प्रधान मंत्री मोदी के सुशासन के 25 वर्ष: ‘राष्ट्र की सेवा सर्वोच्च सम्मान’

7 अक्टूबर 2001 से शुरू हुआ सेवा का सफर; प्रधानमंत्री ने जताया जनता का आभार, माँ की सीख को किया याद।

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  • 25 वर्षों की सेवा यात्रा: 7 अक्टूबर 2001 को गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ लेने से शुरू होकर, PM मोदी ने शासन के 25वें वर्ष में प्रवेश किया।
  • गरीबों की सेवा और ईमानदारी: उन्होंने अपनी माँ की दो सीखों—हमेशा गरीबों के लिए काम करना और कभी रिश्वत न लेना—को अपने मार्गदर्शक सिद्धांत बताया।
  • विकसित भारत का संकल्प: प्रधानमंत्री ने संविधान के मूल्यों से प्रेरित होकर, विकसित भारत के सामूहिक सपने को साकार करने के लिए और भी कठिन परिश्रम करने का वादा किया।

समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली: 07 अक्टूबर 2025: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज (7 अक्टूबर) शासन के मुखिया के रूप में अपने 25वें वर्ष में प्रवेश करने पर देश की जनता के प्रति गहरा आभार व्यक्त किया। उन्होंने 7 अक्टूबर 2001 को गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में पहली बार शपथ लेने के दिन को याद किया और इस लंबी यात्रा के अनुभवों को साझा किया। उन्होंने सोशल मीडिया ‘X’ पर पोस्ट की एक श्रृंखला में अपनी मां द्वारा दी गई दो महत्वपूर्ण सीखों को याद किया और ‘राष्ट्र की सेवा’ को अपने लिए ‘सर्वोच्च सम्मान’ बताया।

25 साल की सेवा: एक दशक मुख्यमंत्री, तीन बार प्रधानमंत्री

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि यह उनका निरंतर प्रयास रहा है कि वे देशवासियों के जीवन को बेहतर बनाएं और इस महान राष्ट्र की प्रगति में योगदान दें। उन्होंने याद किया कि 2001 में गुजरात के मुख्यमंत्री की जिम्मेदारी उन्हें बेहद चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में मिली थी। उस समय राज्य एक बड़े भूकंप, चक्रवात, लगातार सूखे और राजनीतिक अस्थिरता से जूझ रहा था। उन्होंने कहा कि इन चुनौतियों ने लोगों की सेवा करने और गुजरात के पुनर्निर्माण के संकल्प को और मजबूत किया, जिसके फलस्वरूप गुजरात सुशासन का केंद्र बन गया।

माँ की सीख और सुशासन की नींव

पीएम मोदी ने बताया कि जब उन्होंने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी, तो उनकी माँ ने उनसे दो बातें कही थीं:

तुम हमेशा गरीबों के लिए काम करोगे।

तुम कभी रिश्वत नहीं लोगे।

उन्होंने कहा कि इन सिद्धांतों ने उनके पूरे कार्यकाल को मार्गदर्शित किया है। उन्होंने लोगों को यह भी आश्वासन दिया था कि वे जो कुछ भी करेंगे, वह नेक इरादे से होगा और कतार में खड़े आखिरी व्यक्ति की सेवा करने के विज़न से प्रेरित होगा।

राष्ट्रीय परिवर्तन और उपलब्धियाँ

प्रधानमंत्री ने 2014 के लोकसभा चुनावों का भी उल्लेख किया, जब देश भ्रष्टाचार, नीतिगत जड़ता और भरोसे के संकट से गुजर रहा था। उन्होंने कहा कि भारत की जनता की सूझबूझ ने उनके गठबंधन को प्रचंड बहुमत दिलाया और विश्वास और उद्देश्य के एक नए युग की शुरुआत की।

उन्होंने पिछले 11 वर्षों में देश में हुए ऐतिहासिक परिवर्तनों को रेखांकित किया:

25 करोड़ से अधिक लोग गरीबी से बाहर निकले हैं।

भारत आज वैश्विक अर्थव्यवस्थाओं के बीच एक चमकता हुआ सितारा है।

देश में दुनिया की सबसे बड़ी स्वास्थ्य और सामाजिक सुरक्षा योजनाएं चल रही हैं।

नारी शक्ति, युवा शक्ति और अन्नदाताओं को सशक्त बनाने के लिए निर्णायक प्रयास किए गए हैं।

उन्होंने आत्मनिर्भर भारत के संकल्प को दोहराया, जो ‘गर्व से कहो, यह स्वदेशी है’ के आह्वान में परिलक्षित होता है।

विकसित भारत के लिए प्रतिबद्धता

अपने संदेश के अंत में, प्रधानमंत्री मोदी ने एक बार फिर देश की जनता के निरंतर विश्वास और स्नेह के लिए उनका आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा, “हमारे प्रिय राष्ट्र की सेवा करना सर्वोच्च सम्मान है। यह एक ऐसा कर्तव्य है, जो मुझे कृतज्ञता और उद्देश्य की भावना से भर देता है।” उन्होंने संविधान के मूल्यों को अपनी निरंतर प्रेरणा बताते हुए, विकसित भारत के सामूहिक सपने को साकार करने के लिए और भी कठिन परिश्रम करने की प्रतिबद्धता दोहराई।

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