उत्तराखंड में पत्रकारों को संपत्ति का ब्यौरा देना होगा अनिवार्य
पारदर्शिता के लिए बड़ा कदम: जल्द जारी होगा शासनादेश; सरकारी मान्यता का बदलेंगे नियम
- उत्तराखंड सरकार मान्यता प्राप्त पत्रकारों के लिए संपत्ति का वार्षिक ब्यौरा देना अनिवार्य कर सकती है।
- यह नियम राज्य कर्मचारियों पर लागू संपत्ति घोषणा नियमों की तर्ज पर लाया जा रहा है, जिसका उद्देश्य पारदर्शिता लाना है।
- आदेश का पालन न करने वाले पत्रकारों की सरकारी मान्यता रद्द हो सकती है, जिससे उन्हें मिलने वाली सुविधाएं भी समाप्त हो जाएंगी।
समग्र समाचार सेवा
देहरादून, 17 अक्टूबर: उत्तराखंड सरकार जल्द ही पत्रकारों की मान्यता नियमावली में एक बड़ा बदलाव करने की तैयारी में है, जिसके तहत मान्यता प्राप्त पत्रकारों के लिए अपनी चल-अचल संपत्ति का पूरा ब्यौरा सरकार को देना अनिवार्य हो सकता है। यह कदम राज्य में पारदर्शिता बढ़ाने और पत्रकारिता के क्षेत्र में भ्रष्टाचार की आशंकाओं को दूर करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल माना जा रहा है। सूत्रों के अनुसार, सूचना विभाग इस संबंध में एक शासनादेश (Government Order) जारी करने की प्रक्रिया में है। यह नया नियम सरकारी सुविधाओं और मान्यता का लाभ लेने वाले पत्रकारों पर लागू होगा।
क्यों ज़रूरी हुआ यह बदलाव?
राज्य सरकार का यह फैसला अचानक नहीं है। पिछले कुछ समय से उत्तराखंड में पत्रकारों के एक वर्ग की तेजी से बढ़ती संपत्ति को लेकर सवाल उठते रहे हैं। ऐसी खबरें भी सामने आई हैं कि कुछ पत्रकार सरकारी अधिकारियों के साथ मिलकर अवैध गतिविधियों में संलिप्त पाए गए हैं या उन्होंने अपनी मान्यता का दुरुपयोग कर लाभ लिया है।
पारदर्शिता को बढ़ावा: सरकार का तर्क है कि जिस तरह सरकारी अधिकारियों और कर्मचारियों को अपनी संपत्ति का वार्षिक विवरण देना होता है, उसी तरह सरकारी मान्यता और सुविधाओं का लाभ लेने वाले पत्रकारों को भी सार्वजनिक जवाबदेही निभानी चाहिए।
भ्रष्टाचार पर नियंत्रण: संपत्ति के ब्यौरे से आय के ज्ञात स्रोतों से अधिक संपत्ति की निगरानी करना आसान होगा, जिससे भ्रष्टाचार पर लगाम लग सकेगी।
मान्यता और सुविधाएँ होंगी प्रभावित
नया नियम स्पष्ट रूप से कहता है कि जो पत्रकार अपनी संपत्ति का विवरण समय पर और निर्धारित प्रारूप में जमा नहीं करेंगे, उनकी सरकारी मान्यता तुरंत रद्द कर दी जाएगी। सरकारी मान्यता रद्द होने से पत्रकारों को मिलने वाली यात्रा रियायतें, पेंशन योजना, आवास सुविधा और चिकित्सा लाभ जैसी कई महत्वपूर्ण सरकारी सुविधाओं से वंचित होना पड़ सकता है। यह प्रावधान पत्रकारों को नियमों का पालन करने के लिए प्रेरित करेगा।
पत्रकार संगठनों की मिली-जुली प्रतिक्रिया
इस प्रस्तावित शासनादेश को लेकर उत्तराखंड में पत्रकार बिरादरी में मिली-जुली प्रतिक्रिया देखने को मिल रही है।
समर्थन में आवाज़:
वरिष्ठ और निष्पक्ष पत्रकारों का एक वर्ग इस फैसले का स्वागत कर रहा है। उनका कहना है कि ईमानदार पत्रकारों को संपत्ति का ब्यौरा देने से कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए। यह कदम पेशागत शुचिता (Professional Integrity) को मजबूत करेगा और उन चंद लोगों पर लगाम लगाएगा जो पत्रकारिता की आड़ में अवैध कमाई कर रहे हैं।
विरोध के स्वर:
वहीं, कुछ पत्रकार संगठनों और पत्रकारों का मानना है कि यह कदम पत्रकारिता की स्वतंत्रता पर अंकुश लगाने जैसा है। उनका तर्क है कि पत्रकार सरकारी कर्मचारी नहीं हैं और उन पर इस तरह का नियम थोपना असंवैधानिक है। वे मानते हैं कि सरकार को भ्रष्टाचार रोकने के लिए पहले अपने अधिकारियों पर सख्ती दिखानी चाहिए।
आगे की राह: नियम कब होगा लागू?
सूचना विभाग के सूत्रों के अनुसार, उत्तराखंड पत्रकार संपत्ति खुलासा के लिए नया शासनादेश जल्द ही जारी किया जा सकता है। इसमें संपत्ति के विवरण के लिए एक मानक प्रारूप (Standard Format) भी जारी किया जाएगा, जिसमें चल, अचल संपत्ति, देनदारियां, और आय के स्रोतों का पूरा विवरण देना होगा। इस नियम के लागू होने के बाद, उत्तराखंड देश का पहला राज्य बन जाएगा जहां सरकारी मान्यता प्राप्त पत्रकारों को अपनी संपत्ति का ब्यौरा सार्वजनिक करना अनिवार्य होगा। यह निर्णय निश्चित रूप से राज्य की राजनीति और पत्रकारिता दोनों पर दूरगामी प्रभाव डालेगा।