दिल्ली में महिला कर्मचारियों को नाइट शिफ्ट की अनुमति
राज्य सरकार ने जारी किया नोटिफिकेशन, लिखित सहमति और सुरक्षा इंतज़ाम होंगे अनिवार्य
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महिला कर्मचारियों की लिखित सहमति के बिना नाइट शिफ्ट नहीं।
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एक दिन में अधिकतम 9 घंटे और सप्ताह में 48 घंटे से अधिक काम नहीं होगा।
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ओवरटाइम का भुगतान सामान्य वेतन से दोगुनी दर पर किया जाएगा।
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सभी प्रतिष्ठानों में आंतरिक शिकायत समिति (ICC) गठित करना अनिवार्य।
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CCTV कैमरे और सुरक्षित परिवहन की व्यवस्था करनी होगी।
समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली | 25 अक्टूबर:दिल्ली की महिला कर्मचारी अब दुकानों और अन्य वाणिज्यिक प्रतिष्ठानों में नाइट शिफ्ट में काम कर सकेंगी। राज्य सरकार ने गुरुवार को इस संबंध में नोटिफिकेशन जारी कर औपचारिक मंजूरी दे दी है। हालांकि, किसी भी महिला कर्मचारी को नाइट शिफ्ट में तभी लगाया जा सकेगा जब वह इसके लिए लिखित रूप में सहमत हो।
नोटिफिकेशन की प्रमुख बातें
दिल्ली सरकार के श्रम विभाग ने ‘दिल्ली दुकानदार एवं वाणिज्यिक प्रतिष्ठान अधिनियम, 1954’ में संशोधन करते हुए नए प्रावधान जोड़े हैं।
इनका उद्देश्य महिलाओं को कार्यस्थल पर समान अवसर, सुरक्षा, और सम्मानजनक माहौल देना है।
उपराज्यपाल वी. के. सक्सेना द्वारा स्वीकृत इस प्रस्ताव के तहत नाइट शिफ्ट कर्मचारियों के लिए सुरक्षा, परिवहन और विश्राम जैसी सुविधाओं की जिम्मेदारी नियोक्ता की होगी। लगातार 5 घंटे से ज्यादा काम करवाने की अनुमति नहीं दी जाएगी।
वर्कप्लेस सुरक्षा और निगरानी
हर प्रतिष्ठान को 2013 के यौन उत्पीड़न रोकथाम कानून (Prevention of Sexual Harassment Act, 2013) के तहत आंतरिक शिकायत समिति (ICC) गठित करनी होगी।
सभी वर्कप्लेस पर CCTV कैमरे लगाए जाएंगे और फुटेज कम से कम एक महीने तक सुरक्षित रखनी होगी। आवश्यकता पड़ने पर यह रिकॉर्डिंग मुख्य निरीक्षक (शॉप्स विभाग) को सौंपी जाएगी।
वर्कप्लेस हैरेसमेंट क्या है?
कानून के मुताबिक, कार्यस्थल पर महिलाओं के साथ किसी भी तरह का उत्पीड़न गंभीर अपराध माना जाएगा। इसमें शामिल हैं:
मौखिक उत्पीड़न: गाली-गलौज, ताने, अपमानजनक या डराने वाले शब्द।
शारीरिक उत्पीड़न: गलत तरीके से छूना, धक्का देना या किसी भी प्रकार की हिंसा।
मानसिक उत्पीड़न: काम में जानबूझकर बाधा डालना, भेदभावपूर्ण व्यवहार या अपमानजनक टिप्पणी करना।
ऑनलाइन उत्पीड़न: चैट, ईमेल या सोशल मीडिया के माध्यम से आपत्तिजनक संदेश भेजना।
प्रत्येक महिला कर्मचारी को सुरक्षित माहौल में काम करने का कानूनी अधिकार है, और किसी भी प्रकार की शिकायत को ICC के माध्यम से दर्ज और निपटाया जाना अनिवार्य है।
भारत में कर्मचारियों के 9 बुनियादी अधिकार
1️⃣ नौकरी की शर्तें लिखित रूप में पाने का अधिकार।
2️⃣ तय समय पर काम और आराम दोनों का अधिकार।
3️⃣ समय पर पूरा वेतन पाने का अधिकार।
4️⃣ जाति, धर्म या लिंग के आधार पर भेदभाव से मुक्त वर्कप्लेस का अधिकार।
5️⃣ नौकरी छोड़ने या हटाए जाने से पहले सूचना पाने का अधिकार।
6️⃣ सुरक्षित और सम्मानजनक माहौल में काम करने का अधिकार।
7️⃣ मातृत्व अवकाश (मैटरनिटी लीव) का अधिकार।
8️⃣ सेवा पूरी होने पर ग्रेच्युटी पाने का अधिकार।
9️⃣ EPF, चिकित्सा और पेंशन जैसी सुविधाओं का अधिकार।