“अब्दुल तू चुप बैठ, BJP आ जाएगी”: AIMIM का महागठबंधन पर हमला
बिहार चुनाव: 18% मुस्लिम आबादी को दरकिनार कर 2% वोट वाले को डिप्टी सीएम चेहरा बनाने पर ओवैसी की पार्टी भड़की
- बिहार महागठबंधन द्वारा तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री और VIP अध्यक्ष मुकेश सहनी को उपमुख्यमंत्री का चेहरा बनाने पर AIMIM ने तीखी आपत्ति जताई।
- AIMIM ने तंज कसा कि 18% मुस्लिम आबादी को दरकिनार कर 2% वोट बैंक वाले को डिप्टी सीएम का चेहरा बनाया गया है, जबकि मुस्लिम समाज ‘दरी बिछावन मंत्री’ बनकर रह गया है।
- AIMIM ने इस दौरान ‘अब्दुल तू चुप बैठ, वरना BJP आ जाएगी’ वाले बयान का उल्लेख किया, जो भाजपा के डर का हवाला देकर मुस्लिम समुदाय को चुप कराने की ओर इशारा करता है।
समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली/पटना, 24 अक्टूबर: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के लिए विपक्षी महागठबंधन द्वारा मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री चेहरे की घोषणा के बाद राजनीतिक गलियारों में एक नया विवाद शुरू हो गया है। राष्ट्रीय जनता दल (RJD) नेता तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री और विकासशील इंसान पार्टी (VIP) के अध्यक्ष मुकेश सहनी को उपमुख्यमंत्री का चेहरा घोषित किए जाने पर असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी AIMIM (ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन) ने तीखी प्रतिक्रिया दी है।
AIMIM की यह नाराजगी बिहार की मुस्लिम आबादी (जो लगभग 17.7 प्रतिशत है) को उपमुख्यमंत्री पद के लिए चेहरा नहीं बनाने को लेकर है। उत्तर प्रदेश AIMIM के अध्यक्ष शौकत अली ने सोशल मीडिया पर यह टिप्पणी करते हुए महागठबंधन पर निशाना साधा।
2% वोट बनाम 18% आबादी: सत्ता में हिस्सेदारी का सवाल
शौकत अली ने अपनी टिप्पणी में जातीय और जनसंख्या के आंकड़ों का हवाला देते हुए महागठबंधन पर मुस्लिम समुदाय की अनदेखी का आरोप लगाया। उन्होंने कहा, “2% वाला उपमुख्यमंत्री, 13% वाला मुख्यमन्त्री, 18% वाला दरी बिछावन मन्त्री।” यह तंज सीधे तौर पर मुकेश सहनी की पार्टी VIP की निषाद जाति की ओर इशारा करता है, जो अति पिछड़े वर्ग में आती है और जिनकी आबादी एक सीमित हिस्सा है, जबकि मुस्लिम समाज को उपमुख्यमंत्री पद के लायक नहीं समझा गया।
AIMIM का कहना है कि बिहार में 47 विधानसभा सीटें ऐसी हैं, जहाँ मुस्लिम मतदाता निर्णायक भूमिका निभा सकते हैं, और 11 सीटें तो ऐसी हैं जहाँ उनकी आबादी 40 प्रतिशत से अधिक है। इसके बावजूद, समुदाय को राजनीतिक भागीदारी में सबसे ऊपरी पायदान पर स्थान नहीं दिया गया। AIMIM लगातार यह सवाल उठा रही है कि जब मुस्लिम समाज राज्य की राजनीति में इतना बड़ा हिस्सेदार है, तो उन्हें सत्ता की बागडोर में क्यों शामिल नहीं किया जाता।
‘अब्दुल तू चुप बैठ’ वाला भय फैक्टर
AIMIM के अध्यक्ष शौकत अली ने अपनी टिप्पणी में उस ‘भय फैक्टर’ का भी उल्लेख किया जो अक्सर मुस्लिम समुदाय को मुख्यधारा की राजनीति में खुलकर बोलने से रोकता है। उन्होंने लिखा, “जब हम कुछ कहेंगे तो बोलेंगे अब्दुल तू चुप बैठ वरना BJP आ जायेगी।”
यह बयान उन राजनीतिक दलों पर कटाक्ष है जो मुस्लिम समुदाय को भाजपा का डर दिखाकर उनका वोट हासिल करने की कोशिश करते हैं, लेकिन उन्हें राजनीतिक भागीदारी में उचित स्थान नहीं देते। AIMIM का यह स्टैंड बिहार में मुस्लिम मतों के ध्रुवीकरण और महागठबंधन के पारंपरिक मुस्लिम-यादव (M-Y) समीकरण में सेंध लगाने की रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है। AIMIM की एंट्री से बिहार चुनाव में मुस्लिम वोटों के बंटवारे की संभावना बढ़ जाती है, जिससे कई सीटों पर राजनीतिक समीकरण बदल सकते हैं।
महागठबंधन की सफाई और सहनी का कद
मुकेश सहनी समर्थकों के बीच ‘सन ऑफ मल्लाह’ के नाम से मशहूर हैं और निषाद जाति से आते हैं। उपमुख्यमंत्री पद के लिए उनके नाम की घोषणा कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अशोक गहलोत ने की थी। गहलोत ने यह भी स्पष्ट किया था कि महागठबंधन की सरकार बनने पर समाज के अन्य वर्गों से भी उपमुख्यमंत्री बनाए जाएंगे, हालांकि संख्या स्पष्ट नहीं थी।
AIMIM के इस हमले ने महागठबंधन पर दबाव बढ़ा दिया है कि वह मुस्लिम समुदाय को और अधिक राजनीतिक आश्वासन दे। हालांकि, महागठबंधन के नेता AIMIM पर वोट कटवा होने का आरोप लगाते हैं और कहते हैं कि ओवैसी की पार्टी केवल BJP को फायदा पहुंचाने का काम करती है। यह बयानबाजी दर्शाती है कि बिहार चुनाव में जाति, आबादी और राजनीतिक हिस्सेदारी का मुद्दा कितना महत्वपूर्ण होने वाला है।