प्रिया तेंदुलकर का दर्दनाक सफर: एक खूबसूरत मगर अभागी एक्ट्रेस
महान नाटककार की बेटी, जिसने एयर होस्टेस से लेकर दूरदर्शन की स्टार तक का सफर तय किया
भारतीय टेलीविजन के इतिहास में कुछ चेहरे ऐसे हैं, जो समय के साथ अमर हो जाते हैं। उन्हीं में से एक नाम है प्रिया तेंदुलकर, जिन्हें आज भी उनके प्रतिष्ठित किरदार ‘रजनी’ के नाम से याद किया जाता है। 19 अक्टूबर, 1954 को जन्मी प्रिया तेंदुलकर का जीवन जितना खूबसूरत था, उतना ही दर्दनाक और अभागी भी रहा। कला और साहित्य के माहौल में पली-बढ़ीं प्रिया ने महज 47 साल की उम्र में कैंसर के कारण दुनिया को अलविदा कह दिया। आज उनके जन्मदिन के अवसर पर, हम इस बहुमुखी कलाकार की छोटी मगर प्रेरणादायक कहानी को याद कर रहे हैं।
लेखन और कला से गहरा लगाव
प्रिया तेंदुलकर महान नाटककार विजय तेंदुलकर की बेटी थीं। बचपन से ही, उन्हें घर के साहित्यिक माहौल का गहरा प्रभाव मिला। उन्हें लिखने-पढ़ने से बड़ा लगाव था और वह अपनी कक्षा में हमेशा अव्वल आती थीं।
प्रिया ने पॉलिटिकल साइंस में डिग्री हासिल की, जो उनकी बौद्धिक क्षमता को दर्शाती है। इसके साथ ही, उन्हें चित्रकारी (पेंटिंग) का भी बड़ा शौक था और उन्होंने इस कला में डिप्लोमा भी प्राप्त किया था। यह कला के प्रति उनके गहरे और बहुमुखी रुझान को दिखाता है—वह केवल अभिनय तक सीमित नहीं थीं, बल्कि एक पूर्ण कलाकार थीं।
रिसेप्शनिस्ट से एयर होस्टेस तक का सफर
अभिनय और लेखन के क्षेत्र में उतरने से पहले, प्रिया तेंदुलकर ने कई ऐसे काम किए जो उन्हें जीवन का एक व्यापक अनुभव देते थे। उन्होंने अपने करियर की शुरुआत एक फाइव स्टार होटल में रिसेप्शनिस्ट के रूप में की थी। इसके बाद उन्होंने एयर होस्टेस के रूप में भी काम किया।
इन अलग-अलग अनुभवों ने उन्हें एक मजबूत और आत्मनिर्भर महिला बनाया। बाद में, उन्होंने प्रोफेशनल मॉडलिंग में भी अपनी किस्मत आजमाई और दूरदर्शन पर न्यूज़ रीडिंग भी की। ये सभी पड़ाव उनके जीवन की विविधता और हर क्षेत्र में खुद को आज़माने की उनकी हिम्मत को दर्शाते हैं।
‘रजनी’ ने बनाया घर-घर का चेहरा
प्रिया तेंदुलकर के करियर का सबसे महत्वपूर्ण मोड़ 1980 के दशक में आया, जब उन्होंने दूरदर्शन के लोकप्रिय टीवी धारावाहिक ‘रजनी’ में मुख्य भूमिका निभाई। यह शो उस समय सामाजिक बुराइयों और भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज़ उठाने वाला एक क्रांतिकारी धारावाहिक था।
प्रिया ने ‘रजनी’ का किरदार इस कदर जीवंत कर दिया था कि लोग उन्हें उनके वास्तविक नाम ‘प्रिया’ के बजाय ‘रजनी’ के नाम से ही पहचानने लगे थे। यह किरदार आज भी जागरूक, निडर और न्यायप्रिय महिला का प्रतीक माना जाता है। इस शो ने उन्हें भारत का बेहद लोकप्रिय चेहरा बना दिया था।
अपने अभिनय के अलावा, प्रिया तेंदुलकर एक सफल लेखिका भी थीं। उन्होंने कई मराठी अखबारों में कॉलम लिखे और कई किताबें प्रकाशित कीं, जिनमें ‘श्यामला’ (Shyamla) और ‘जे घर माजे’ (Je Ghar Maze) जैसी कृतियाँ शामिल हैं।
अंतिम समय और दर्दनाक अंत
प्रिया तेंदुलकर का व्यक्तिगत जीवन भी तमाम दर्दों से भरा रहा। उनकी शादी अभिनेता करण राजदान से हुई थी, लेकिन यह रिश्ता लंबा नहीं चला और उनका तलाक हो गया।
प्रिया तेंदुलकर की मृत्यु 47 साल की कम उम्र में 19 सितंबर, 2002 को मुंबई में हुई। उनकी मृत्यु का कारण सर्वाइकल कैंसर था, जिसकी वजह से उन्हें अपने जीवन के अंतिम पड़ाव में काफी शारीरिक और मानसिक पीड़ा झेलनी पड़ी। एक ऐसी खूबसूरत और बहुमुखी प्रतिभा वाली कलाकार का इतनी जल्दी दुनिया से चले जाना कला जगत के लिए एक बड़ी क्षति थी।
प्रिया तेंदुलकर का जीवन हमें सिखाता है कि कला और रचनात्मकता की कोई सीमा नहीं होती। उन्होंने अपनी छोटी-सी ज़िंदगी में कई भूमिकाएं निभाईं और ‘रजनी’ के रूप में एक ऐसी छाप छोड़ी, जिसे आने वाली पीढ़ियां भी याद रखेंगी।