साने ताकाइची बनीं जापान की पहली महिला प्रधानमंत्री: एक नए युग की शुरुआत
64 वर्षीय 'आयरन लेडी' ने पुरुषप्रधान राजनीति में चुनौती दी, जापान में महिला नेतृत्व को नई दिशा दी
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साने ताकाइची इतिहास रचते हुए जापान की पहली महिला प्रधानमंत्री बनीं, उन्होंने शिगेरु इशिबा की जगह ली।
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उन्होंने जापानी जनता को “घोड़े की तरह काम करने” का आह्वान किया और पुनर्निर्माण के लिए कड़ी मेहनत का संदेश दिया।
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ताकाइची को दक्षिणपंथी और रूढ़िवादी नेता माना जाता है, जो जापान की सैन्य और आर्थिक मजबूती पर जोर देती हैं।
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत विश्व के कई नेताओं ने उनके भारत-जापान संबंधों को मजबूत बनाने की आशा जताई।
समग्र समाचार सेवा
टोक्यो, 21 अक्टूबर: 2025 का वह दिन जापानी राजनीति के लिए ऐतिहासिक साबित हुआ जब 64 वर्षीय साने ताकाइची ने जापान की पहली महिला प्रधानमंत्री बनकर इतिहास रच दिया। लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी (LDP) की प्रमुख ताकाइची, जो पूर्व ब्रिटिश प्रधानमंत्री मार्गरेट थैचर की प्रशंसक और पूर्व जापानी प्रधानमंत्री शिंजो आबे की करीबी सहयोगी हैं, ने पुरुषप्रधान और रूढ़िवादी जापानी राजनीतिक व्यवस्था में अपनी मजबूत पकड़ बनाई। उनकी यह सफलता जापानी महिलाओं के लिए नए रास्ते खोलने वाली क्रांति का प्रतीक है।
साने ताकाइची का जन्म 7 मार्च 1961 को जापान के नारा प्रांत में हुआ। उन्होंने कोबे विश्वविद्यालय से व्यवसाय प्रबंधन में स्नातक की डिग्री हासिल की और एक समय टीवी एंकर भी रहीं। 1987 में अमेरिका की राजधानी वॉशिंगटन डी.सी. जाकर अमेरिकी कांग्रेस में डेमोक्रेटिक रिप्रेजेंटेटिव पैट श्रोएडर की फेलोशिप प्राप्त की। 1992 में उन्होंने स्वतंत्र प्रत्याशी के रूप में राजनीति में पदार्पण किया लेकिन हार का सामना किया। इसके बाद वे लगातार दस बार सांसद चुनी गईं और 1993 में लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी में शामिल होकर पारंपरिक पुरुषप्रधान जापानी राजनीति में अपनी पहचान बनाई।
उनका राजनीतिक रुख काफी कट्टर और रूढ़िवादी माना जाता है। उन्हें “आयरन लेडी” भी कहा जाता है क्योंकि वे कठोर निर्णय लेने वाली और दृढ़संकल्प महिला नेता के रूप में जानी जाती हैं। उनका राजनीतिक नारा “जापान फर्स्ट” है। वे जापान की सैन्य क्षमता बढ़ाने, आर्थिक सुधारों को लागू करने, साइबर सुरक्षा को मजबूत करने, और राष्ट्रीय सुरक्षा को सर्वोपरि रखने में विश्वास रखती हैं। उनकी प्रमुख नीतियों में यासुकुनी मंदिर की पूजा और चीन विरोधी रुख भी शामिल है, जिससे वह क्षेत्रीय राजनीति में विवाद का केंद्र बनीं हैं।
2025 के संसदीय चुनावों के बाद तीन महीने चले राजनीतिक गतिरोध के समय, साने ताकाइची ने दक्षिणपंथी जापान इनोवेशन पार्टी के साथ गठबंधन किया और संसद में स्पष्ट बहुमत हासिल कर नए प्रधानमंत्री बनीं। उन्होंने अपने शपथ ग्रहण के दिन एक ऐतिहासिक भाषण दिया जिसमें उन्होंने जनता से कहा कि वे “घोड़े की तरह काम करेंगी” और जापान की पुनर्निर्माण यात्रा में सभी की भागीदारी जरूरी है। उन्होंने वर्क-लाइफ बैलेंस को त्यागने की बात कही और देश के हर वर्ग से कड़ी मेहनत की अपील की।
साने ताकाइची का प्रधानमंत्री पदभार संभालना जापान में महिलाओं के लिए राजनीतिक नेतृत्व के नए युग की शुरुआत है। यह कदम न केवल लैंगिक समानता को बढ़ावा देगा बल्कि रूढ़िवादी राजनीतिक पद्धति में बदलाव और एक अधिक समावेशी समाज की नींव रखेगा। भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी उन्हें बधाई दी है और भारत-जापान के रणनीतिक और वैश्विक साझेदारी को मजबूत बनाने की आशा जताई है।
समाज में महिलाओं के लिए यह एक प्रेरणा है कि साने जैसे दृढ़ निश्चयी और सक्षम महिला नेता पुरूषप्रधान राजनीति के किले में सेंध लगा सकती हैं और सर्वोच्च पदों पर काबिज हो सकती हैं। यह एक नई क्रांति है जो जापान और विश्व स्तर पर महिला सशक्तिकरण की चेतना को और प्रबल करेगी।
साने ताकाइची के नेतृत्व में जापान ने 2025 में न केवल एक महिला प्रधानमंत्री के रूप में ऐतिहासिक पहला कदम रखा है, बल्कि एक बड़े बदलाव और नवाचार की ओर भी मजबूत संकेत दिए हैं जो आने वाले समय में जापानी समाज और राजनीति दोनों को नई दिशा देंगे। यह समय है महिलाओं के नेतृत्व और उनके विकास के लिए जागरूकता का, और साने ताकाइची इस बदलाव की सबसे बड़ी मिसाल हैं।