अखिलेश यादव के बयान ने सुलगाई सियासत की चिंगारी!

दिवाली पर ‘फेस्टिवल पॉलिटिक्स’ की आग:

कृपया इस पोस्ट को साझा करें!

पूनम शर्मा
भारत में दिवाली का मतलब सिर्फ दीये, मिठाइयाँ और रोशनी नहीं… अब राजनीति की चमक-दमक भी इस त्योहार से जुड़ चुकी है। उत्तर से दक्षिण तक दीपों का सैलाब उमड़ रहा है, अयोध्या जगमगा रही है — लेकिन इसी बीच समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव का एक बयान आया जिसने मानो इस रोशनी में सियासत की चिंगारी भड़का दी।

अयोध्या बनी ‘प्रकाश नगरी’, दीपोत्सव ने तोड़े रिकॉर्ड

योगी सरकार के आने के बाद अयोध्या में दिवाली सिर्फ एक त्योहार नहीं, बल्कि ग्लोबल शोकेस बन गई है। इस बार 26 लाख दीये अयोध्या में जलाने का लक्ष्य रखा गया है और पूरे उत्तर प्रदेश में करीब 1 करोड़ दीये जलेंगे। कल्पना कीजिए — पूरा प्रदेश एक साथ रोशनी में नहाएगा।

सरकार का दावा है कि इस आयोजन से 25,000 करोड़ रुपये का टूरिज़्म बूस्ट होता है। होटल्स से लेकर मिठाई की दुकानों तक — हर जगह रौनक है। लेकिन जहाँ दीप जल रहे हैं, वहीं कुछ राजनीतिक गलियारों में नाराजगी की ‘धुंआ’ भी उठने लगा है।

 पटाखे, दीये और राजनीति — ‘फेस्टिवल पॉलिटिक्स’ का नया चेहरा

हर साल दिवाली पर एक पुराना ‘सियासी स्क्रिप्ट’ दोहराई जाती है—

कोई पटाखों पर प्रतिबंध की बात करता है,

कोई पर्यावरण की चिंता जताता है,

और कुछ लोग इसे ‘हिंदू त्योहारों पर निशाना’ बताते हैं।

बीजेपी नेताओं का आरोप है कि विपक्षी पार्टियां जानबूझकर हिंदू त्योहारों को निशाना बनाकर वोट बैंक की राजनीति करती हैं। एक नेता ने तंज कसा—

“पटाखों की आवाज़ से कुछ लोग डरते हैं… और कुछ के वोट बैंक हिल जाते हैं।”

यादव राजनीति’ — अंदर ही अंदर चल रहा पावर गेम

ये विवाद सिर्फ दीयों तक सीमित नहीं। असली खेल यादव राजनीति का भी है। तेजस्वी यादव और अखिलेश यादव — दोनों मुस्लिम और यादव वोटों पर पकड़ मजबूत करने की ‘साइलेंट लड़ाई’ में लगे हैं।
राजनीतिक गलियारों में यह चर्चा गर्म है कि अखिलेश यादव ने यह बयान 2027 के यूपी चुनावों को ध्यान में रखकर दिया।

“अखिलेश का बयान सिर्फ त्यौहार पर नहीं था, यह संदेश था — मैं हूँ असली खिलाड़ी।”

बीजेपी ने इस पर पलटवार करते हुए कहा—

“यादव समाज का ठेका किसी एक परिवार के पास नहीं। हमारी पार्टी ने भी यादव समाज को सम्मान दिया है।”

महागठबंधन में ‘टिकट की तकरार’, दिवाली पर बढ़ी तल्खी

उधर बिहार में महागठबंधन की राजनीति भी दिवाली के मौके पर ‘फटाकों’ की तरह फूट पड़ी। तेजस्वी यादव की पार्टी और कांग्रेस में सीट बंटवारे को लेकर जबरदस्त तनातनी है। आरोप है कि टिकट के नाम पर मोटी रकम ली गई और सीटें बांट दी गईं।

इन सबके बीच अखिलेश यादव ने विपक्षी खेमे में खुद को ‘मोस्ट रिलायबल पार्टनर’ के रूप में प्रोजेक्ट करने की चाल चली है। यही वजह है कि उनका दिवाली में मोमबत्ती वाला बयान महज धार्मिक नहीं, गहराई से राजनीतिक माना जा रहा है।

संविधान की दुहाई और संस्थाओं पर निशाना

अखिलेश यादव ने चुनाव आयोग और न्यायिक संस्थाओं पर भी अप्रत्यक्ष वार किया। उन्होंने कहा—

“जो संस्थाएँ  संविधान की रक्षा के लिए हैं, अब वही दबाव में काम कर रही हैं।”

बीजेपी ने इस बयान को ‘संविधान पर हमला’ बताया। एक प्रवक्ता ने कहा—

“संविधान की दुहाई देने वाले ही अब संविधानिक संस्थाओं पर हमला कर रहे हैं। यह राजनीति का दोहरा चेहरा है।”

 त्योहारों के मंच से चुनावी रणनीति

राजनीतिक पंडितों के अनुसार, विपक्षी दलों ने त्योहारों को अब सिर्फ ‘कल्चर’ नहीं बल्कि ‘पॉलिटिकल बैटलग्राउंड’ के रूप में देखना शुरू कर दिया है।

नवरात्र पर गरबा विवाद,

दशहरा पर रावण जलाने की आलोचना,

और अब दिवाली पर अयोध्या दीपोत्सव पर बयान।

हर बार मुद्दा वही — हिंदू त्योहारों पर बयान, फिर राजनीति, फिर ध्रुवीकरण।

2027 की बिसात पर अखिलेश का दांव

अखिलेश यादव का बयान यूं ही नहीं आया। 2027 के यूपी विधानसभा चुनावों की बिसात बिछ चुकी है।

योगी सरकार राम मंदिर और अयोध्या को केंद्र में रखकर चुनावी नैरेटिव मजबूत कर रही है।

अखिलेश यादव इस ‘धार्मिक स्पेस’ में सेंध लगाना चाहते हैं — बिना सीधे हिंदुत्व का विरोध किए।

तेजस्वी यादव और कांग्रेस से तालमेल रखते हुए वे ‘पॉलिटिकल पोज़िशनिंग’ कर रहे हैं।

 जब दीये जलते हैं, तो सियासत भी सुलगती है

जो कभी सिर्फ परिवार, रोशनी और खुशियों का त्योहार हुआ करता था — अब राजनीति का नया अखाड़ा बन गया है।
अखिलेश यादव का बयान इसी अखाड़े में फेंका गया एक चुनावी गोला है, जिसने विपक्ष और सत्ताधारी दलों के बीच नई बहस को जन्म दे दिया है।

अब देखना होगा कि ये चिंगारी 2027 तक आग बनती है या बुझ जाती है। लेकिन इतना तय है — दिवाली की रोशनी में अब राजनीति की परछाइयां पहले से कहीं गहरी दिख रही हैं।

कृपया इस पोस्ट को साझा करें!
Leave A Reply

Your email address will not be published.