पूनम शर्मा
बिहार की राजनीति में एक बार फिर लालू प्रसाद यादव और उनके परिवार पर लगे भ्रष्टाचार के पुराने आरोपों ने तूफान खड़ा कर दिया है । आईआरसीटीसी घोटाले में कोर्ट ने लालू प्रसाद यादव , राबड़ी देवी और तेजस्वी यादव तीनों पर आरोप तय कर दिए हैं । इन आरोपों में धोखाधड़ी धारा , आपराधिक साजिश धारा 120बी और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की गंभीर धाराएँ शामिल हैं । यह फैसला चुनाव से ठीक पहले आया है , जिससे राज्य की राजनीतिक फिज़ा में हलचल तेज हो गई है । लालू परिवार के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप कोई नई बात नहीं हैं ।
चारा घोटाले से लेकर आईआरसीटीसी घोटाले तक
वर्षों से यह परिवार कई कानूनी और राजनीतिक संकटों से जूझता रहा है । हालांकि , इस बार मामला केवल पुराने घोटालों का नहीं , बल्कि चुनावी समीकरणों पर सीधे असर डालने वाला है । आईआरसीटीसी घोटाले की पृष्ठभूमि जब लालू प्रसाद यादव रेल मंत्री थे , उस दौरान आईआरसीटीसी Indian Railway Catering and Tourism Corporation से जुड़े दो होटल—रांची और पुरी—की देखरेख और प्रबंधन के लिए निजी कंपनियों को अनुचित रूप से ठेके देने का आरोप है । बदले में पटना में लालू परिवार से जुड़ी कंपनी को जमीन हस्तांतरित की गई ।
इस पूरे प्रकरण में राबड़ी देवी और तेजस्वी यादव का नाम भी डायरेक्टर के रूप में सामने आया । कोर्ट ने माना है कि इन सभी आरोपों में पर्याप्त साक्ष्य हैं और मुकदमे की सुनवाई अब पूरी गति से आगे बढ़ेगी । तेजस्वी यादव की इमेज को बड़ा झटका पिछले कुछ वर्षों से तेजस्वी यादव अपने पिता की विरासत से खुद को अलग दिखाने की कोशिश कर रहे थे । वे खुद को एक ‘नए दौर का नेता’ और ‘क्लीन पॉलिटिक्स’ का चेहरा बताने की रणनीति पर काम कर रहे थे । युवाओं को रोजगार देने के वादों और आधुनिक छवि के दम पर उन्होंने अपनी राजनीतिक पहचान गढ़ने की कोशिश की । लेकिन कोर्ट के ताज़ा आदेश ने उस छवि को तगड़ा झटका दिया है ।
विरोधियों के हाथ अब बड़ा राजनीतिक हथियार आ गया है । भाजपा और एनडीए अब चुनाव प्रचार में इस मुद्दे को प्रमुखता से उठाएँगे—“जैसा बाप , वैसा बेटा ।” तेजस्वी भले ही खुद को ‘ईमानदार’ कहें , लेकिन जनता की नज़र में आरोपों का बोझ उन पर भारी पड़ेगा । राबड़ी देवी पर भी आरोप तय राबड़ी देवी पर भी इस घोटाले में सीधे संलिप्तता के आरोप तय किए गए हैं । कोर्ट ने माना है कि उन्होंने जमीन के सौदों में अहम भूमिका निभाई । यह वही राबड़ी देवी हैं जिन्हें पहले भी लालू के भ्रष्टाचार मामलों में “रबर स्टांप मुख्यमंत्री” कहा जाता रहा है । इस बार भी विपक्ष ने सवाल उठाया है कि अगर लालू को सजा होती है तो क्या फिर से इतिहास दोहराया जाएगा और राबड़ी देवी को या परिवार के किसी और सदस्य को सत्ता का प्रतीक बना दिया जाएगा ? राजद की चुनावी रणनीति पर असर यह फैसला ऐसे समय में आया है जब बिहार में चुनावी माहौल गरमाने लगा है । तेजस्वी यादव को पार्टी का चेहरा बनाकर राजद एनडीए को कड़ी टक्कर देने की तैयारी में था । पर आरोप तय होने के बाद चुनाव प्रचार का पूरा नैरेटिव बदल सकता है । जहां एक ओर एनडीए इस घोटाले को ‘जंगलराज की वापसी’ बताकर प्रचार करेगा , वहीं राजद को बचाव में अपनी ऊर्जा खर्च करनी होगी । यह स्थिति तेजस्वी के लिए राजनीतिक रूप से नुकसानदायक साबित हो सकती है ।
मुस्लिम-यादव वोट बैंक की सच्चाई
राजद का पारंपरिक वोट बैंक मुस्लिम और यादव समुदाय MY रहा है । विश्लेषकों का मानना है कि यादव वोट बैंक तो ज्यादातर राजद के साथ रहेगा , लेकिन मुस्लिम वोट पर नीतीश कुमार और कांग्रेस भी नज़र गड़ाए हुए हैं । लालू परिवार के खिलाफ गंभीर आरोपों का असर इस समुदाय में भरोसे को कमजोर कर सकता है । वहीं , भाजपा इस मौके का फायदा उठाकर अपने वोट प्रतिशत को बढ़ाने की कोशिश करेगी । लालू यादव की राजनीतिक हैसियत में गिरावट 2004 के बाद से लालू प्रसाद यादव बिहार की राजनीति में सीधे सत्ता से बाहर हैं । उनका कद अब एक ‘साइडलाइन खिलाड़ी’ जैसा हो गया है । तेजस्वी ने ही पार्टी को प्रासंगिक बनाए रखा । लेकिन अब जब उन्हीं पर भी गंभीर आरोप तय हो गए हैं , तो पार्टी के भविष्य पर सवाल उठने लगे हैं ।
कानूनी लड़ाई और संभावित सज़ा सीबीआई कोर्ट में सुनवाई अब तेज़ी से होगी और यह मामला लंबे समय तक नहीं खिंचेगा , जैसा चारा घोटाले में हुआ था । अगले कुछ सालों में सुप्रीम कोर्ट तक फैसला आने की संभावना है । अगर सजा होती है तो तेजस्वी की राजनीतिक यात्रा पर विराम लग सकता है । वहीं राबड़ी देवी और लालू यादव पहले से ही कई मामलों में सजा भुगत चुके हैं ।
गठबंधन की राजनीति पर असर
यह मामला केवल लालू परिवार तक सीमित नहीं रहेगा । विपक्षी गठबंधन पर भी इसका असर पड़ेगा । राहुल गांधी ने हाल ही में लालू परिवार से दूरी बनाई है । कांग्रेस और अन्य सहयोगी दल अब सोच-समझकर रणनीति बनाएँगे ताकि भ्रष्टाचार के मुद्दे से उन्हें चुनाव में नुकसान न झेलना पड़े । निष्कर्ष बिहार की राजनीति में लालू परिवार एक प्रतीक है—भ्रष्टाचार के भी और जातीय समीकरणों के भी । तेजस्वी यादव ने अपनी छवि बदलने की कोशिश की , लेकिन कोर्ट के ताज़ा आदेश ने उनकी राजनीति को संकट में डाल दिया है । चुनाव से पहले यह फैसला राजद के लिए एक बड़ा झटका है । अब देखना यह होगा कि क्या तेजस्वी यादव इस संकट से उभर पाएंगे या फिर यह मामला राजद को बिहार की सत्ता की दौड़ से बाहर कर देगा । एक बात तो तय है—चुनाव से पहले लालू परिवार के भ्रष्टाचार के मुद्दे पर बिहार की राजनीति और भी गरमाने वाली है ।