यूआईडीएआई ने जारी किया ‘आधार विजन 2032’: डिजिटल पहचान के नए युग की शुरुआत
कृत्रिम बुद्धिमत्ता, ब्लॉकचेन, क्वांटम कंप्यूटिंग और एडवांस एन्क्रिप्शन से सशक्त होगा आधार का भविष्य
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UIDAI ने ‘आधार विजन 2032’ फ्रेमवर्क लॉन्च किया, जो आने वाले दशक में डिजिटल पहचान प्रणाली को नई दिशा देगा।
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नई रूपरेखा में AI, ब्लॉकचेन, क्वांटम कंप्यूटिंग और एडवांस एन्क्रिप्शन तकनीकों का समावेश होगा।
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नीलकंठ मिश्रा की अध्यक्षता में उच्चस्तरीय विशेषज्ञ समिति गठित की गई है।
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यह योजना DPDP अधिनियम और वैश्विक साइबर सुरक्षा मानकों के अनुरूप भारत की डिजिटल पहचान को सुरक्षित बनाएगी।
समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 31 अक्टूबर:भारत की डिजिटल पहचान प्रणाली को और सशक्त, सुरक्षित और भविष्य के अनुरूप बनाने के उद्देश्य से भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (UIDAI) ने शुक्रवार को ‘आधार विजन 2032’ नामक नई रूपरेखा जारी की। यह योजना अगले दशक में आधार को तकनीकी रूप से पुनर्परिभाषित करने और इसे वैश्विक डेटा सुरक्षा मानकों के अनुरूप ढालने की दिशा में एक बड़ा कदम है।
UIDAI का यह विजन न केवल तकनीकी सुधार का दस्तावेज़ है, बल्कि यह भारत की डिजिटल गवर्नेंस व्यवस्था को और पारदर्शी, सुरक्षित और नागरिक-केंद्रित बनाने का खाका भी प्रस्तुत करता है।
नवाचार को दिशा देगी विशेषज्ञ समिति
UIDAI ने इस व्यापक पहल को लागू करने के लिए नीलकंठ मिश्रा (अध्यक्ष, UIDAI) की अध्यक्षता में एक उच्चस्तरीय विशेषज्ञ समिति गठित की है।
समिति में देश-विदेश के प्रतिष्ठित शिक्षाविद, उद्योग जगत के तकनीकी विशेषज्ञ और प्रशासनिक अधिकारी शामिल हैं, जिनमें भूवनेश कुमार (सीईओ, UIDAI), विवेक राघवन (सह-संस्थापक, Sarvam AI), धीरज पांडे (संस्थापक, Nutanix), ससिकुमार गणेशन (MOSIP), राहुल मथन (Trilegal), नवीन बुढ़िराजा (Vianai Systems), डॉ. प्रभाहरण पूरनाचंद्रन (अमृता यूनिवर्सिटी), प्रो. अनिल जैन (मिशिगन स्टेट यूनिवर्सिटी), प्रो. मयंक वत्सा (IIT जोधपुर) और अभिषेक कुमार सिंह (उप महानिदेशक, UIDAI) शामिल हैं।
यह समिति आधार विजन 2032 दस्तावेज़ तैयार करेगी, जो तकनीकी संरचना, डेटा सुरक्षा मानकों और नवाचारों की दिशा तय करेगा।
प्रमुख तकनीकी फोकस
‘आधार विजन 2032’ में UIDAI ने स्पष्ट किया है कि आने वाले समय में आधार को कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI), ब्लॉकचेन, क्वांटम कंप्यूटिंग और एडवांस एन्क्रिप्शन जैसी अत्याधुनिक तकनीकों के साथ जोड़ा जाएगा।
इन तकनीकों का उद्देश्य आधार प्रणाली को साइबर हमलों के प्रति मजबूत, डेटा गोपनीयता के अनुरूप सुरक्षित और विस्तृत उपयोग के लिए सक्षम बनाना है।
साथ ही, यह नया ढांचा डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन (DPDP) अधिनियम के सिद्धांतों के अनुरूप तैयार किया जाएगा, ताकि नागरिकों के डेटा की गोपनीयता और सुरक्षा सर्वोच्च प्राथमिकता बनी रहे।
सुरक्षा और विश्वास पर केंद्रित दृष्टिकोण
UIDAI के अनुसार, यह विजन केवल तकनीकी उन्नयन तक सीमित नहीं है, बल्कि यह जनविश्वास, पारदर्शिता और समावेशन पर आधारित नई सोच का प्रतीक है।
आधार विजन 2032 यह सुनिश्चित करेगा कि भारत की डिजिटल पहचान प्रणाली न केवल देश की जरूरतों को पूरा करे, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी एक मानक स्थापित करे।
> UIDAI का कहना है, “हमारा लक्ष्य है कि आधार प्रणाली भविष्य के लिए तैयार, नागरिक-केंद्रित और विश्वस्तरीय सुरक्षा मानकों पर आधारित हो।”
UIDAI का उद्देश्य
इस पहल के माध्यम से UIDAI आने वाले दशक के लिए एक ऐसा डिजिटल इकोसिस्टम तैयार करना चाहता है जो
तकनीकी रूप से उन्नत,
डेटा गोपनीयता की दृष्टि से सशक्त, और
हर नागरिक के लिए सुलभ हो।
 
			