संयुक्त राष्ट्र में भारत का करारा जवाब , “पाकिस्तान पहले अपने घर में झाँके”

भारत ने संयुक्त राष्ट्र में किया पाकिस्तान के अत्याचारों का पर्दाफाश, कहा, जम्मू-कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है और रहेगा

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  • भारत के स्थायी प्रतिनिधि हरीश पार्वथानेनी ने संयुक्त राष्ट्र में उठाया पीओके का मुद्दा।
  • पाकिस्तान पर आरोप,  सेना कर रही है दमन और संसाधनों का अवैध दोहन।
  • भारत ने कहा, “पाकिस्तान पहले अपने घर में मानवाधिकार हनन रोके।
  • भारत ने पूरी दुनिया को एक परिवार मानते हुए, वैश्विक एकता की अपील की।

समग्र समाचार सेवा
न्‍यूयॉर्क | 25 अक्टूबर: संयुक्त राष्ट्र महासभा में भारत ने शुक्रवार को पाकिस्तान की खोखली बयानबाजी पर जमकर पलटवार किया और उसे उसकी असलियत का आईना दिखाया। भारत के स्थायी प्रतिनिधि हरीश पार्वथानेनी ने वैश्विक मंच पर साफ और सशक्त शब्दों में कहा कि पाकिस्तान को पहले अपने “घर” यानी पाक-अधिकृत कश्मीर (पीओके) में हो रहे मानवाधिकार उल्लंघनों पर ध्यान देना चाहिए, जहां जनता पाकिस्तान के सैन्य शासन से त्रस्त होकर विद्रोह कर रही है।

 

पार्वथानेनी ने कहा कि भारत हमेशा से यह दोहराता आया है कि जम्मू और कश्मीर केंद्र शासित प्रदेश भारत का अभिन्न और अविभाज्य हिस्सा रहा है, है और हमेशा रहेगा। उन्होंने पाकिस्तान को कठोर शब्दों में कहा कि उसे भारत के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप करने की बजाय अपने कब्जे वाले इलाकों में दमन, हिंसा और अवैध संसाधन दोहन को रोकना चाहिए।

 

उन्होंने संयुक्त राष्ट्र के समक्ष यह तथ्य भी रखा कि पीओके में निरंतर मानवाधिकारों का उल्लंघन, स्थानीय आबादी पर आतंक और दमन का चक्र, तथा संसाधनों की लूट पाकिस्तान की असफल प्रशासनिक और सैन्य नीति का परिणाम है। वहां नागरिकों की आवाज़ को बंदूक के दम पर दबाया जा रहा है। आम लोगों की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, आजीविका का अधिकार, और न्याय तक पहुँच नाम की चीज़ अस्तित्व में नहीं है।

 

भारतीय राजनयिक ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से अपील की कि वह इस वास्तविकता को समझे और इन घोर अत्याचारों के खिलाफ आवाज़ बुलंद करे। उन्होंने कहा, भारत एक प्राचीन सभ्यता है जो ‘वसुधैव कुटुम्बकम्’ — यानी पूरी दुनिया को एक परिवार मानने की भावना में विश्वास रखती है। इसी सोच के कारण भारत हर देश, हर समाज और हर व्यक्ति के सम्मान, अवसर और समृद्धि के लिए प्रयास करता है।”

 

पार्वथानेनी ने यह भी कहा कि भारत हमेशा से वैश्विक दक्षिण (Global South) के देशों के साथ खड़ा रहा है और आगे भी रहेगा। भारत हर क्षेत्र में अपनी विशेषज्ञता, तकनीकी ज्ञान और दीर्घकालिक अनुभव के साथ सहयोग देने के लिए तत्पर है।

 

उन्होंने व्यक्तिगत रूप से सदस्य देशों से आग्रह किया कि वे मिलकर संयुक्त राष्ट्र को “नए युग के अनुरूप, अधिक प्रतिनिधि, जवाबदेह और प्रभावशाली” संस्था बनाने के लिए साथ आएं। भारत ने यह स्पष्ट किया कि दुनिया को नए समय की चुनौतियों के समाधान के लिए, समानता और साझेदारी के आधार पर बने वैश्विक ढांचे की आवश्यकता है, न कि दोहरे मापदंड वाले दृष्टिकोण की।

 

संयुक्त राष्ट्र के मंच से भारत का यह वक्तव्य केवल पाकिस्तान की विफल नीति की आलोचना नहीं था, बल्कि यह एक व्यापक संदेश था — कि भारत किसी भी मुद्दे पर सिद्धांतों से समझौता नहीं करेगा, और राष्ट्रीय अखंडता पर कोई प्रश्नचिह्न बर्दाश्त नहीं करेगा।

 

इस बयान के बाद अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों ने भारत की कूटनीतिक रणनीति की सराहना की। उन्होंने कहा कि भारत की यह पहल न केवल मानवाधिकारों के प्रति उसकी प्रतिबद्धता को दिखाती है, बल्कि यह भी रेखांकित करती है कि भारत अब वैश्विक नैतिक नेतृत्व की भूमिका निभाने के लिए तैयार है।

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