फारूक अब्दुल्ला ने राज्यसभा चुनाव से बनाई दूरी, नेशनल कॉन्फ्रेंस ने तीन उम्मीदवार किए घोषित; कांग्रेस के लिए छोड़ी एक सीट
जम्मू-कश्मीर की चार राज्यसभा सीटों पर 24 अक्टूबर को होगा मतदान
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फारूक अब्दुल्ला ने राज्यसभा चुनाव नहीं लड़ने का किया फैसला
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नेशनल कॉन्फ्रेंस ने चौधरी मोहम्मद रमजान, सजाद किचलू और शम्मी ओबेरॉय को उतारा मैदान में
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चौथी सीट पर कांग्रेस से चल रही है बातचीत
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दो सीटों पर एनसी-बीजेपी के बीच कांटे की टक्कर संभावित
समग्र समाचार सेवा
श्रीनगर | 11 अक्टूबर:जम्मू-कश्मीर की राजनीति में एक बड़ा मोड़ तब आया जब नेशनल कॉन्फ्रेंस (एनसी) प्रमुख डॉ. फारूक अब्दुल्ला ने राज्यसभा चुनाव से खुद को अलग रखने का निर्णय लिया। पार्टी ने शुक्रवार को आधिकारिक रूप से घोषणा की कि फारूक अब्दुल्ला अब संसद का हिस्सा नहीं बनेंगे। उनका कहना है कि इस समय दिल्ली की बजाय जम्मू-कश्मीर की जमीन पर रहकर लोगों के बीच काम करना ज़्यादा आवश्यक है।
एनसी महासचिव अली मोहम्मद सागर ने बताया कि पार्टी की कोर कमेटी ने तीन नामों पर मुहर लगाई है, चौधरी मोहम्मद रमजान, शम्मी ओबेरॉय और सजाद किचलू। जबकि चौथी सीट पर कांग्रेस से बातचीत जारी है और जल्द ही साझा उम्मीदवार तय होने की उम्मीद है।
पार्टी सूत्रों के अनुसार, चौधरी रमजान उत्तर कश्मीर के वरिष्ठ नेता हैं, जिन्होंने पिछले विधानसभा चुनाव में पीपुल्स कॉन्फ्रेंस के नेता सजाद लोन के खिलाफ कड़ा मुकाबला लड़ा था। वहीं, सजाद किचलू किश्तवाड़ से पूर्व विधायक रह चुके हैं और 2024 के चुनाव में बीजेपी की महिला प्रत्याशी शगुन परिहार से पराजित हुए थे। शम्मी ओबेरॉय लंबे समय से एनसी के वित्त मामलों को संभालती रही हैं और उमर अब्दुल्ला की विश्वसनीय सहयोगी मानी जाती हैं।
राजनीतिक समीकरणों की बात करें तो 90 सदस्यीय विधानसभा में एनसी के पास 41 विधायक हैं, बीजेपी के 28, कांग्रेस के 6, जबकि पीडीपी, सीपीआई (एम), पीपुल्स कॉन्फ्रेंस और आम आदमी पार्टी के पास एक-एक सीट है। 7 निर्दलीय सदस्य भी सदन में मौजूद हैं। दो सीटें वर्तमान में रिक्त हैं—एक उमर अब्दुल्ला के इस्तीफे और दूसरी बीजेपी विधायक देवेंद्र सिंह राणा के निधन के कारण।
राजनीतिक गणित के अनुसार, एनसी को कांग्रेस, सीपीआई (एम) और कुछ निर्दलीय विधायकों के समर्थन से लगभग 53 मत मिलने की उम्मीद है, जिससे उसे दो सीटों पर जीत लगभग तय मानी जा रही है। हालांकि, बाकी दो सीटों के लिए बीजेपी और एनसी के बीच कड़ा मुकाबला देखने को मिलेगा।
इस बीच, आप विधायक मेहराज मलिक फिलहाल जेल में हैं और उन्हें मतदान के लिए अदालत से अनुमति लेनी होगी। वहीं, यह भी संभावना जताई जा रही है कि पीडीपी और निर्दलीय विधायक बीजेपी को वोट देने से परहेज कर सकते हैं, जिससे एनसी-कांग्रेस गठबंधन को बढ़त मिल सकती है।