-
अखिलेश यादव आजम खान से मिलने रामपुर पहुंचे, हेलीकॉप्टर का किया उपयोग।
-
मुलाकात पूरी तरह निजी रखी गई, दोनों नेताओं ने परिवार को शामिल नहीं किया।
-
मुलाकात का मुख्य उद्देश्य आजम खान की नाराज़गी दूर करना और पार्टी को पश्चिमी यूपी में मजबूत करना।
-
बीजेपी ने इसे केवल चुनावी राजनीतिक स्टंट करार दिया।
समग्र समाचार सेवा
रामपुर, 9 अक्टूबर: समाजवादी पार्टी (सपा) के प्रमुख नेता अखिलेश यादव और आजम खान दो साल के अंतराल के बाद आज रामपुर में आमने-सामने आए। अखिलेश यादव आजम खान से मिलने के लिए हेलीकॉप्टर से रामपुर पहुँचे, जहां आजम खान ने खुद उनका स्वागत किया और घर तक उन्हें पहुँचाया।
मुलाकात की खास बात यह रही कि दोनों नेताओं ने इसे पूरी तरह निजी रखा। आजम खान ने स्पष्ट किया कि वे केवल अखिलेश यादव से अकेले मिलेंगे, और उनका परिवार या अन्य लोग इस बैठक में शामिल नहीं होंगे। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इस मुलाकात का उद्देश्य आजम खान की नाराज़गी को समाप्त करना और पार्टी को आगामी 2027 यूपी विधानसभा चुनाव के लिए मजबूत बनाना है।
पश्चिमी उत्तर प्रदेश में सपा की स्थिति को मजबूत करने के लिए आजम खान की भूमिका महत्वपूर्ण मानी जा रही है। राजनीतिक विशेषज्ञों का कहना है कि अगर आजम यादव और सपा के साथ फिर से एकजुट हो जाते हैं, तो पार्टी को मुस्लिम समुदाय और अन्य वोटरों के बीच मजबूत पकड़ बनाने में मदद मिलेगी।
सपा यह सुनिश्चित करना चाहती है कि 2027 विधानसभा चुनाव में कोई भी रणनीतिक गलती न हो। यही वजह है कि अखिलेश यादव ने अभी से आजम खान से मिलकर उनकी नाराज़गी खत्म करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है।
इस मुलाकात पर बीजेपी की प्रतिक्रिया भी सामने आई है। उत्तर प्रदेश के मंत्री दानिश आज़ाद अंसारी ने कहा कि जब आजम खान जेल में थे, तब सपा ने उनकी याद नहीं की। उन्होंने इसे केवल चुनावी फायदे के लिए किया गया राजनीतिक स्टंट करार दिया। उनके अनुसार सपा केवल वोट बैंक के लिए मुसलमानों को भड़काने का प्रयास कर रही है।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि अखिलेश-आजम की यह बैठक भविष्य के चुनाव में पश्चिमी यूपी में सपा की स्थिति को तय करने में निर्णायक साबित हो सकती है। अगर आजम पूरी तरह से सपा के साथ खड़े होते हैं, तो पार्टी न केवल अपनी ताकत बढ़ा सकेगी बल्कि बीजेपी के लिए चुनौती भी गंभीर हो जाएगी।
इस मुलाकात की तस्वीरें सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रही हैं, जिससे यह संकेत मिल रहा है कि सपा में एकजुटता का संदेश साफ तौर पर जनता तक पहुंचाया गया है। अब देखने वाली बात यह होगी कि क्या इस मुलाकात से आजम खान की नाराज़गी पूरी तरह समाप्त होगी और सपा की पश्चिमी यूपी में पकड़ मजबूत होगी या नहीं।