ट्रंप सरकार का ₹88 लाख वाला H-1B ‘वीजा बम’ लागू, भारतीय प्रोफेशनल्स पर सीधा असर
अब से लागू नई फीस, किन्हें मिलेगी छूट — जानिए पूरी जानकारी
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अमेरिका में H-1B वीजा फीस अब $1,00,000 (करीब ₹88 लाख) हो गई, जो पहले $1,700–$4,500 थी।
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नई फीस 21 अक्टूबर 2025 से लागू, केवल अमेरिका के बाहर से दायर नई याचिकाओं पर लागू होगी।
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इस बढ़ी हुई लागत से भारतीय प्रोफेशनल्स और IT कंपनियों पर सबसे अधिक असर पड़ेगा, ग्रीन कार्ड के रास्ते भी कठिन होंगे।
समग्र समाचार सेवा
वॉशिंगटन/नई दिल्ली, 21 अक्टूबर:
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपने ‘टैरिफ बम’ के बाद अब भारतीयों पर ‘वीजा बम’ गिरा दिया है। अमेरिकी प्रशासन ने H-1B वीजा पर एक लाख डॉलर (करीब ₹88 लाख) की नई फीस आज से लागू कर दी है। यह फैसला खास तौर पर उन विदेशी प्रोफेशनल्स को प्रभावित करेगा जो अमेरिका में काम करने के लिए आवेदन करते हैं।
क्या है नया नियम
अमेरिकी इमिग्रेशन एजेंसी USCIS (U.S. Citizenship and Immigration Services) ने स्पष्ट किया है कि 21 सितंबर 2025 की मध्यरात्रि के बाद दायर की गई नई H-1B वीजा याचिकाओं के साथ ₹88 लाख की अतिरिक्त फीस जमा करनी होगी।
यह फैसला राष्ट्रपति ट्रंप की 19 सितंबर की उद्घोषणा के बाद आधिकारिक रूप से प्रभावी हुआ है।
किसे मिलेगी छूट
USCIS ने राहत देते हुए कहा है कि यह नई फीस केवल उन मामलों में लागू होगी जहां उम्मीदवार अमेरिका के बाहर से आवेदन कर रहे हैं।
वहीं, जो लोग पहले से अमेरिका में मौजूद हैं — जैसे F-1 स्टूडेंट जो अब H-1B स्टेटस में बदल रहे हैं, या मौजूदा H-1B वीजा धारक जो विस्तार (Extension) मांग रहे हैं, उन्हें इस भारी फीस से छूट दी गई है।
सरकारी शटडाउन के बीच राहत की गुंजाइश
USCIS ने माना है कि अमेरिका में सरकारी शटडाउन के कारण कुछ आवेदकों को जरूरी दस्तावेज़ जैसे लेबर कंडिशन एप्लीकेशन या टेम्पररी लेबर सर्टिफिकेशन पाने में मुश्किल आ सकती है।
ऐसे मामलों को “असाधारण परिस्थिति (Extraordinary Circumstances)” माना जाएगा और देरी के बावजूद आवेदन स्वीकार किए जा सकते हैं।
भारतीयों पर सबसे बड़ा असर
हर साल अमेरिका करीब 85,000 H-1B वीजा जारी करता है, जिनमें से करीब 70% भारतीयों को मिलते हैं।
पहले जहां वीजा फीस $1,700 से $4,500 तक थी, अब यह बढ़कर $1,00,000 हो गई है।
विशेषज्ञों का मानना है कि इससे भारतीय प्रोफेशनल्स के लिए अमेरिका में नौकरी पाना कठिन हो जाएगा। कंपनियां अब केवल बेहद कुशल और अनुभवशाली कर्मचारियों के लिए ही इतनी महंगी फीस चुकाने को तैयार होंगी।
ग्रीन कार्ड के रास्ते में भी रुकावट
विशेषज्ञों के अनुसार, इस बढ़ी हुई लागत से अमेरिकी कंपनियां अब भारतीय कर्मचारियों के लिए ग्रीन कार्ड स्पॉन्सर करने से भी पीछे हट सकती हैं। इससे भारतीयों का अमेरिका में बसने का सपना और दूर होता दिखाई दे रहा है।
मुख्य बिंदु संक्षेप में
नई फीस लागू: 21 अक्टूबर 2025 से
फीस राशि: $1,00,000 (₹88 लाख)
छूट: अमेरिका में पहले से रह रहे आवेदकों को
प्रभावित: अमेरिका के बाहर से नई H-1B याचिकाएँ दायर करने वाले
असर: भारतीय प्रोफेशनल्स पर सबसे ज्यादा दबाव