सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई: क्या उमर खालिद और शरजील इमाम को मिलेगी जमानत? दिल्ली पुलिस ने किया विरोध

2020 के दंगों में 53 लोगों की मौत, पुलिस ने कहा, ‘देश की एकता पर हमला करने की साजिश थी’

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समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली | 31 अक्टूबर: फरवरी 2020 दिल्ली दंगा मामले में आरोपी शरजील ईमाम, उमर खालिद, मीरान हैदर, गुल्फिशा फातिमा और शिफा-उर-रहमान और मुहम्मद सलीम खान की जमानत याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में आज सुनवाई है.

🔹 सुप्रीम कोर्ट में आज की कार्यवाही

जस्टिस अरविंद कुमार और जस्टिस एन. वी. अंजिरिया की पीठ इस मामले की सुनवाई कर रही है।
सुनवाई के दौरान कपिल सिब्बल ने बताया कि दिल्ली पुलिस ने गुरुवार देर रात जवाब दाखिल किया, जिससे बचाव पक्ष को दस्तावेज़ों का अध्ययन करने का समय नहीं मिल सका।
अदालत ने याचिकाकर्ताओं के वकीलों को जवाब पढ़ने का समय दिया और सुनवाई को अगली तारीख तक के लिए स्थगित कर दिया।

🔹 दिल्ली पुलिस का रुख: ‘मजबूत सबूत हैं’

2020 के दिल्ली दंगों से जुड़े ‘बड़ी साज़िश’ (larger conspiracy) मामले में दिल्ली पुलिस ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल कर बेल का विरोध किया है।
पुलिस ने कहा कि उसके पास आरोपियों के खिलाफ मजबूत दस्तावेज़ी और तकनीकी सबूत हैं, जो यह साबित करते हैं कि उन्होंने सांप्रदायिक आधार पर हिंसा फैलाने की योजना बनाई थी।
हलफनामे में यह भी कहा गया है कि आरोपियों ने देशभर में लोगों को उकसाने, सार्वजनिक व्यवस्था भंग करने और सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने की साजिश रची।

पुलिस का कहना है कि यह साज़िश सिर्फ विरोध प्रदर्शन तक सीमित नहीं थी, बल्कि इसका मकसद देश की एकता और संप्रभुता पर हमला करना था।

🔹 हाई कोर्ट ने पहले ही जमानत से किया था इनकार

इससे पहले दिल्ली हाई कोर्ट ने 2 सितंबर 2025 को इन सभी आरोपियों की जमानत याचिकाएं खारिज कर दी थीं।
हाई कोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि

> “विरोध प्रदर्शनों की आड़ में हिंसा की अनुमति नहीं दी जा सकती। अगर किसी ने शांतिपूर्ण आंदोलन के नाम पर षड्यंत्र किया है, तो यह बेल योग्य अपराध नहीं है।”

इसी आदेश के खिलाफ अब याचिकाकर्ता सुप्रीम कोर्ट पहुंचे हैं।

🔹 मामले की पृष्ठभूमि

फरवरी 2020 में नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान उत्तर-पूर्वी दिल्ली में दंगे भड़क गए थे, जिनमें 53 लोग मारे गए और सैकड़ों घायल हुए।
इन दंगों को लेकर दिल्ली पुलिस ने आरोप लगाया कि यह एक पूर्व नियोजित साजिश थी, जिसे CAA विरोध प्रदर्शनों के जरिए अंजाम दिया गया।

उमर खालिद को सितंबर 2020 में गिरफ्तार किया गया था और तब से वे लगातार जेल में हैं।
कई मानवाधिकार संगठनों ने उनकी गिरफ्तारी को राजनीतिक बताया, जबकि पुलिस का कहना है कि यह राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा मामला है।

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