मांझी के ‘आधा दो’ संदेश से बढ़ी सियासी हलचल, NDA में सीट बंटवारे पर बढ़ा तनाव

हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (HAM) प्रमुख जीतन राम मांझी ने दिनकर की कविता का सहारा लेकर सीट बंटवारे में सम्मानजनक हिस्सेदारी की मांग की, जिससे एनडीए खेमे में हलचल तेज हो गई है।

कृपया इस पोस्ट को साझा करें!
  • जीतन राम मांझी ने NDA से 20 से अधिक सीटों की मांग रखी है।
  • उन्होंने कवि रामधारी सिंह दिनकर की पंक्तियों के जरिए अपनी बात रखी।
  • मांझी बोले—“हम मुख्यमंत्री या उपमुख्यमंत्री नहीं चाहते, बस पार्टी की पहचान बनी रहे।”
  • भाजपा-जदयू के लिए सीट बंटवारे में यह नया राजनीतिक दबाव बन गया है।

समग्र समाचार सेवा
पटना | 8 अक्टूबर: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से पहले एनडीए (NDA) में सीट बंटवारे को लेकर सियासी सरगर्मी तेज हो गई है। हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (HAM) के प्रमुख और केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी ने अपने हालिया बयान और सोशल मीडिया पोस्ट से राजनीतिक हलचल बढ़ा दी है।

सूत्रों के मुताबिक, मांझी करीब 20 से अधिक सीटों की मांग पर अड़े हुए हैं और उन्होंने कवि रामधारी सिंह दिनकर की पंक्तियों का सहारा लेते हुए अपने रुख को स्पष्ट किया है। उनके इस काव्यात्मक संदेश ने एनडीए के भीतर सीट बंटवारे की बातचीत को और पेचीदा बना दिया है।

मांझी ने अपने X (पूर्व ट्विटर) अकाउंट पर दिनकर की पंक्तियाँ साझा कीं—

“हो न्याय अगर तो आधा दो, यदि उसमें भी कोई बाधा हो,
तो दे दो केवल 15 ग्राम, रखो अपनी धरती तमाम,
हम वही खुशी से खाएंगे, परिजन पे असी ना उठाएंगे।”

इन पंक्तियों के जरिए उन्होंने इशारा किया कि वे सम्मानजनक सीट हिस्सेदारी चाहते हैं, भले संख्या कम हो।
राजनीतिक जानकारों के मुताबिक, मांझी का यह कदम दबाव की राजनीति का हिस्सा है, ताकि उन्हें बेहतर समझौते का अवसर मिल सके।

मांझी ने मीडिया से बातचीत में कहा, “हम किसी झगड़े में नहीं हैं, बस इतनी सीटें चाहिए कि पार्टी को विधानसभा में मान्यता प्राप्त दल का दर्जा मिल सके। हम मुख्यमंत्री या उपमुख्यमंत्री नहीं बनना चाहते, बस पार्टी की पहचान बनी रहनी चाहिए।”

उन्होंने साफ कहा कि अगर उनकी पार्टी को सम्मानजनक सीटें नहीं दी जातीं, तो वे “एक भी सीट” से चुनाव नहीं लड़ेंगे, लेकिन गठबंधन तोड़ने का इरादा भी नहीं है।
उनका यह बयान भाजपा और जदयू दोनों के लिए एक नई चुनौती के रूप में देखा जा रहा है, क्योंकि सीट बंटवारे पर अब अंदरूनी चर्चा और तेज होने की संभावना है।

दलित राजनीति के प्रमुख चेहरे के रूप में जीतन राम मांझी सीमांचल और मगध क्षेत्रों में मजबूत पकड़ रखते हैं।
वे पहले जदयू से मुख्यमंत्री रह चुके हैं और 2015 में अपनी पार्टी हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (HAM) बनाई थी। बाद में उन्होंने एनडीए का हिस्सा बनना चुना।
अब जबकि सीटों पर बातचीत अंतिम चरण में है, मांझी की यह “पहचान बचाने” वाली मांग एनडीए के लिए नई राजनीतिक परीक्षा बन गई है।

कृपया इस पोस्ट को साझा करें!
Leave A Reply

Your email address will not be published.