उत्तर प्रदेश को सीएम योगी का बड़ा तोहफा — पूर्वांचल एक्सप्रेसवे से 9 जिलों में विकास की नई रफ्तार
तेज़, सुरक्षित और आधुनिक सफर के साथ बढ़ेगा व्यापार, पर्यटन और रोजगार के अवसर
- 
340.824 किलोमीटर लंबा छह लेन वाला पूर्वांचल एक्सप्रेसवे, जिसे आठ लेन तक बढ़ाया जा सकता है
- 
₹22,500 करोड़ की लागत से तैयार, रिकॉर्ड 40 महीनों में पूरा हुआ निर्माण
- 
एक्सप्रेसवे में 22 फ्लाईओवर, 7 रेलवे ओवरब्रिज, 7 बड़े पुल और 271 अंडरपास शामिल
- 
9 जिलों को जोड़ेगा यह मार्ग — लखनऊ, बाराबंकी, अमेठी, सुल्तानपुर, अयोध्या, अंबेडकरनगर, आजमगढ़, मऊ और गाजीपुर
समग्र समाचार सेवा
लखनऊ, 29 अक्टूबर: उत्तर प्रदेश के परिवहन ढांचे में क्रांतिकारी बदलाव लाने वाली परियोजना पूर्वांचल एक्सप्रेसवे (Purvanchal Expressway) ने प्रदेश को विकास की नई दिशा दी है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार के प्रयासों से यह परियोजना आज न केवल यात्रा को सुगम बना रही है, बल्कि पूरे पूर्वी उत्तर प्रदेश की आर्थिक तस्वीर भी बदल रही है।
अक्टूबर 2018 में इस परियोजना पर कार्य शुरू हुआ था और मात्र 40 महीनों के भीतर यह भव्य एक्सप्रेसवे तैयार हो गया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 16 नवंबर 2021 को इसका उद्घाटन किया था। यह छह लेन का राजमार्ग है, जिसे भविष्य में आठ लेन तक बढ़ाने की संभावना रखी गई है।
यह एक्सप्रेसवे लखनऊ से गाजीपुर तक लगभग 340.824 किलोमीटर की दूरी तय करता है और रास्ते में 22 फ्लाईओवर, 7 रेलवे ओवरब्रिज, 7 बड़े पुल, 114 छोटे पुल और 271 अंडरपास जैसे मजबूत इंफ्रास्ट्रक्चर से सुसज्जित है।
इसका निर्माण उत्तर प्रदेश एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण (UPEIDA) ने कराया, जिसकी कुल लागत लगभग ₹22,500 करोड़ रही,  इसमें भूमि अधिग्रहण की लागत भी शामिल है।
सुरक्षित और तेज यात्रा की सुविधा
पूर्वांचल एक्सप्रेसवे को इस तरह डिजाइन किया गया है कि यात्रियों को तेज, सुरक्षित और निर्बाध यात्रा का अनुभव मिले।
कारों के लिए अधिकतम गति सीमा 120 किमी/घंटा तय की गई है, जबकि ट्रक और बस जैसे भारी वाहनों के लिए यह सीमा 80 किमी/घंटा है।
इससे जहां यात्रा समय में भारी कमी आई है, वहीं यातायात भी पहले की तुलना में काफी सुगम हुआ है।
एक्सप्रेसवे की सबसे अनोखी विशेषता है, सुल्तानपुर जिले में स्थित 3.2 किलोमीटर लंबी हवाई पट्टी, जो जरूरत पड़ने पर वायुसेना के लड़ाकू विमानों और हरक्यूलिस C-130J जैसे भारी परिवहन विमानों की लैंडिंग और टेकऑफ के लिए इस्तेमाल की जा सकती है।
यह इसे देश के सबसे आधुनिक और रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण मार्गों में शामिल करती है।
आर्थिक और औद्योगिक लाभ
पूर्वांचल एक्सप्रेसवे के बनने से लखनऊ और गाजीपुर के बीच यात्रा का समय आधा हो गया है।
इससे लोगों को आवागमन में सुविधा तो मिली ही है, साथ ही व्यापार, निवेश और औद्योगिक गतिविधियों को भी नई गति मिली है।
अब पूर्वांचल के किसान, व्यापारी और उद्यमी अपने उत्पादों को बड़े बाजारों तक तेजी से पहुंचा पा रहे हैं।
यह मार्ग अयोध्या, वाराणसी और प्रयागराज जैसे धार्मिक स्थलों को बेहतर कनेक्टिविटी प्रदान करता है, जिससे पर्यटन और सेवा क्षेत्र को भी सीधा लाभ हो रहा है।
विशेषज्ञों का मानना है कि इस एक्सप्रेसवे के कारण क्षेत्र में लॉजिस्टिक हब, औद्योगिक गलियारे और छोटे उद्योगों के लिए नए अवसर पैदा होंगे।
क्षेत्रीय संपर्कता और विकास की नई दिशा
पूर्वांचल एक्सप्रेसवे उत्तर प्रदेश के नौ जिलों, लखनऊ, बाराबंकी, अमेठी, सुल्तानपुर, अयोध्या, अंबेडकरनगर, आजमगढ़, मऊ और गाजीपुर, से होकर गुजरता है।
इन जिलों में सड़क संपर्क में सुधार के साथ-साथ निवेश की संभावनाएं भी बढ़ी हैं।
लखनऊ और दिल्ली जैसे प्रमुख शहरी केंद्रों से जुड़ाव ने इन जिलों को राज्य के विकास मानचित्र पर नई पहचान दी है।
सरकार की योजना इस एक्सप्रेसवे के आसपास औद्योगिक और आर्थिक क्षेत्र (Industrial Corridors) विकसित करने की है, ताकि स्थानीय युवाओं के लिए रोजगार के नए अवसर सृजित हों।
पूर्वांचल एक्सप्रेसवे अब सिर्फ एक सड़क नहीं, बल्कि उत्तर प्रदेश के आर्थिक पुनर्जागरण का प्रतीक बन चुका है।
 
			