पूनम शर्मा
भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच रक्षा सहयोग को और गहरा करने के लिए भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह इन दिनों आधिकारिक दौरे पर ऑस्ट्रेलिया में हैं। इस यात्रा को हिंद-प्रशांत क्षेत्र में बदलते रणनीतिक समीकरणों के बीच एक अहम कूटनीतिक और सैन्य कदम के रूप में देखा जा रहा है। राजनाथ सिंह ने ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री एंथनी अल्बानीज़ से मुलाकात की और रक्षा सहयोग के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की।
इस दौरान उन्हें पारंपरिक एबोरिजिनल स्वागत भी दिया गया, जो ऑस्ट्रेलिया में विशेष सम्मान और आतिथ्य का प्रतीक माना जाता है। इसके अलावा उन्होंने F-स्टील्थ फाइटर जेट के रिफ्यूलिंग ऑपरेशन को भी प्रत्यक्ष रूप से देखा।
भारत-ऑस्ट्रेलिया रक्षा सहयोग को नई गति
भारत और ऑस्ट्रेलिया दोनों ही क्वाड (QUAD) समूह के सदस्य हैं, जिसमें अमेरिका और जापान भी शामिल हैं। हाल के वर्षों में दोनों देशों ने रक्षा क्षेत्र में सहयोग को अभूतपूर्व स्तर तक बढ़ाया है। इस यात्रा का मुख्य उद्देश्य इस रणनीतिक साझेदारी को और गहराई देना और हिंद-प्रशांत में चीन के बढ़ते प्रभाव का संतुलन बनाना है।
दोनों देशों के रक्षा मंत्रियों के बीच बातचीत में संयुक्त सैन्य अभ्यास, रक्षा तकनीक में सहयोग, समुद्री सुरक्षा और इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में रणनीतिक स्थिरता जैसे विषय प्रमुख रहे।
पीएम अल्बानीज़ से मुलाकात
राजनाथ सिंह ने कैनबरा में ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री एंथनी अल्बानीज़ से मुलाकात की। इस दौरान दोनों नेताओं ने रक्षा संबंधों को “रणनीतिक साझेदारी” से आगे बढ़ाकर “सहयोगी भागीदारी” में बदलने की दिशा में बातचीत की।
पीएम अल्बानीज़ ने कहा, “भारत हमारे लिए केवल एक साझेदार नहीं, बल्कि एक विश्वसनीय मित्र है। रक्षा और रणनीतिक सहयोग में भारत की भूमिका हमारे लिए अहम है।”
राजनाथ सिंह ने भी द्विपक्षीय रिश्तों की मजबूती पर जोर देते हुए कहा कि भारत और ऑस्ट्रेलिया की साझेदारी हिंद-प्रशांत में स्थिरता, शांति और सुरक्षा के लिए एक अहम स्तंभ है।
पारंपरिक ‘एबोरिजिनल’ स्वागत
ऑस्ट्रेलिया पहुंचने पर राजनाथ सिंह का स्वागत पारंपरिक एबोरिजिनल समारोह से किया गया। यह वहां की प्राचीन जनजातीय संस्कृति का हिस्सा है और बहुत ही सम्मानजनक माना जाता है। भारतीय प्रतिनिधिमंडल के लिए यह स्वागत समारोह प्रतीकात्मक रूप से दोनों देशों के सांस्कृतिक संबंधों की मजबूती का संदेश देता है।
F-35 फाइटर जेट रिफ्यूलिंग का प्रत्यक्ष निरीक्षण
ऑस्ट्रेलिया के रक्षा प्रतिष्ठानों के दौरे के दौरान राजनाथ सिंह ने अत्याधुनिक F-35 स्टील्थ फाइटर जेट के रिफ्यूलिंग ऑपरेशन को प्रत्यक्ष रूप से देखा। यह वही लड़ाकू विमान है जिसे अमेरिका ने अपनी ‘नेक्स्ट जेनरेशन एयर पावर’ का केंद्र माना है।
इस निरीक्षण को भारत के लिए महत्वपूर्ण माना जा रहा है क्योंकि भारत भी वायुसेना को आधुनिक बनाने की दिशा में बड़े कदम उठा रहा है। यह दौरा भविष्य में भारत-ऑस्ट्रेलिया के बीच रक्षा तकनीकी सहयोग को नए आयाम दे सकता है।
रणनीतिक महत्व और हिंद-प्रशांत समीकरण
हिंद-प्रशांत क्षेत्र (Indo-Pacific) में चीन की बढ़ती आक्रामकता को लेकर अमेरिका, भारत, ऑस्ट्रेलिया और जापान के बीच रणनीतिक समन्वय बढ़ा है। ऐसे में भारत और ऑस्ट्रेलिया का रक्षा सहयोग न केवल द्विपक्षीय स्तर पर बल्कि क्षेत्रीय सुरक्षा के लिए भी बेहद अहम है।
दोनों देशों की सेनाएं पहले से ही ‘आसिंडेक्स’ (AUSINDEX) नामक नौसैनिक अभ्यास में हिस्सा लेती हैं। अब इसे और व्यापक बनाने की योजना पर भी बात हुई है।
इसके साथ ही साइबर सुरक्षा, कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) और रक्षा उत्पादन के क्षेत्र में सहयोग को भी प्राथमिकता दी जा रही है।
रक्षा उत्पादन में संभावनाएँ
भारत ने ‘मेक इन इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ अभियानों के तहत रक्षा उत्पादन में आत्मनिर्भर बनने का लक्ष्य रखा है। वहीं ऑस्ट्रेलिया के पास अत्याधुनिक रक्षा तकनीक और संसाधन हैं। दोनों देश इन क्षेत्रों में सहयोग कर सकते हैं, जिससे भारत को आधुनिक हथियार प्रणालियों तक पहुंच मिलेगी और ऑस्ट्रेलिया को भारतीय रक्षा बाजार में रणनीतिक भागीदारी।
राजनाथ सिंह की ऑस्ट्रेलिया यात्रा केवल एक औपचारिक कूटनीतिक मुलाकात नहीं, बल्कि हिंद-प्रशांत में रणनीतिक संतुलन की एक सशक्त कड़ी है। एबोरिजिनल स्वागत, प्रधानमंत्री से मुलाकात और F-35 निरीक्षण जैसे कदम इस बात का संकेत हैं कि भारत-ऑस्ट्रेलिया रक्षा साझेदारी अब नए युग में प्रवेश कर रही है।
यह दौरा न केवल दोनों देशों के बीच सैन्य सहयोग को गहरा करेगा बल्कि हिंद-प्रशांत क्षेत्र में एक मजबूत रणनीतिक धुरी भी तैयार करेगा।