शीतला शंकर विजय मिश्र
सेनानी करो प्रयाण अभय-
भावी इतिहास तुम्हारा है
ये नखत अमाँ के बुझते हैं
सारा आकाश तुम्हारा है*॥
जयप्रकाश है नाम समय की करवट की अंगड़ाई का।
भूचाल बवंडर के ख़्वाबों से भरी हुई तरुणाई का।
है जयप्रकाश वह नाम जिसे इतिहास समादर देता है।
बढ़कर जिसके पद चिन्हों को उर पर अंकित कर लेता है।
राष्ट्र कवि रामधारी सिंह दिनकर के शब्दों में –
जिनकी चढ़ती हुई जवानी ,
खो रही अपनी क़ुर्बानी
जलन एक जिनकी अभिलाषा
मरण एक जिनका त्योहार
नमन उन्हें मेरा कोटि बार।।
2अक्टूबर1979 में लोकनायक से मेरी अंतिम बार भेंट हुई थी…..
कुछ दिनों तक जसलोक अस्पताल,मुंबई में रहने के बाद जयप्रकाश जी का मन वहाँ से ऊबने लगा था और वह पटना चले आए थे।डायलिसिस पर रहकर भी वे सक्रिय थे।
सक्रियता भरा उनका जीवन रहा। मैं अंतिम बार उनसे 2 अक्टूबर 79 को मिला वह मुझे देख कर भावुक हो गये।
आजीवन अजेय रहे युग प्रवर्तक , सम्पूर्ण क्रांति के प्रणेता लोकनायक जय प्रकाश नारायण जी इसी सक्रियता से उठकर 8अक्टूबर 1979 को सुबह लगभग 6बजे इस दुनिया से कूच कर गये।*
लोकनायक जी का मुझे जिस तरह लाड़,प्यार, स्नेह मिला उसे मैं आजीवन भूल नहीं पाऊँगा। आज भी उनके असीम स्नेह और प्यार से मेरा हृदय भरा हुआ है।
ऑल इंडिया पंचायत परिषद (अखिल भारतीय पंचायत परिषद )के अंतरिम अध्यक्ष श्री अशोक सिंह जादोन जी कार्य समिति , महासमिति सदस्यों , सम्बद्ध राज्य पंचायत परिषद के अध्यक्ष गण ,पदाधिकारियों, कार्यरत कर्मचारियों , त्रिस्तरीय पंचायती राज संस्थाओं के निर्वाचित प्रतिनिधियों एवं बलवंत राय मेहता पंचायती राज फ़ाउंडेशन के चेयरमैन श्री सत्यप्रकाश ठाकुर जी,न्यासी मंडल के सदस्यगण की तरफ़ से ऑल इंडिया पंचायत परिषद एवं बलवंत राय मेहता पंचायती राज फ़ाउंडेशन के संस्थापक एवं अध्यक्ष/ चेयरमैन भारत रत्न लोक नायक जयप्रकाश नारायण जी के श्री चरणों में उनकी 46वीं पुण्य तिथि पर अपनी भावभीनी श्रद्धांजली अर्पित करता हूँ।