उत्तराखंड में शिक्षा सुधार की बड़ी पहल: मदरसा बोर्ड होगा खत्म, नया अल्पसंख्यक शिक्षा कानून लागू
राज्यपाल की मंजूरी के बाद सभी अल्पसंख्यक संस्थानों को मिलेगी समान मान्यता, 1 जुलाई 2026 से पुराने नियम निरस्त
-
उत्तराखंड अल्पसंख्यक शिक्षा अधिनियम 2025 बना अब कानून
-
राज्यपाल गुरमीत सिंह ने बिल पर दी अंतिम मंजूरी
-
नया प्राधिकरण करेगा सभी अल्पसंख्यक स्कूलों की देखरेख
-
2026 से मदरसा बोर्ड और पुराने नियम समाप्त होंगे
समग्र समाचार सेवा
देहरादून, 9 अक्टूबर: उत्तराखंड में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की सरकार ने शिक्षा प्रणाली में ऐतिहासिक बदलाव करते हुए मदरसा बोर्ड को भंग करने का निर्णय लागू कर दिया है। राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) गुरमीत सिंह ने अल्पसंख्यक शिक्षा विधेयक 2025 को मंजूरी प्रदान की, जिससे यह कानून अब प्रभावी हो गया है। नया कानून राज्य के सभी अल्पसंख्यक शिक्षण संस्थानों पर समान रूप से लागू होगा।
इस कानून के तहत अब केवल मुस्लिम संस्थान ही नहीं, बल्कि सिख, जैन, बौद्ध, ईसाई और पारसी समुदायों द्वारा संचालित शिक्षण संस्थान भी अल्पसंख्यक शिक्षण संस्थान की श्रेणी में आएंगे। पहले यह दर्जा केवल मुस्लिम संस्थानों को ही मिलता था। नई व्यवस्था के साथ अब सभी संस्थानों के लिए मान्यता की प्रक्रिया एक समान होगी ताकि शिक्षा प्रणाली में पारदर्शिता और गुणवत्ता स्थापित हो सके।
मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि यह कानून न केवल शिक्षा के स्तर को बेहतर बनाएगा बल्कि प्रशासनिक पारदर्शिता भी लाएगा। उन्होंने बताया कि सरकार एक नया अल्पसंख्यक शिक्षा प्राधिकरण गठित करेगी, जो मान्यता देने, पाठ्यक्रम की निगरानी करने और मूल्यांकन प्रणाली को उत्तराखंड बोर्ड के मानकों के अनुरूप सुनिश्चित करने का कार्य करेगा।
सरकार ने स्पष्ट किया कि 1 जुलाई 2026 से मदरसा शिक्षा बोर्ड अधिनियम 2016 और अरबी-फारसी मदरसा मान्यता नियम 2019 समाप्त हो जाएंगे। मुख्यमंत्री ने कहा कि मदरसा शिक्षा व्यवस्था में लंबे समय से छात्रवृत्ति वितरण, मध्याह्न भोजन योजना और प्रबंधन में गंभीर अनियमितताएं देखी गई थीं। नए कानून के लागू होने से इन सभी प्रक्रियाओं में जवाबदेही और स्पष्टता आएगी।
राज्य के शिक्षा विभाग ने जानकारी दी कि नए कानून के बाद प्रत्येक संस्थान का आंतरिक मूल्यांकन भी नियमित किया जाएगा ताकि छात्रों की शिक्षा की गुणवत्ता सुनिश्चित हो सके। यदि कोई संस्था नियमों का उल्लंघन करती है, तो उसकी मान्यता रद्द या निलंबित की जा सकती है।
इस साल अगस्त में राज्य कैबिनेट से मंजूरी मिलने के बाद, यह विधेयक उत्तराखंड की ग्रीष्मकालीन राजधानी गैरसैंण में आयोजित विधानसभा के मानसून सत्र के दौरान पारित किया गया था