भारत-अमेरिका रक्षा सहयोग का नया युग: राजनाथ सिंह बोले , यह सिर्फ समझौता नहीं, भरोसे का विस्तार है

ड्रोन, एआई और जेट इंजन निर्माण में होगा संयुक्त सहयोग, रक्षा स्वावलंबन को नई रफ्तारक्या आप चाहेंगे कि मैं इन्हें SEO की दृष्टि से

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  • भारत और अमेरिका ने कुआलालंपुर में 10 वर्षीय रक्षा फ्रेमवर्क एग्रीमेंट पर हस्ताक्षर किए
  • राजनाथ सिंह ने इसे ‘रक्षा साझेदारी के नए युग की शुरुआत’ बताया
  • समझौता रणनीतिक लॉजिस्टिक्स, संयुक्त उत्पादन और तकनीकी हस्तांतरण पर केंद्रित

समग्र समाचार सेवा
कुआलालंपुर | 1 नवंबर:भारत और अमेरिका के बीच रक्षा सहयोग को नई दिशा देने वाला एक ऐतिहासिक समझौता हुआ है। शुक्रवार को कुआलालंपुर में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और उनके अमेरिकी समकक्ष पीट हेगसेथ ने 10 वर्षीय रक्षा फ्रेमवर्क एग्रीमेंट पर हस्ताक्षर किए। इस समझौते को दोनों देशों के बढ़ते रणनीतिक रिश्तों का प्रतीक माना जा रहा है।

राजनाथ सिंह ने कहा कि यह भारत-अमेरिका रक्षा संबंधों की यात्रा में नया अध्याय खोलेगा और स्वदेशी रक्षा क्षमताओं को वैश्विक सहयोग से जोड़ेगा। उन्होंने इसे ‘रक्षा साझेदारी के नए युग की शुरुआत’ बताया। अमेरिकी रक्षा मंत्री हेगसेथ ने कहा कि यह डील दक्षिण-पूर्व एशिया और हिंद-प्रशांत क्षेत्र में स्थिरता और निवारण का मजबूत आधार बनेगी।

इस नए समझौते में रक्षा उत्पादन, प्रौद्योगिकी हस्तांतरण और दीर्घकालिक नीति सहयोग पर विशेष बल दिया गया है। इसके तहत एक-दूसरे के सैन्य बेस, लॉजिस्टिक्स और रखरखाव सुविधाओं के उपयोग को औपचारिक रूप दिया जाएगा। दोनों देशों ने कहा कि यह साझेदारी केवल सैन्य सहयोग नहीं बल्कि एक दीर्घकालिक रणनीतिक साझेदारी का संकल्प है।

इंडो-पैसिफिक में भारत की बदलती भूमिका

यह समझौता चीन के बढ़ते प्रभाव को संतुलित करने की दिशा में भारत की भूमिका को और सशक्त बनाता है। अब दोनों देश हिंद-प्रशांत क्षेत्र को ‘मुक्त और नियम-आधारित’ बनाए रखने के साझा लक्ष्य के लिए काम करेंगे। इससे भारत क्षेत्रीय स्थिरता और समुद्री सुरक्षा में प्रमुख किरदार के रूप में उभरेगा। नई डील न सिर्फ रणनीतिक इंटरऑपरेबिलिटी बढ़ाएगी बल्कि उन्नत रक्षा औद्योगिक सहयोग के नए रास्ते खोलेगी।

रक्षा उत्पादन और तकनीकी सहयोग पर फोकस

भारत और अमेरिका के बीच यह समझौता जॉइंट रिसर्च, ड्रोन तकनीक, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आधारित युद्ध प्रणालियों और रक्षा निर्यात को भी प्रोत्साहित करेगा। हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) और जीई एयरोस्पेस के बीच एफ-414 जेट इंजन निर्माण सहयोग के जरिए भारत को अत्याधुनिक तकनीकी पहुंच मिलेगी। यह पहल भारत के ‘मेक इन इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ मिशन की दिशा में बड़ा कदम है।

आसियान रक्षा मंत्रियों की बैठक और क्षेत्रीय संवाद

राजनाथ सिंह ने कुआलालंपुर में आयोजित 12वीं आसियान रक्षा मंत्रियों की बैठक (ADMM-Plus) में भाग लिया। इस दौरान उन्होंने मलेशिया और सिंगापुर के रक्षा मंत्रियों से भी द्विपक्षीय मुलाकात की। चर्चाओं में रक्षा उद्योग, तकनीकी सहयोग और क्षेत्रीय सुरक्षा को लेकर साझा दृष्टिकोण पर सहमति बनी।

अमेरिका के साथ 10 वर्षीय रक्षा फ्रेमवर्क समझौते का यही वह संदर्भ है जिसने भारत को न केवल क्षेत्रीय बल्कि वैश्विक सुरक्षा ढांचे में एक निर्णायक और विश्वसनीय भागीदार के रूप में स्थापित कर दिया है।

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