अयोध्या राम मंदिर: निर्माण कार्य पूर्णता की ओर
श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने निर्माण कार्य की प्रगति की दी जानकारी
- श्री राम जन्मभूमि मंदिर का मुख्य निर्माण कार्य और भक्तों की सुविधा से जुड़े सभी कार्य पूरे हो चुके हैं।
- मुख्य मंदिर और परकोटा क्षेत्र के छह अन्य सहायक मंदिरों पर कलश और ध्वजदंड स्थापित कर दिए गए हैं।
- 25 नवंबर को मंदिर के शिखर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा ‘सूर्य ध्वज’ फहराया जाएगा, जो पूर्णता का औपचारिक ऐलान होगा।
समग्र समाचार सेवा
अयोध्या, 30 अक्टूबर: श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने एक ऐतिहासिक घोषणा करते हुए बताया कि अयोध्या में श्री राम जन्मभूमि मंदिर का संपूर्ण निर्माण कार्य अब पूरी तरह समाप्त हो गया है। उन्होंने सोशल मीडिया और प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से यह जानकारी साझा की, जिससे करोड़ों राम भक्तों में हर्ष की लहर दौड़ गई है। उन्होंने स्पष्ट किया कि मुख्य मंदिर, परिक्रमा पथ, शेषावतार मंदिर और सप्त मंडप सहित सभी प्रमुख संरचनाओं का निर्माण पूर्ण हो चुका है।
चंपत राय ने बताया कि अब केवल वे कार्य शेष हैं जिनका सीधा संबंध दर्शन व्यवस्था से नहीं है, जैसे कि लगभग 3.5 किलोमीटर लंबी चारदीवारी, ट्रस्ट कार्यालय, अतिथि गृह और सभागार का निर्माण। ये कार्य भी प्रगति पर हैं और परिचालन संबंधी आवश्यकताओं के लिए आवश्यक हैं।
आस्था और गौरव का प्रतीक: ‘सूर्य ध्वज’
मंदिर निर्माण की पूर्णता के बाद, अब एक भव्य समारोह की तैयारी है। कार्य समिति के अध्यक्ष नृपेंद्र मिश्रा ने बताया कि जल्द ही मंदिर के शिखर पर 22 फीट ऊंचा ‘सूर्य ध्वज’ फहराया जाएगा।
ध्वजारोहण समारोह: यह ऐतिहासिक ध्वजारोहण समारोह 25 नवंबर को आयोजित किया जाएगा, जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शामिल होने की संभावना है।
धार्मिक महत्व: मिश्रा के अनुसार, शिखर पर ‘पताका’ फहराने की रस्म भक्तों के लिए एक धार्मिक घोषणा की तरह है कि मंदिर अब सभी मायनों में पूर्ण हो चुका है।
प्रतीकात्मकता: ‘सूर्य ध्वज’ भारत की आस्था, संस्कृति और आध्यात्मिक गौरव का प्रतीक होगा। इसमें सूर्य का चिन्ह भगवान श्रीराम के सूर्यवंशी वंश को दर्शाएगा।
भक्तों के लिए सभी सुविधाओं की पूर्णता
ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने इस बात पर जोर दिया कि मंदिर में आने वाले श्रद्धालुओं की सुविधा से जुड़े सभी कार्य पूरी तरह से संपन्न हो चुके हैं।
सहायक मंदिर: मुख्य परिसर के भीतर स्थापित छह सहायक मंदिरों (भगवान शिव, गणेश, हनुमान, सूर्यदेव, देवी भगवती, देवी अन्नपूर्णा और शेषावतार मंदिर) का निर्माण पूरा हो गया है और उन पर भी कलश व ध्वजदंड स्थापित हो चुके हैं।
मंडप और मूर्तियाँ: महर्षि वाल्मीकि, वशिष्ठ, विश्वामित्र, अगस्त्य, निषादराज, शबरी और ऋषि पत्नी अहिल्या को समर्पित सप्त मंडप भी पूरी तरह से निर्मित हैं। इसके अतिरिक्त जटायु और गिलहरी की मूर्तियाँ भी स्थापित की जा चुकी हैं, जो राम के प्रति भक्ति और सेवा का प्रतीक हैं।
बुनियादी ढांचा: मानचित्र के अनुसार सड़कों पर पत्थर लगाने और फ़्लोरिंग का कार्य L&T द्वारा लगभग पूरा कर लिया गया है, जबकि 10 एकड़ में फैले पंचवटी क्षेत्र के सौंदर्यीकरण और हरियाली का कार्य GMR द्वारा तेजी से किया जा रहा है।
भव्य समारोह की तैयारियां
पूर्णता की घोषणा के साथ ही, 25 नवंबर को होने वाले ध्वजारोहण समारोह की तैयारियां भी जोरों पर हैं। इस धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व के कार्यक्रम के लिए 6,000 से 8,000 अतिथियों की सूची तैयार की गई है, जिनमें देश के विभिन्न हिस्सों से संत, महात्मा और गणमान्य व्यक्ति शामिल होंगे। अयोध्या एक बार फिर से अपनी आध्यात्मिक और सांस्कृतिक भव्यता का केंद्र बनने के लिए तैयार है।
 
			