पीएम मोदी बोले: वैश्विक अनिश्चितता में भारत है स्थिर ‘प्रकाशस्तंभ’
इंडिया मैरीटाइम वीक 2025 में प्रधानमंत्री ने कहा- भारत रणनीतिक स्वायत्तता, शांति और समावेशी विकास का प्रतीक है।
- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वैश्विक तनाव और व्यापार व्यवधानों के बीच भारत को दुनिया के लिए एक “स्थिर प्रकाशस्तंभ” बताया।
- उन्होंने कहा कि भारत रणनीतिक स्वायत्तता, शांति और समावेशी विकास के प्रतीक के रूप में खड़ा है, जिसकी जड़ें जीवंत लोकतंत्र में हैं।
- पिछले एक दशक में भारतीय बंदरगाहों की क्षमता दोगुनी हुई, संचालन जलमार्गों की संख्या 3 से बढ़कर 32 हुई और नौसेना नाविकों की संख्या तीन लाख से अधिक हुई।
समग्र समाचार सेवा
मुंबई, 30 अक्टूबर: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को इंडिया मैरीटाइम वीक 2025 के दौरान मैरीटाइम लीडर्स कॉन्क्लेव को संबोधित करते हुए भारत की बढ़ती वैश्विक भूमिका को रेखांकित किया। उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि जब वैश्विक समुद्र अशांत होते हैं, तो दुनिया स्थिरता के लिए एक “स्थिर प्रकाशस्तंभ” की तलाश करती है, और आज भारत उस भूमिका को मजबूती और स्थिरता के साथ निभाने के लिए पूरी तरह से तैयार है।
प्रधानमंत्री ने वैश्विक तनाव, व्यापार व्यवधानों और आपूर्ति शृंखलाओं में बदलाव के बीच भारत को रणनीतिक स्वायत्तता, शांति और समावेशी विकास का प्रतीक बताया। उन्होंने देश के जीवंत लोकतंत्र और विश्वसनीयता पर ज़ोर दिया, जो भारत को वैश्विक पटल पर विशेष बनाता है।
समुद्री क्षेत्र में अगली पीढ़ी के सुधार
पीएम मोदी ने भारत के समुद्री क्षेत्र में हुए ‘नेक्स्ट जनरेशन रिफॉर्म्स’ की सराहना की। उन्होंने कहा कि भारत ने एक सदी से भी अधिक पुराने औपनिवेशिक नौवहन अधिनियमों को 21वीं सदी के लिए उपयुक्त आधुनिक और भविष्योन्मुखी कानूनों से बदल दिया है। इन नए कानूनों ने राज्य समुद्री बोर्डों की भूमिका को मजबूत किया है और बंदरगाह प्रबंधन में डिजिटल प्रौद्योगिकियों के एकीकरण को बढ़ावा दिया है।
प्रधानमंत्री ने कहा, “आज भारत के बंदरगाह विकासशील देशों में सबसे कुशल बंदरगाहों में गिने जाते हैं, और कई मायनों में, वे विकसित दुनिया के बंदरगाहों से भी बेहतर प्रदर्शन कर रहे हैं।” उन्होंने बताया कि पिछले एक दशक में, भारतीय बंदरगाहों की क्षमता दोगुनी हो गई है, और जहाजों के आवागमन (Turnaround Time) में लगने वाला समय काफी कम हो गया है।
ब्लू इकोनॉमी और भारत की बढ़ती वैश्विक क्षमता
मोदी ने समुद्री क्षेत्र की उपलब्धियों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि विझिंजम बंदरगाह, जो भारत का पहला गहरे पानी वाला अंतर्राष्ट्रीय ट्रांसशिपमेंट हब है, इसी वर्ष चालू हुआ है। उन्होंने कहा कि देश के गौरव को बढ़ाते हुए, दुनिया का सबसे बड़ा कंटेनर जहाज हाल ही में इस बंदरगाह पर पहुंचा, जिसने इसकी वैश्विक क्षमता का प्रदर्शन किया है।
प्रधानमंत्री ने आने वाले 25 वर्षों पर ध्यान केंद्रित करते हुए ब्लू इकोनॉमी (नीली अर्थव्यवस्था) और टिकाऊ तटीय विकास (Sustainable Coastal Development) को प्राथमिकता देने की बात कही।
सक्रिय जलमार्गों का विस्तार: संचालन जलमार्गों की संख्या केवल तीन से बढ़कर प्रभावशाली 32 हो गई है, जिससे माल ढुलाई में 700 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि हुई है।
नाविकों की संख्या: पिछले एक दशक में भारतीय नाविकों की संख्या 1.25 लाख से बढ़कर तीन लाख से अधिक हो गई है, जिससे भारत नाविकों की संख्या के मामले में दुनिया के शीर्ष तीन देशों में शामिल हो गया है।
ग्रीन हाइड्रोजन पहल: कांडला बंदरगाह ने देश की पहली मेगावाट-स्केल स्वदेशी ग्रीन हाइड्रोजन सुविधा शुरू करके इतिहास रचा है।
वैश्विक संपर्क को नया आयाम
पीएम मोदी ने इंडिया-मिडिल ईस्ट-यूरोप इकोनॉमिक कॉरिडोर (IMEC) का उदाहरण दिया, और कहा कि भारत की समुद्री और व्यापार पहल वैश्विक संपर्क को नया आयाम देने के व्यापक दृष्टिकोण का हिस्सा हैं। उन्होंने कहा कि IMEC स्वच्छ ऊर्जा और स्मार्ट लॉजिस्टिक्स को बढ़ावा देगा, जिससे भविष्य के व्यापार मार्ग फिर से परिभाषित होंगे।
प्रधानमंत्री ने जोर दिया कि समुद्री क्षेत्र भारत के आर्थिक विकास का एक प्रमुख चालक है, और यह परिवर्तन पिछले दशक में लाए गए संरचनात्मक सुधारों का परिणाम है। इस प्रकार, वैश्विक उथल-पुथल के दौर में, भारत अपनी आंतरिक शक्ति और संवैधानिक मूल्यों के कारण स्थिरता और विकास के प्रकाशस्तंभ के रूप में उभरा है।
 
			