करना चाहती थी। प्रकृति के करीब रहने से मुझे स्पष्टता मिली।”
नुपुर अब बहुत कम कपड़ों और न्यूनतम संपत्ति के साथ जीवन जीती हैं। वह कभी-कभी भिक्षाटन (Alms) भी करती हैं, जिसे वह अहंकार को खत्म करने और विनम्रता सिखाने का एक तरीका मानती हैं। उन्होंने कहा, “जब से मैंने सब कुछ छोड़ा है, जीवन सरल हो गया है। अब कोई बिल या दबाव नहीं है, सिर्फ शांति है।” पीतांबरा माँ के रूप में, वह लोगों को धन या प्रसिद्धि के बजाय आस्था और आंतरिक शांति पर ध्यान केंद्रित करते हुए, एक सरल और विनम्र जीवन जीने के लिए प्रेरित करती हैं।