सीजेआई गवई पर हमले के प्रयास को लेकर AIBA सख्त: वकील पर FIR की मांग
ऑल इंडिया बार एसोसिएशन ने दिल्ली पुलिस कमिश्नर को पत्र लिखा; न्यायिक गरिमा पर हमले की कड़ी निंदा
- कड़ी निंदा: ऑल इंडिया बार एसोसिएशन (AIBA) ने भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) बी.आर. गवई पर हमले के प्रयास की कड़ी निंदा की है।
- FIR की मांग: AIBA ने दिल्ली पुलिस आयुक्त से आरोपी अधिवक्ता राकेश किशोर के खिलाफ तत्काल प्राथमिकी (FIR) दर्ज करने का आग्रह किया है।
- न्यायिक व्यवस्था पर प्रहार: एसोसिएशन ने इस कृत्य को न केवल एक व्यक्ति पर, बल्कि संपूर्ण न्यायिक व्यवस्था और विधि के शासन पर किया गया हमला बताया है।
समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 7 अक्टूबर, 2025: सोमवार को सर्वोच्च न्यायालय के कोर्ट रूम में उस समय हड़कंप मच गया, जब सुनवाई के दौरान एक 71 वर्षीय वकील राकेश किशोर ने मुख्य न्यायाधीश बी.आर. गवई पर कथित तौर पर जूता फेंकने का प्रयास किया। यह घटना CJI गवई द्वारा खजुराहो के एक मंदिर से जुड़ी याचिका पर की गई टिप्पणी के कथित विरोध में हुई, जिस पर सोशल मीडिया और कुछ हलकों में विवाद उत्पन्न हुआ था। हालांकि, सुरक्षाकर्मियों ने वकील को तुरंत काबू कर लिया और कोई नुकसान नहीं हुआ।
इस अभूतपूर्व और निंदनीय घटना के अगले दिन, ऑल इंडिया बार एसोसिएशन (AIBA) ने कड़ा रुख अपनाया है। AIBA के चेयरमैन और वरिष्ठ अधिवक्ता डॉ. आदिश सी. अग्रवाल ने मंगलवार को दिल्ली पुलिस आयुक्त को एक औपचारिक पत्र लिखकर, आरोपी अधिवक्ता राकेश किशोर के खिलाफ तत्काल भारतीय न्याय संहिता (BNS) की संबंधित धाराओं के तहत प्राथमिकी दर्ज करने की मांग की है।
कानूनी कार्रवाई की आवश्यकता पर बल
एआईबीए अध्यक्ष डॉ. अग्रवाल ने अपने पत्र में इस बात पर जोर दिया है कि यह कृत्य किसी भी परिस्थिति में सहनीय नहीं है। उन्होंने कहा, “यह अभूतपूर्व घटना पूरी कानूनी बिरादरी को गहराई से विचलित करने वाली है।” उन्होंने CJI गवई द्वारा अवमानना की कार्यवाही शुरू न कर दिखाए गए धैर्य और संयम की सराहना की, लेकिन साथ ही यह भी स्पष्ट किया कि यह कृत्य भारतीय न्याय संहिता, 2023 के तहत एक गंभीर और संज्ञेय अपराध की श्रेणी में आता है, जिस पर तत्काल पुलिस कार्रवाई आवश्यक है।
AIBA ने पुलिस आयुक्त से अनुरोध किया है कि वे संवैधानिक संस्थाओं की गरिमा बनाए रखने और कानून व न्याय की सर्वोच्चता को फिर से स्थापित करने के लिए इस मामले में निष्पक्ष जांच और त्वरित कार्रवाई सुनिश्चित करें।
बार काउंसिल और अन्य की प्रतिक्रिया
इस घटना पर कानूनी बिरादरी ने तुरंत प्रतिक्रिया दी है। बार काउंसिल ऑफ इंडिया (BCI) ने पहले ही आरोपी वकील राकेश किशोर के प्रैक्टिस लाइसेंस को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है और उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई शुरू कर दी है। इसके अतिरिक्त, सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (SCBA) और सुप्रीम कोर्ट एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड एसोसिएशन (SCAORA) ने भी इस कृत्य की कड़ी निंदा की है।
विभिन्न राजनीतिक दलों और राष्ट्रीय नेताओं ने भी इस हमले के प्रयास की निंदा की है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इस घटना को “घोर निंदनीय” बताया और CJI गवई के दिखाए गए धैर्य की सराहना की।
जूता फेंकने की कोशिश का कारण
वकील राकेश किशोर ने अपनी इस कार्रवाई के पीछे का कारण बताते हुए दावा किया है कि वह मुख्य न्यायाधीश गवई द्वारा खजुराहो स्थित एक मंदिर में भगवान विष्णु की मूर्ति की पुनर्स्थापना की मांग वाली याचिका पर की गई टिप्पणी से नाराज थे। CJI गवई ने कथित तौर पर सुनवाई के दौरान टिप्पणी की थी, “जाओ और अपने भगवान से मूर्ति ठीक करने को कहो।” इस टिप्पणी को लेकर सोशल मीडिया पर काफी विरोध हुआ था, जिसके बाद CJI ने सार्वजनिक रूप से स्पष्टीकरण देते हुए कहा था कि उनकी टिप्पणी को गलत समझा गया है और वह सभी धर्मों का सम्मान करते हैं।
इस दुर्भाग्यपूर्ण घटना ने एक बार फिर अदालत कक्षों में सुरक्षा और न्यायिक संस्थाओं की गरिमा बनाए रखने के महत्व को रेखांकित किया है।