सादगी को तरजीह: शादी में 3 गहने, नियम तोड़ने पर ₹50K जुर्माना
उत्तराखंड के कंधार (कंदाड़) और इद्रोली गांव का ऐतिहासिक फैसला, दिखावे और आर्थिक असमानता पर लगाम
- उत्तराखंड के जौनसार-बावर क्षेत्र के कंधार और इद्रोली गांव ने शादियों में गहनों की संख्या सीमित की।
- महिलाएं अब सिर्फ तीन आभूषण – मंगलसूत्र, कान की बाली/बुंदे और नाक की नथ/फूली ही पहन सकेंगी।
- नियम तोड़ने वाली महिला पर गांव की पंचायत द्वारा ₹50,000 का भारी जुर्माना लगाया जाएगा।
समग्र समाचार सेवा
देहरादून, 30 अक्टूबर: उत्तराखंड के देहरादून जिले के चकराता ब्लॉक में स्थित कंधार (कंदाड़) और इद्रोली गांव ने एक बड़ा और ऐतिहासिक सामाजिक फैसला लिया है। दोनों गांवों की पंचायत ने सर्वसम्मति से निर्णय लिया है कि अब से कोई भी महिला शादी-ब्याह या अन्य सार्वजनिक सामाजिक समारोहों में तीन से अधिक सोने के आभूषण नहीं पहन सकेगी। यह कदम समाज में सादगी और समानता को बढ़ावा देने के उद्देश्य से उठाया गया है।
ग्रामीणों का कहना है कि यह नियम आर्थिक असमानता और दिखावे की संस्कृति को रोकने के लिए बनाया गया है, जो तेजी से बढ़ रही थी। शादी समारोहों में भारी-भरकम गहने पहनकर आने वाली महिलाओं के कारण आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों पर बेवजह महंगा सोना खरीदने या कर्ज लेने का दबाव बन रहा था। गांव के बुजुर्गों और महिलाओं ने भी इस फैसले का स्वागत किया है, इसे सामाजिक सुधार की दिशा में एक सशक्त पहल बताया है।
अनुमति केवल तीन आभूषणों की
पंचायत के नए नियम के अनुसार, विवाहित महिलाओं को समारोहों में केवल तीन आभूषण पहनने की ही अनुमति होगी, जो इस प्रकार हैं:
गले में मंगलसूत्र (Mangalsutra)
कान में बाली या कुंडल (Earrings / Bundey)
नाक में नथ या फूली (Nose Stud / Nath)
इन तीन आभूषणों के अलावा, अन्य किसी भी भारी या अतिरिक्त आभूषण (जैसे हार, बड़े कंगन, या अन्य अंगूठियां) को पहनना पूर्णतः प्रतिबंधित कर दिया गया है।
नियम तोड़ने पर लगेगा भारी जुर्माना
इस नियम की गंभीरता सुनिश्चित करने के लिए, पंचायत ने कड़े दंड का प्रावधान किया है। यदि कोई भी महिला पंचायत के इस फैसले का उल्लंघन करते हुए तीन से अधिक आभूषण पहनकर आती है, तो उस पर ₹50,000 (पचास हजार रुपये) का भारी जुर्माना लगाया जाएगा। यह नियम दोनों गांवों के प्रत्येक परिवार पर अनिवार्य रूप से लागू होता है। ग्रामीणों का मानना है कि इतनी बड़ी जुर्माना राशि ही लोगों को नियम का पालन करने के लिए प्रेरित करेगी।
यह फैसला उस समय आया है जब सोने की कीमतें लगातार बढ़ रही हैं, और ग्रामीणों ने महसूस किया कि उनके पारंपरिक मूल्य (सादगी) दिखावे की होड़ में पीछे छूटते जा रहे हैं। उनका यह कदम यह संदेश देता है कि शादी, रिश्तों का उत्सव है, न कि धन-दौलत के प्रदर्शन का मंच। इस सामाजिक बदलाव को कई क्षेत्रों में सराहा जा रहा है।
 
			