ओवैसी का तंज: 17% आबादी को क्यों नहीं डिप्टी सीएम फेस?
एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने महागठबंधन को घेरा; 3% मल्लाह समाज के लिए डिप्टी सीएम चेहरा तो 17% मुस्लिम आबादी को नजरअंदाज क्यों?
- एआईएमआईएम (AIMIM) प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने गोपालगंज की चुनावी सभा में महागठबंधन के डिप्टी सीएम चेहरे को लेकर तीखा तंज कसा।
- ओवैसी ने सवाल उठाया कि अगर बिहार में 3% आबादी वाले मल्लाह समाज के नेता (मुकेश सहनी) को उपमुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार बनाया जा सकता है, तो राज्य की 17% मुस्लिम आबादी को मुख्यमंत्री या उपमुख्यमंत्री पद क्यों नहीं दिया जाता।
- उन्होंने महागठबंधन (आरजेडी) के इस कदम को ‘राजनीतिक भेदभाव’ करार दिया और बीजेपी, जेडीयू, और आरजेडी पर मुसलमानों के अधिकारों की अनदेखी करने का आरोप लगाया।
समग्र समाचार सेवा
गोपालगंज, 29 अक्टूबर: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की सरगर्मियां अपने चरम पर हैं और सभी राजनीतिक दल एक-दूसरे पर जमकर जुबानी हमला कर रहे हैं। इसी क्रम में, ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने आज गोपालगंज के छोटका सांखे में एक चुनावी सभा को संबोधित करते हुए महागठबंधन पर जोरदार हमला बोला। ओवैसी ने महागठबंधन द्वारा वीआईपी (VIP) प्रमुख मुकेश सहनी को उपमुख्यमंत्री पद का चेहरा घोषित किए जाने पर सवाल खड़े किए और इसे राजनीतिक भेदभाव बताया।
3% आबादी को डिप्टी सीएम, 17% को क्यों नहीं?
असदुद्दीन ओवैसी के निशाने पर मुख्य रूप से आरजेडी के नेतृत्व वाला महागठबंधन रहा। ओवैसी ने कहा कि बिहार में मल्लाह समाज (जिससे मुकेश सहनी आते हैं) की आबादी लगभग 3% है, और उसका बेटा डिप्टी सीएम का उम्मीदवार बनाया जाता है। उन्होंने कहा कि 14% आबादी वाले समाज का बेटा (तेजस्वी यादव) मुख्यमंत्री बनता है।
ओवैसी ने तीखे लहजे में सवाल किया, “लेकिन बिहार में 17% आबादी वाले मुसलमानों को न तो मुख्यमंत्री बनने दिया जाता है और न ही उप-मुख्यमंत्री बनने दिया जाता है।” उन्होंने इस नीति को सामाजिक न्याय नहीं, बल्कि खुले तौर पर राजनीतिक भेदभाव करार दिया।
‘जंगल राज’ पर भी बोला हमला
महागठबंधन में मुकेश सहनी की वीआईपी पार्टी की स्थिति पर भी ओवैसी ने तंज कसा। उन्होंने कहा कि मौजूदा वक्त में वीआईपी का न कोई विधायक है और न ही कोई सांसद है, फिर भी उन्हें डिप्टी सीएम का चेहरा बनाया गया है।
ओवैसी ने बीजेपी, जदयू और राजद तीनों प्रमुख दलों को घेरते हुए कहा कि नीतीश कुमार (जेडीयू) 20 साल से सत्ता में हैं, लेकिन उनका ध्यान आज भी राजगीर में धड़कता है। लालू प्रसाद और राबड़ी देवी (आरजेडी) ने 15 साल तक राज किया, लेकिन उनका ध्यान सिर्फ अपने बेटे तेजस्वी यादव पर केंद्रित है। वहीं प्रधानमंत्री मोदी (बीजेपी) का दिल अहमदाबाद में बसता है। उन्होंने आरोप लगाया कि कोई भी दल मुसलमानों के अधिकारों की बात नहीं करता।
ओवैसी ने उन आलोचनाओं का भी जिक्र किया जिसमें उन्हें भाजपा की “बी-टीम” कहा जाता है, यह दर्शाते हुए कि जब वे मुसलमानों के अधिकारों की बात करते हैं तो उन्हें जानबूझकर इस तरह के आरोपों से निशाना बनाया जाता है।
सीमांचल की राजनीति और ओवैसी की चाल
गोपालगंज की यह सभा ओवैसी की बिहार की राजनीति में बढ़ती सक्रियता को दर्शाती है। वे मुख्य रूप से सीमांचल के मुस्लिम बहुल इलाकों में अपनी पकड़ मजबूत करने की कोशिश कर रहे हैं। हालांकि, उन्होंने इस दौरान कांग्रेस उम्मीदवार नवीन यादव का भी समर्थन किया, जो उनकी राजनीतिक रणनीति में एक नया मोड़ दिखाता है। ओवैसी का यह बयान महागठबंधन के ‘सामाजिक न्याय’ के दावों पर सवाल खड़ा करता है और मुस्लिम वोट बैंक में अपनी पैठ बनाने की उनकी कोशिश को तेज करता है।