काबुल में फिर खुलेगा भारतीय दूतावास: जयशंकर का तालिबान को संदेश
तालिबान विदेश मंत्री आमिर खान मुत्तकी की भारत यात्रा; चार साल बाद उच्च स्तरीय बैठक में संबंध मजबूत करने पर ज़ोर
- भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने अफगानिस्तान के विदेश मंत्री आमिर खान मुत्तकी से मुलाकात की और काबुल में भारतीय दूतावास को फिर से खोलने की घोषणा की।
- तालिबान के 2021 में सत्ता संभालने के बाद किसी भी तालिबान नेता की यह पहली उच्च-स्तरीय भारत यात्रा है, जो दोनों देशों के बीच संबंधों को सामान्य बनाने की दिशा में एक अहम कदम है।
- जयशंकर ने अफगानिस्तान की संप्रभुता और अखंडता के प्रति भारत की प्रतिबद्धता दोहराई और स्वास्थ्य तथा अन्य क्षेत्रों में छह नई परियोजनाओं की घोषणा की।
समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 11 अक्टूबर: भारत और अफगानिस्तान के बीच द्विपक्षीय संबंधों को एक नया आयाम देते हुए, भारत के विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने शुक्रवार को नई दिल्ली में अफगानिस्तान के विदेश मंत्री आमिर खान मुत्तकी से मुलाकात की। यह मुलाकात इसलिए भी ऐतिहासिक है क्योंकि अफगानिस्तान में तालिबान के सत्ता संभालने (अगस्त 2021) के चार साल बाद किसी तालिबान सरकार के नेता की यह पहली उच्च-स्तरीय भारत यात्रा है।
बैठक के बाद विदेश मंत्री जयशंकर ने एक महत्वपूर्ण घोषणा की। उन्होंने कहा कि भारत अपने मौजूदा तकनीकी मिशन को अपग्रेड कर काबुल में फिर से भारतीय दूतावास खोलेगा। जयशंकर ने मुत्तकी का स्वागत करते हुए कहा, “आपकी यात्रा हमारे संबंधों को आगे बढ़ाने तथा भारत और अफगानिस्तान के बीच स्थायी मित्रता की पुष्टि के लिए एक अहम कदम है।”
भारत की संप्रभुता के प्रति प्रतिबद्धता
भारत ने अगस्त 2021 में तालिबान के अधिग्रहण के बाद सुरक्षा कारणों से अपने दूतावास को बंद कर दिया था, लेकिन बाद में मानवीय सहायता के लिए एक तकनीकी मिशन को संचालित करना शुरू किया था। दूतावास को फिर से खोलना अफगानिस्तान में भारत की पूर्ण राजनयिक उपस्थिति बहाल करने की दिशा में एक बड़ा कदम है।
डॉ. जयशंकर ने स्पष्ट किया कि भारत अफगानिस्तान की संप्रभुता, क्षेत्रीय अखंडता और स्वतंत्रता के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा, “इसे बढ़ाने के लिए मुझे आज काबुल में भारत के तकनीकी मिशन को भारतीय दूतावास के तौर पर अपग्रेड करने की घोषणा करते हुए खुशी हो रही है।” यह बयान दर्शाता है कि भारत भले ही तालिबान सरकार को औपचारिक रूप से मान्यता न दे, लेकिन वह देश के लोगों के साथ संबंधों को प्राथमिकता देता है और अफगानिस्तान में सक्रिय भूमिका निभाने को तैयार है।
सहायता और विकास परियोजनाओं पर ज़ोर
जयशंकर ने अफगानिस्तान को लगातार सहायता प्रदान करने की भारत की प्रतिबद्धता को भी दोहराया। उन्होंने कहा कि भारत ने लंबे समय से अफगानिस्तान की स्वास्थ्य सुरक्षा के लिए समर्थन दिया है, जिसमें कोविड महामारी के दौरान का समर्थन भी शामिल है। उन्होंने यह भी बताया कि यह आमने-सामने की मुलाकात विशेष महत्व रखती है, क्योंकि इससे पहले उनकी बातचीत केवल पहलगाम आतंकी हमले और कुनार तथा नांगरहार भूकंप जैसी आपात स्थितियों के बाद हुई थी।
विदेश मंत्री ने अफगानिस्तान में छह नई परियोजनाओं के लिए प्रतिबद्धता व्यक्त की, जो स्वास्थ्य, शिक्षा और सामुदायिक विकास जैसे क्षेत्रों में केंद्रित हो सकती हैं। यह नई प्रतिबद्धता भारत द्वारा अफगानिस्तान के लोगों को मानवीय और विकासात्मक सहायता जारी रखने की नीति को मजबूत करती है, भले ही राजनीतिक संबंध अभी भी संवेदनशील स्तर पर हों।
UNSC की छूट से संभव हुई यात्रा
अफगानिस्तान के विदेश मंत्री आमिर खान मुत्तकी की यह यात्रा कई मायनों में महत्वपूर्ण रही। मुत्तकी पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) के प्रतिबंधों के तहत यात्रा प्रतिबंध लगा हुआ है। उनकी पिछली नई दिल्ली यात्रा पिछले महीने निर्धारित थी, लेकिन प्रतिबंध के कारण रद्द हो गई थी। हालांकि, 30 सितंबर को, UNSC की समिति ने मुत्तकी को 9 से 16 अक्टूबर तक नई दिल्ली की यात्रा की अनुमति देते हुए यात्रा प्रतिबंध में अस्थायी छूट को मंजूरी दी थी, जिसके बाद यह उच्च-स्तरीय वार्ता संभव हो सकी। यह घटनाक्रम दर्शाता है कि अंतर्राष्ट्रीय समुदाय भी अफगानिस्तान के साथ कूटनीतिक संपर्क के महत्व को समझने लगा है।
यह बैठक दोनों देशों के बीच संबंधों में एक नए अध्याय की शुरुआत का संकेत देती है, जहाँ भारत सुरक्षा चिंताओं के बावजूद, अफगानिस्तान के लोगों के हितों को ध्यान में रखते हुए धीरे-धीरे अपनी राजनयिक उपस्थिति को मजबूत कर रहा है।