जन सुराज के तीन उम्मीदवारों को जबरन हटाया: PK ने बिहार BJP पर ‘सूरत कांड’ का आरोप लगाया
प्रशांत किशोर ने अमित शाह और धर्मेंद्र प्रधान पर लगाया उम्मीदवारों को धमकाने का गंभीर आरोप; जारी की तस्वीरें
- प्रशांत किशोर ने बीजेपी पर जन सुराज के तीन उम्मीदवारों को डरा-धमकाकर चुनाव से हटने के लिए मजबूर करने का आरोप लगाया।
- उन्होंने इस घटना को बिहार में लोकतंत्र का अपमान और गुजरात के ‘सूरत कांड’ की पुनरावृत्ति बताया।
- पीके ने गृह मंत्री अमित शाह और केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान के साथ उम्मीदवारों की तस्वीरें जारी कर अपने आरोपों की पुष्टि करने का दावा किया।
समग्र समाचार सेवा
पटना, 22 अक्टूबर: चुनावी रणनीतिकार से नेता बने प्रशांत किशोर (पीके) ने बिहार विधानसभा चुनाव के बीच एक बड़ा राजनीतिक आरोप लगाते हुए भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) पर सनसनीखेज हमला किया है। ‘जन सुराज’ पार्टी के संस्थापक प्रशांत किशोर ने दावा किया है कि बीजेपी के शीर्ष नेताओं ने दबाव बनाकर उनकी पार्टी के तीन घोषित उम्मीदवारों को चुनाव न लड़ने के लिए मजबूर किया। उन्होंने इस घटना को लोकसभा चुनाव के दौरान गुजरात के सूरत में हुए ‘कांड’ से जोड़ते हुए इसे बिहार में लोकतंत्र का अपमान बताया है।
तीन सीटों पर दबाव, ‘जन सुराज’ का खुलासा
प्रशांत किशोर ने मंगलवार को पटना में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर खुलासा किया कि पिछले चार-पांच दिनों में दानापुर, ब्रह्मपुर और गोपालगंज विधानसभा सीटों पर उनकी पार्टी के घोषित उम्मीदवारों को जबरन चुनावी मैदान छोड़ने के लिए बाध्य किया गया।
दानापुर (Danapur): पीके ने बताया कि दानापुर से जन सुराज के उम्मीदवार अखिलेश कुमार उर्फ मुटुर साव के कथित अपहरण की खबर झूठी थी। उन्होंने आरोप लगाया कि मुटुर साव को किसी ने अगवा नहीं किया, बल्कि गृह मंत्री अमित शाह और बीजेपी के नेताओं ने धमकाकर नामांकन दाखिल करने से रोका। आरोपों की पुष्टि के लिए प्रशांत किशोर ने मुटुर साव की गृह मंत्री के साथ मुलाकात की तस्वीर मीडिया को दिखाई।
ब्रह्मपुर (Brahmpur): बक्सर की ब्रह्मपुर सीट से प्रत्याशी डॉ. सत्यप्रकाश तिवारी पर भी केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान और अन्य बीजेपी नेताओं द्वारा दबाव बनाने का आरोप लगाया गया। पीके ने सत्यप्रकाश तिवारी के घर पर हुई मीटिंग की फोटो भी दिखाई, जिसके बाद उन्होंने अचानक अपना नामांकन वापस ले लिया।
गोपालगंज (Gopalganj): गोपालगंज सीट पर जन सुराज के प्रत्याशी डॉ. शशि शेखर सिन्हा पर भी स्थानीय बीजेपी एमएलसी और नेताओं ने दबाव बनाकर नामांकन वापस करा दिया।
बीजेपी पर लोकतंत्र की धज्जियां उड़ाने का आरोप
प्रशांत किशोर ने जोर देकर कहा कि इन घटनाओं को अंजाम देने वाले स्थानीय नेता या गुंडे नहीं, बल्कि भारत सरकार के मंत्री और बीजेपी के शीर्ष नेता हैं। उन्होंने कहा, “लोकतंत्र की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं, सरेआम उम्मीदवारों को धमकी दी जा रही है, उनको घरों में बंद किया जा रहा है और बंद करने वाले लोग स्थानीय नेता नहीं हैं… भारत सरकार के मंत्री हैं।”
पीके ने सवाल उठाया कि देश के गृह मंत्री का मुटुर साव से क्या संबंध है और वह दानापुर में जन सुराज के उम्मीदवार के साथ बैठकर क्या कर रहे हैं। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि वाल्मीकिनगर सीट से जन सुराज के प्रत्याशी दृग नारायण प्रसाद पर भी जदयू के स्थानीय नेताओं की ओर से दबाव बनाया जा रहा है।
प्रशांत किशोर ने दावा किया कि उनकी पार्टी के कुल 14 उम्मीदवारों को धमकियाँ दी जा रही हैं, लेकिन बाकी 240 उम्मीदवार हिम्मत के साथ खड़े हैं। उन्होंने चुनाव आयोग पर भी सवाल उठाते हुए कहा कि “अगर आप उम्मीदवारों की सुरक्षा नहीं कर सकते, तो मतदाताओं की कैसे करेंगे?”
‘जन सुराज नहीं झुकेगा’, PK का पलटवार
प्रशांत किशोर ने इस आरोप के साथ ही बीजेपी को खुली चुनौती दी। उन्होंने कहा कि बीजेपी को महागठबंधन से नहीं, बल्कि जन सुराज से डर लग रहा है, क्योंकि वे जानते हैं कि जन सुराज ईमानदार और सच्चे लोग राजनीति में लाना चाहता है।
उन्होंने कहा, “खरीद लो जितने उम्मीदवार, धमका लो जितनों को धमका सकते हो, घर में बंद कर दो जितनों को करना है… लेकिन जन सुराज पीछे नहीं हटेगा।” पीके ने दोहराया कि उनकी पार्टी चुनाव पूरी ताकत से लड़ेगी, और अगर जन सुराज को 150 से कम सीटें मिलती हैं, तो इसे उनकी हार माना जाएगा।
बीजेपी का पलटवार
प्रशांत किशोर के इन गंभीर आरोपों पर बीजेपी ने तीखा पलटवार किया है। पथ निर्माण मंत्री नितिन नवीन ने कहा कि जब नेता (प्रशांत किशोर) खुद ही चुनाव लड़ने से भाग गया, तो उनके कार्यकर्ता कितनी देर मैदान में टिकेंगे। उन्होंने कहा कि पीके खुद ही चुनाव से पहले भाग गए हैं, इसलिए उनकी पार्टी के उम्मीदवार भी अब मैदान छोड़ रहे हैं। उन्होंने यह भी सवाल किया कि प्रशांत किशोर किस दबाव में खुद चुनाव नहीं लड़े।
यह विवाद बिहार विधानसभा चुनाव के माहौल को और गर्माहट दे रहा है, जहां जन सुराज एनडीए और महागठबंधन के अलावा एक मजबूत तीसरे विकल्प के रूप में उभरने का दावा कर रहा है।