धनतेरस 2025 : प्रदोष काल में करें विधि-विधान से पूजा, मिलेगी आरोग्यता और समृद्धि का वरदान

कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी के दिन धन्वंतरि, माता लक्ष्मी और कुबेर देव की पूजा का विशेष महत्व

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  • धनतेरस से दीपावली पर्व की होती है शुभ शुरुआत
  • प्रदोष काल में पूजा करने से मिलता है 13 गुणा फल
  • मां लक्ष्मी, भगवान धन्वंतरि और कुबेर देव की कृपा से बढ़ता है धन और स्वास्थ्य
  • यम दीपदान से परिवार पर अकाल मृत्यु का साया नहीं आता

समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 18 अक्टूबर: कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को हर वर्ष की तरह इस बार भी धनतेरस का पावन पर्व पूरे देश में श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाया जा रहा है। इस दिन भगवान धन्वंतरि, माता लक्ष्मी और कुबेर देव की पूजा का विशेष महत्व होता है। यह दिन केवल खरीदारी का नहीं बल्कि घर में सुख-समृद्धि, स्वास्थ्य और सौभाग्य का प्रतीक माना जाता है।

धार्मिक मान्यता है कि धनतेरस की पूजा प्रदोष काल में करने से अक्षय पुण्य प्राप्त होता है। इस दिन खरीदी गई वस्तुओं में 13 गुणा वृद्धि होने का आशीर्वाद मिलता है।

धनतेरस पूजा शुभ मुहूर्त 2025

इस वर्ष धनतेरस की पूजा कार्तिक मास की कृष्ण त्रयोदशी को शाम 7 बजकर 15 मिनट से रात 8 बजकर 19 मिनट तक करना शुभ रहेगा। पूजा के दौरान उत्तर या पूर्व दिशा की ओर मुख करके आराधना करनी चाहिए।

धनतेरस पूजा सामग्री

पूजा के लिए भगवान धन्वंतरि, माता लक्ष्मी और कुबेर देव की प्रतिमाएं या चित्र स्थापित करें। पूजा में प्रयुक्त सामग्री इस प्रकार रखें,
दीपक (मिट्टी या पीतल का), रोली, अक्षत, पुष्प, धूप, गंगाजल, कलश, नारियल, आम के पत्ते, चांदी या नए सिक्के, मिठाई, पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद और शक्कर)।

पूजा विधि : ऐसे करें धनतेरस पूजन

धनतेरस के दिन प्रातः स्नान के बाद घर के ईशान कोण को साफ कर पूजा स्थल तैयार करें। प्रदोष काल में भगवान धन्वंतरि की षोडशोपचार विधि से पूजा आरंभ करें।
“ॐ धन्वंतरये नमः” मंत्र का जाप करते हुए दीप जलाएं, उन्हें पंचामृत से स्नान कराएं और तुलसी पत्ते अर्पित करें। इसके बाद फल, फूल, खील-बताशे और मिठाई चढ़ाएं।
पूजन के दौरान 13 दीपक जलाएं और उन्हें घर के विभिन्न कोनों में रखें।

मां लक्ष्मी और भगवान कुबेर की पूजा

इसके बाद मां लक्ष्मी और भगवान कुबेर की पूजा करें। उन्हें रोली-अक्षत से तिलक लगाएं और सिक्के या नया धन अर्पित करें।
मंत्र जाप करें,
“ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं श्री सिद्ध लक्ष्म्यै नमः”
“ॐ यं कुबेराय नमः”
पूजन के बाद आरती करें और परिवार के सभी सदस्यों में प्रसाद बांटें।

दीपदान का महत्व

धनतेरस की रात दक्षिण दिशा में यम दीपक जलाना शुभ माना जाता है। घर के मुख्य द्वार पर 13 दीपक और अंदर 13 दीपक जलाएं। मान्यता है कि इससे अकाल मृत्यु का भय समाप्त होता है और परिवार में सुख-शांति बनी रहती है।

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