पर्यटन और संस्कृति मंत्रालय की प्रमुख पहलों की उपराष्ट्रपति ने की सराहना

उपराष्ट्रपति सी. पी. राधाकृष्णन का आह्वान: गंतव्य-विशिष्ट पर्यटन और वैश्विक सर्वोत्तम प्रथाओं को अपनाएं

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  • डेस्टिनेशन-विशिष्ट पर्यटन: उपराष्ट्रपति ने भारत की विशाल सांस्कृतिक और प्राकृतिक क्षमता का उपयोग करने के लिए गंतव्य-विशिष्ट पर्यटन (Destination-specific tourism) पर ज़ोर दिया, जिसमें विशेष रूप से चिकित्सा और आध्यात्मिक पर्यटन को बढ़ावा दिया जाए।
  • वैश्विक सहयोग: उन्होंने पर्यटन अनुभव को विश्व स्तरीय बनाने के लिए अंतर्राष्ट्रीय टूर ऑपरेटरों के साथ सहयोग और सभी हितधारकों के साथ मिलकर काम करने के महत्व को रेखांकित किया।
  • संग्रहालय प्रबंधन में सुधार: उपराष्ट्रपति ने संग्रहालयों और विरासत प्रबंधन में वैश्विक सर्वोत्तम प्रथाओं को अपनाने और भावी पीढ़ियों के लिए समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने पर निरंतर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता पर बल दिया।

समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 18 अक्टूबर: केन्द्रीय संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री श्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने राज्य मंत्रियों श्री राव इंद्रजीत सिंह और श्री सुरेश गोपी के साथ आज संसद भवन में भारत के उपराष्ट्रपति श्री सी. पी. राधाकृष्णन से मुलाकात की।

इस महत्वपूर्ण बैठक के दौरान, उपराष्ट्रपति को पर्यटन मंत्रालय और संस्कृति मंत्रालय के कामकाज, उपलब्धियों, प्रमुख पहलों और भविष्य की योजनाओं के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई।

पर्यटन को बढ़ावा देने पर केंद्रित प्रयास

उपराष्ट्रपति को पर्यटन और आतिथ्य क्षेत्रों को बढ़ावा देने के लिए सरकार के केंद्रित प्रयासों से अवगत कराया गया। उपराष्ट्रपति ने मंत्रालय के प्रयासों की सराहना की और भारत की पर्यटन क्षमता को और मजबूत करने के लिए अतिरिक्त सुझाव दिए।

उन्होंने निम्नलिखित पहलों पर जोर दिया:

चिकित्सा (Medical Tourism): भारत को स्वास्थ्य और कल्याण के लिए एक वैश्विक केंद्र बनाने हेतु चिकित्सा पर्यटन पर विशेष ध्यान दिया जाए।

आध्यात्मिक पर्यटन (Spiritual Tourism): भारत की आध्यात्मिक विरासत का लाभ उठाने के लिए धार्मिक और आध्यात्मिक स्थलों को विश्व स्तरीय सुविधाओं से जोड़ा जाए।

अंतर्राष्ट्रीय गठजोड़: अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को मजबूत करना और संस्कृति, त्योहार और स्थान-विशिष्ट पर्यटन योजनाओं का आयोजन करना, जिससे अधिक विदेशी पर्यटक आकर्षित हों।

उपराष्ट्रपति ने कहा कि सभी हितधारकों को एकजुट होकर काम करना चाहिए ताकि पर्यटकों के लिए विश्व स्तरीय अनुभव बनाया जा सके।

संस्कृति संरक्षण और संवर्धन पर ध्यान

उपराष्ट्रपति को संस्कृति मंत्रालय के प्रमुख अधिदेशों, जिसमें भारत की मूर्त (Tangible) और अमूर्त (Intangible) सांस्कृतिक विरासत का संरक्षण, परिरक्षण और संवर्धन शामिल है, के बारे में भी बताया गया।

उपराष्ट्रपति श्री राधाकृष्णन ने मंत्रालय के व्यापक प्रयासों की सराहना की और भावी पीढ़ियों के लिए भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने पर निरंतर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता पर बल दिया।

वैश्विक मानक अपनाने की आवश्यकता

उन्होंने विशेष रूप से निम्नलिखित बिंदुओं को उजागर किया:

संग्रहालय प्रबंधन: उन्होंने संग्रहालय प्रबंधन में वैश्विक सर्वोत्तम प्रथाओं (Global Best Practices) को अपनाने के महत्व पर ज़ोर दिया ताकि हमारे सांस्कृतिक खजानों को आधुनिक और आकर्षक तरीके से प्रदर्शित किया जा सके।

आर्थिक विकास का लाभ: उपराष्ट्रपति ने विश्वास व्यक्त किया कि भारत की निरंतर आर्थिक वृद्धि सांस्कृतिक संरक्षण और संवर्धन पहलों को और अधिक मजबूती प्रदान करेगी। उन्होंने संकेत दिया कि जैसे-जैसे देश की अर्थव्यवस्था बढ़ेगी, वैसे-वैसे संस्कृति और विरासत को बचाए रखने के लिए अधिक संसाधन उपलब्ध होंगे।

उपराष्ट्रपति ने कहा कि भारत की विशाल सांस्कृतिक और प्राकृतिक क्षमता को पूरी तरह से उपयोग करने के लिए मंत्रालयों को रणनीतिक रूप से आगे बढ़ना होगा। यह बैठक पर्यटन और संस्कृति क्षेत्रों में नवाचार, गुणवत्ता और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देने के लिए सरकार की उच्च स्तरीय प्रतिबद्धता को दर्शाती है।

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