‘भारत के पुनर्जागरण’ का रास्ता: 5 बड़े परिवर्तन हैं ज़रूरी
हेमंत धींग मजूमदार का विश्लेषण: आर्थिक, सामाजिक और तकनीकी बदलावों से ही 'विकसित भारत' का सपना होगा साकार।
- विशेषज्ञ हेमंत धींग मजूमदार ने भारत को वैश्विक शक्ति बनाने के लिए पाँच प्रमुख और मौलिक परिवर्तनों की आवश्यकता पर बल दिया है।
- ये परिवर्तन समावेशी विकास, तकनीकी नेतृत्व, सामाजिक समानता, सुदृढ़ शासन और सांस्कृतिक गौरव की पुनर्स्थापना पर केंद्रित हैं।
- लेखक के अनुसार, केवल आर्थिक वृद्धि पर्याप्त नहीं है; एक सच्चे ‘पुनर्जागरण’ के लिए बहु-आयामी दृष्टिकोण आवश्यक है।
समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 30 अक्टूबर: भारत, जो वर्तमान में वैश्विक पटल पर एक बड़ी आर्थिक शक्ति के रूप में तेज़ी से उभर रहा है, को अपने सच्चे ‘पुनर्जागरण’ (Renaissance) की ओर बढ़ने के लिए केवल आर्थिक प्रगति पर निर्भर नहीं रहना चाहिए। जाने-माने विश्लेषक हेमंत धींग मजूमदार ने अपने हालिया लेख में यह तर्क दिया है कि देश को 2047 तक ‘विकसित भारत’ बनने के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए पाँच मौलिक और दूरगामी परिवर्तनों को अपनाना होगा। ये परिवर्तन केवल नीतिगत नहीं, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक स्तर पर भी आवश्यक हैं, जो देश को एक मजबूत और समावेशी भविष्य की ओर ले जाएंगे।
लेखक के अनुसार, भारत को अपनी विशाल क्षमता का पूर्ण उपयोग करने के लिए इन पाँच क्षेत्रों में खुद को बदलना होगा:
समावेशी आर्थिक विकास (Inclusive Economic Growth)
पहला और सबसे महत्वपूर्ण परिवर्तन यह सुनिश्चित करना है कि आर्थिक विकास का लाभ समाज के हर वर्ग तक पहुँचे। मजूमदार जोर देते हैं कि GDP की वृद्धि दर ही सब कुछ नहीं है; असली चुनौती आर्थिक असमानता को कम करने में है।
गरीबी उन्मूलन: ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों के बीच की खाई को पाटना आवश्यक है।
रोजगार सृजन: विशेष रूप से कृषि और छोटे उद्योगों में गुणवत्तापूर्ण नौकरियों का सृजन करना होगा।
महिला सशक्तिकरण: महिलाओं को कार्यबल में समान भागीदारी और नेतृत्व के अवसर प्रदान करना, जो अर्थव्यवस्था को नई गति देगा।
तकनीकी कौशल और नवाचार में नेतृत्व (Tech Leadership & Innovation)
भारत को अब केवल टेक्नोलॉजी का उपभोक्ता नहीं, बल्कि इसका नेतृत्वकर्ता बनना होगा। दूसरा परिवर्तन तकनीकी नवाचार और डिजिटल समावेशन से जुड़ा है।
डिजिटल इंडिया का विस्तार: 5G/6G, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और मशीन लर्निंग (ML) जैसे क्षेत्रों में देश को अग्रणी बनाना।
शिक्षा का आधुनिकीकरण: STEM (विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित) शिक्षा पर ज़ोर देना और अनुसंधान एवं विकास (R&D) में निवेश बढ़ाना।
स्टार्टअप पारिस्थितिकी तंत्र: स्टार्टअप्स को वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धा करने के लिए आवश्यक समर्थन और अनुकूल माहौल प्रदान करना।
सामाजिक समानता और सामुदायिक सद्भाव (Social Equity & Harmony)
एक राष्ट्र के रूप में भारत तभी महान बन सकता है जब वह आंतरिक रूप से मजबूत हो। तीसरा परिवर्तन सामाजिक समानता और न्याय पर आधारित है।
शिक्षा और स्वास्थ्य: सार्वभौमिक और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा व स्वास्थ्य सेवाओं तक सभी की पहुँच सुनिश्चित करना।
जाति और लिंग भेद उन्मूलन: समाज में मौजूद सभी प्रकार के भेदभाव को समाप्त करने के लिए सचेत प्रयास करना।
सामुदायिक एकजुटता: विविधता में एकता को मजबूत करना और सामाजिक सद्भाव बनाए रखना, जो सतत प्रगति का आधार है।
सुदृढ़ और पारदर्शी शासन (Robust & Transparent Governance)
चौथा परिवर्तन शासन प्रणाली में सुधार से संबंधित है। एक कुशल और पारदर्शी सरकार ही देश को तेज़ी से आगे बढ़ा सकती है।
ईज ऑफ गवर्नेंस: लालफीताशाही (Red-tapism) को कम करना और सरकारी प्रक्रियाओं को डिजिटल बनाना।
भ्रष्टाचार मुक्त प्रणाली: प्रशासन में जवाबदेही और पारदर्शिता सुनिश्चित करना।
कानूनी सुधार: न्याय प्रणाली में तेजी लाना और नागरिकों के अधिकारों की रक्षा करना।
सांस्कृतिक गौरव की पुनर्स्थापना (Restoration of Cultural Pride)
पुनर्जागरण केवल आर्थिक या तकनीकी नहीं होता; यह सांस्कृतिक आत्मविश्वास से भी आता है। अंतिम परिवर्तन, मजूमदार के अनुसार, भारत की प्राचीन बुद्धिमत्ता और सांस्कृतिक मूल्यों की पुनर्स्थापना है।
विश्व गुरु की भूमिका: भारत को अपने ज्ञान, योग और आयुर्वेद जैसी विरासत को वैश्विक मंच पर पुनः स्थापित करना।
शिक्षा में भारतीय ज्ञान: शिक्षा प्रणाली में भारतीय ज्ञान प्रणालियों (IKS) को एकीकृत करना।
सांस्कृतिक कूटनीति: अपनी सॉफ्ट पावर (Soft Power) के माध्यम से वैश्विक स्तर पर भारत की छवि को मजबूत करना।
हेमंत धींग मजूमदार का निष्कर्ष है कि इन पाँचों परिवर्तनों पर एक साथ काम करके ही भारत केवल ‘आर्थिक शक्ति’ नहीं, बल्कि एक सच्चा ‘वैश्विक सभ्यतागत नेता’ बन सकता है, जैसा कि इसका गौरवशाली इतिहास रहा है।
 
			