AI-171 क्रैश: पायलट के पिता ने सुप्रीम कोर्ट में लगाई गुहार, न्यायिक जांच की मांग
अहमदाबाद विमान हादसे की सरकारी जाँच पर उठे गंभीर सवाल
- पायलट-इन-कमांड कैप्टन सुमित सभरवाल के पिता पुष्करराज सभरवाल ने हादसे की जाँच पर गंभीर सवाल उठाए हैं और न्यायिक निगरानी वाली समिति से स्वतंत्र जाँच की मांग की है।
- याचिका में विमान दुर्घटना जाँच ब्यूरो (AAIB) पर विश्वसनीयता और पारदर्शिता की कमी का आरोप लगाया गया है और कहा गया है कि जाँच का ध्यान मुख्य रूप से मृत पायलटों पर केंद्रित है।
- याचिकाकर्ताओं का तर्क है कि पायलट अब अपना बचाव नहीं कर सकते, इसलिए उन पर दोष डालना प्राकृतिक न्याय के सिद्धांत का उल्लंघन है और इससे भविष्य की उड़ान सुरक्षा के लिए खतरा उत्पन्न होता है।
समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 16 अक्टूबर: गुजरात के अहमदाबाद में 12 जून 2025 को हुए दर्दनाक एयर इंडिया बोइंग AI-171 विमान हादसे में एक नया मोड़ आया है। इस त्रासदी में जान गंवाने वाले पायलट-इन-कमांड कैप्टन सुमित सभरवाल के 91 वर्षीय पिता पुष्करराज सभरवाल ने फेडरेशन ऑफ इंडियन पायलट्स (FIP) के साथ मिलकर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। उन्होंने इस विमान दुर्घटना की न्यायिक निगरानी में एक स्वतंत्र जाँच की मांग करते हुए एक रिट याचिका दायर की है।
जाँच की निष्पक्षता पर गंभीर सवाल
याचिकाकर्ताओं की मुख्य चिंता यह है कि एयरक्राफ्ट एक्सीडेंट्स इन्वेस्टिगेशन बोर्ड (AAIB) द्वारा की जा रही प्रारंभिक जाँच गंभीर रूप से खामियों से भरी है और यह निष्पक्ष नहीं है।
मृत पायलटों पर दोषारोपण
याचिका में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि AAIB की प्रारंभिक रिपोर्ट और कुछ अधिकारियों के बयानों में हादसे का कारण मानवीय गलती (पायलटों की चूक) बताया गया है। सभरवाल का दावा है कि कुछ AAIB अधिकारियों ने यह आरोप लगाया था कि उनके बेटे ने उड़ान भरने के बाद इंजनों की ईंधन आपूर्ति बंद कर दी थी।
याचिकाकर्ताओं का तर्क: कैप्टन सभरवाल का 30 साल से अधिक का बेदाग करियर था, जिसमें उन्होंने 15,000 से अधिक घंटे की उड़ान भरी थी। वे कहते हैं कि जाँच मुख्यतः उन पायलटों पर केंद्रित है, जो अब अपना बचाव नहीं कर सकते।
न्यायिक निगरानी की मांग: याचिका में मांग की गई है कि AAIB की सभी पिछली जाँचों को बंद किया जाए और सर्वोच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अध्यक्षता में एविएशन सेक्टर के स्वतंत्र विशेषज्ञों वाली एक न्यायिक निगरानी समिति द्वारा नई जाँच कराई जाए।
तकनीकी और प्रक्रियागत पहलुओं की अनदेखी
याचिकाकर्ताओं ने AAIB पर तकनीकी और प्रक्रियागत पहलुओं को ठीक से न जाँचने का आरोप लगाया है। उन्होंने तर्क दिया है कि जाँच में अस्पष्टीकृत आरएटी (RAT) तैनाती, प्रणालीगत विद्युत पतन, और विमान के डिज़ाइन-स्तर की संभावित कमियों जैसे महत्वपूर्ण पहलुओं की अनदेखी की गई है। उनका मानना है कि ईंधन कंट्रोल स्विच का अचानक ‘कटऑफ‘ स्थिति में चले जाना अविश्वसनीय है और यह सिस्टम की विफलता का संकेत हो सकता है, जिसे छिपाया जा रहा है।
सुप्रीम कोर्ट की पिछली टिप्पणी
ज्ञात हो कि इससे पहले, एक गैर-सरकारी संगठन (NGO) ‘सेफ्टी मैटर्स फाउंडेशन’ द्वारा दायर एक अन्य जनहित याचिका (PIL) पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने भी AAIB की प्रारंभिक रिपोर्ट पर कड़ी टिप्पणी की थी। न्यायालय ने कहा था कि प्रारंभिक जाँच रिपोर्ट के आधार पर पायलटों को दोषी ठहराना “गैर-जिम्मेदाराना” है और जाँच पूरी होने तक गोपनीयता बनाए रखी जानी चाहिए। अदालत ने तब केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर स्वतंत्र जाँच की मांग पर जवाब मांगा था।
अब कैप्टन सभरवाल के पिता और 5,000 सदस्यों का प्रतिनिधित्व करने वाले फेडरेशन ऑफ इंडियन पायलट्स की इस याचिका ने इस मामले को और भी गंभीर बना दिया है। उनका उद्देश्य हादसे के असली कारणों का पता लगाना, मृत पायलटों पर लगे दोष को हटाना और भविष्य की विमान सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए ज्यादा पारदर्शिता और जवाबदेही स्थापित करना है। यह याचिका हाल के इतिहास की सबसे बुरी विमानन दुर्घटनाओं में से एक में न्याय और सत्य की तलाश में एक महत्वपूर्ण कदम है।