गाजा की तबाही: मलबा हटाने में 10 साल और ज़मीन उपजाऊ बनाने में 25 साल लगेंगे
संयुक्त राष्ट्र की भयावह रिपोर्ट, युद्ध के दो साल बाद 80% इमारतें तबाह; पुनर्निर्माण में लगेंगे दशक
- गाजा में दो साल के युद्ध के बाद 80% इमारतें पूरी तरह तबाह हो चुकी हैं, जिससे 5.1 करोड़ टन मलबा जमा हो गया है।
- संयुक्त राष्ट्र (UN) की एक रिपोर्ट के अनुसार, इस मलबे को हटाने में कम से कम 10 साल का समय लगेगा।
- मिसाइल और विस्फोटकों के हमलों के कारण कृषि योग्य भूमि में केमिकल का स्तर तीन गुना बढ़ गया है, जिसे फिर से उपजाऊ बनाने में 25 साल लग सकते हैं।
समग्र समाचार सेवा
गाजा, 10 अक्टूबर: इज़राइल-हमास युद्ध के दो साल पूरे होने पर संयुक्त राष्ट्र (UN) ने गाजा पट्टी में हुई तबाही के आकलन पर एक चौंकाने वाली रिपोर्ट जारी की है। इस रिपोर्ट ने गाजा के भविष्य पर गहरा संकट खड़ा कर दिया है। रिपोर्ट के अनुसार, इजराइली हमलों में गाजा की लगभग 80% इमारतें पूरी तरह से नष्ट हो चुकी हैं। इस विनाशकारी क्षति के परिणामस्वरूप, गाजा अब 5.1 करोड़ टन मलबे के ढेर में बदल चुका है, जिसे हटाने के लिए अरबों डॉलर और एक दशक से अधिक का समय चाहिए।
UN ने चेतावनी दी है कि पुनर्निर्माण की प्रक्रिया बेहद धीमी और चुनौतीपूर्ण होगी। मलबे को हटाने में अकेले 10 साल तक का समय लग सकता है, और इसमें अनुमानित 99.6 लाख करोड़ रुपये (लगभग $1.2 ट्रिलियन) खर्च होंगे। संपत्ति के कुल नुकसान का आकलन 4.5 ट्रिलियन डॉलर (373.5 लाख करोड़ रुपये) किया गया है। तबाही के पैमाने ने गाजा की शहरी तस्वीर को पूरी तरह बदल दिया है, जिससे 23 लाख की आबादी के लिए बुनियादी सुविधाओं और आश्रय तक पहुंच दुर्लभ हो गई है।
कृषि भूमि को सबसे बड़ा नुकसान
गाजा की पहचान कभी उसकी उपजाऊ मिट्टी और कृषि उत्पादों के निर्यात से होती थी, लेकिन युद्ध ने इस पहचान को भी मिटा दिया है। UN की रिपोर्ट में कृषि क्षेत्र को हुए अपूरणीय क्षति को उजागर किया गया है।
गाजा में लगभग 1500 एकड़ खेतिहर जमीन बुरी तरह प्रभावित हुई है।
अब केवल 232 एकड़ जमीन ही खेती के लायक बची है, जिसका अर्थ है कि पहले फसल उगाई जाने वाली लगभग 98.5% ज़मीन अब कृषि के काम की नहीं है।
यह नुकसान सिर्फ उत्पादन तक सीमित नहीं है, बल्कि खाद्य सुरक्षा और लाखों लोगों की आजीविका पर सीधा खतरा है। रिपोर्ट में कहा गया है कि इज़राइली हमलों की वजह से 83% सिंचाई के कुएं या तो बंद हो चुके हैं या उनमें प्रदूषण फैल चुका है। सबसे चिंताजनक बात यह है कि विस्फोटकों के कारण गाजा की जमीन में खतरनाक केमिकल का स्तर तीन गुना बढ़ गया है। इस दूषित और क्षतिग्रस्त जमीन को फिर से उपजाऊ बनाने में 25 साल तक का लंबा समय लग सकता है, जिससे खाद्य आत्मनिर्भरता की संभावना दशकों तक टल गई है।
स्वास्थ्य, शिक्षा और मानवीय संकट
रिहायशी इमारतों के अलावा, बुनियादी ढांचे का भी लगभग पूरी तरह से सफाया हो चुका है। रिपोर्ट के अनुसार:
94% अस्पताल और 90% स्कूल तबाह हो चुके हैं। युद्ध से पहले गाजा में 36 अस्पताल कार्यरत थे, जिनकी सेवाएं अब समाप्त हो चुकी हैं।
गाजा की 23 लाख की आबादी में से 90% आबादी बेघर हो चुकी है और 80% इलाका मिलिट्री ज़ोन घोषित किया गया है।
मानवीय संकट इतना गहरा है कि आधी से ज़्यादा आबादी भुखमरी का शिकार है।
इन सबके बीच, जान-माल का नुकसान भी भयावह है। रिपोर्ट के मुताबिक, इज़राइल की जवाबी कार्रवाई में अब तक 66,158 फिलिस्तीनी मारे जा चुके हैं, जिनमें 18,430 बच्चे भी शामिल हैं। 39,384 बच्चों ने अपने माता-पिता में से किसी एक को या दोनों को खो दिया है।
संयुक्त राष्ट्र का यह आकलन दर्शाता है कि गाजा युद्ध का असर केवल तत्कालीन नुकसान तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि इसका सामाजिक, आर्थिक और पर्यावरणीय प्रभाव दशकों तक महसूस किया जाएगा। पुनर्निर्माण की राह में मलबा हटाना, दूषित मिट्टी का उपचार करना और बुनियादी ढांचे को फिर से खड़ा करना – ये सभी विशाल चुनौतियाँ हैं जिनके लिए बड़े पैमाने पर अंतरराष्ट्रीय सहयोग की आवश्यकता होगी।