अमेरिकी यूनिवर्सिटी में ‘हिंदुत्व’ कार्यक्रम पर हंगामा: कांग्रेस सांसदों ने जताया विरोध

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  • हिंदुओं को पैनल से बाहर रखा गया: पैनल में एक भी सक्रिय हिंदू सदस्य शामिल नहीं था, जिससे हिंदू समुदाय ने आरोप लगाया कि यह एकतरफा चर्चा है जो उनके धर्म की गलत व्याख्या करती है।
  • अमेरिकी सांसदों का पत्र: चार अमेरिकी कांग्रेस सदस्यों (जिनमें दो भारतीय मूल के हैं) ने विश्वविद्यालय को पत्र लिखकर इस आयोजन को ‘राजनीतिक रूप से प्रेरित’ और हिंदू छात्रों को निशाना बनाने वाला करार दिया।
  • 10,000 से अधिक ईमेल द्वारा विरोध: ‘कोएलिशन ऑफ हिंदूज़ ऑफ नॉर्थ अमेरिका’ (CoHNA) जैसे हिंदू संगठनों ने विश्वविद्यालय प्रशासन को 10,000 से अधिक ईमेल भेजकर इस कार्यक्रम से अपनी संस्थागत दूरी बनाए रखने की मांग की।

समग्र समाचार सेवा
न्यू जर्सी, अमेरिका, 31 अक्टूबर: अमेरिका की प्रतिष्ठित रटगर्स यूनिवर्सिटी में आयोजित एक विवादास्पद पैनल चर्चा ने हिंदू समुदाय में भारी आक्रोश पैदा कर दिया है। “अमेरिका में हिंदुत्व: समानता और धार्मिक बहुलवाद के लिए खतरा” शीर्षक वाली इस चर्चा को लेकर हिंदू संगठनों ने इसे ‘हिंदू विरोधी’ करार दिया, जबकि अमेरिकी कांग्रेस के चार सांसदों ने भी विश्वविद्यालय को पत्र लिखकर इस पर गहरी चिंता व्यक्त की। हिंदू छात्रों ने परिसर में मौन विरोध भी दर्ज कराया।

🗣️ विवादित पैनल और हिंदू संगठनों का विरोध

यह पैनल चर्चा रटगर्स विश्वविद्यालय के सेंटर फॉर सिक्योरिटी, रेस एंड राइट्स (CSRR) द्वारा आयोजित की गई थी। हिंदू संगठनों ने इस कार्यक्रम की तीखी आलोचना करते हुए कहा कि इसमें हिंदू धर्म और हिंदुत्व के बीच कृत्रिम और भ्रामक अंतर स्थापित करने की कोशिश की गई। विरोध कर रहे समूहों का तर्क है कि यह कार्यक्रम अकादमिक स्वतंत्रता के नाम पर हिंदूफोबिया को बढ़ावा देता है।

‘कोएलिशन ऑफ हिंदूज़ ऑफ नॉर्थ अमेरिका’ (CoHNA) ने अपने बयान में कहा कि पैनलिस्टों ने कई गलत दावे किए, जिसमें हिंदूफोबिया को सिरे से नकार देना और हिंदू स्वस्तिक को नाजी हाकेनक्रूज़ के समान बताना शामिल है। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि हिंदू संगठनों को ‘भारत का एजेंट’ या चरमपंथी समूह बताकर निशाना बनाया गया।

🏛️ सांसदों की चिंता और विश्वविद्यालय को चेतावनी

कार्यक्रम से पहले ही, प्रतिनिधि सुहास सुब्रमण्यम, श्री थानेदार, स्टैनफोर्ड बिशप और रिच मैककॉर्मिक ने रटगर्स के अध्यक्ष विलियम एफ. टेट चतुर्थ को एक द्विदलीय पत्र भेजा। सांसदों ने चेतावनी दी कि यह कार्यक्रम “एक विविध और शांतिपूर्ण धार्मिक समुदाय का गलत चित्रण” करता है और परिसर में हिंदू छात्रों को ‘असुरक्षित’ महसूस करा सकता है।

सांसदों ने विश्वविद्यालय से आयोजन को रद्द करने की मांग तो नहीं की, लेकिन यह सुनिश्चित करने को कहा कि रटगर्स अपने संस्थागत ब्रांड को इस कार्यक्रम के ‘हिंदू विरोधी’ संदेशों से अलग रखे। उनका मानना ​​है कि विश्वविद्यालय को चरमपंथी विचारधाराओं और सामान्य धार्मिक विश्वासों के बीच स्पष्ट अंतर करना चाहिए।

📝 परिसर में छात्रों का मौन प्रदर्शन

आयोजन के दौरान, हिंदू छात्रों और संकाय सदस्यों के एक समूह ने एलेक्जेंडर लाइब्रेरी के सामने मौन विरोध प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारियों ने तख्तियाँ ले रखी थीं जिन पर लिखा था: “हिंदू अधिकार मानव अधिकार हैं” और “रटगर्स में नफरत की कोई जगह नहीं है”। छात्रों ने बताया कि वे इस बात से भयभीत थे कि विश्वविद्यालय ने उनके निष्पक्षता और सुरक्षा के अनुरोधों को नजरअंदाज कर दिया। उनका कहना था कि वे कार्यक्रम को रद्द करने की नहीं, बल्कि विश्वविद्यालय से एंटी-हिंदू बयानबाजी का समर्थन न करने की माँग कर रहे थे।

यह पूरा विवाद अमेरिकी शिक्षाविदों के बीच हिंदुत्व की परिभाषा और उसे हिंदू धर्म से अलग करने की बहस को एक बार फिर गरमा दिया है।

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