जातिवादियों के दिल पर सांप लोट रहा होगा – पवन सिंह की शाह-नड्डा से मुलाकात ने बढ़ाई सियासी हलचल
बीजेपी नेताओं से मुलाकात पर पवन सिंह का RJD पर निशाना|
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पवन सिंह ने अमित शाह, जेपी नड्डा और उपेंद्र कुशवाहा से की मुलाकात
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सोशल मीडिया पर तस्वीरें शेयर करते हुए RJD पर साधा निशाना
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2024 में काराकाट सीट पर पवन सिंह की वजह से हारे थे उपेंद्र कुशवाहा
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भोजपुरी कनेक्शन से इस बार NDA को ग्रामीण युवाओं का वोट बैंक मिलने की उम्मीद|
समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 1 अक्टूबर 2025:भोजपुरी सिंगर और नेता पवन सिंह इन दिनों केवल अपने गानों के लिए ही नहीं बल्कि अपनी सियासी सक्रियता को लेकर भी चर्चा में हैं। मंगलवार देर शाम उन्होंने गृह मंत्री अमित शाह, बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा और राज्यसभा सांसद उपेंद्र कुशवाहा से मुलाकात की। इस मुलाकात के बाद उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर इन तस्वीरों को साझा किया और बिना नाम लिए RJD पर तंज कसते हुए लिखा –
“जातिवादी राजनीति के पोषकों के दिल पे आज ई फोटो देख के सांप लोट रहा होगा। लेकिन जिनके दिल में विकसित बिहार का सपना बसता है, वो कब तक एक-दूसरे से दूर रह सकते हैं।”
उन्होंने आगे कहा कि शाह और नड्डा ने उन्हें दिल से आशीर्वाद दिया है और वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के सपनों का बिहार बनाने में पूरी ताकत झोंक देंगे।
2024 चुनाव में पवन की ताकत
2024 लोकसभा चुनाव में काराकाट सीट पर पवन सिंह ने निर्दलीय उतरकर बड़ा धमाका किया था। इस सीट पर पूर्व केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा को करारी हार का सामना करना पड़ा। परिणामों में पवन सिंह को 2,74,723 वोट मिले, जबकि कुशवाहा को केवल 1,71,761 वोट मिले और वे तीसरे स्थान पर खिसक गए। इस मुकाबले में राजा राम सिंह 3,80,581 वोटों के साथ विजेता रहे।
राजनीतिक गलियारों में यह मुलाकात भविष्य के चुनावी समीकरण का संकेत मानी जा रही है। पवन सिंह और उपेंद्र कुशवाहा के बीच समझौता न सिर्फ NDA के लिए फायदेमंद हो सकता है, बल्कि विपक्षी दलों के लिए चुनौती भी साबित हो सकता है. पवन सिंह का ग्रामीण और युवा वोट बैंक NDA के साथ जुड़ने से उपेंद्र कुशवाहा की जातिगत मजबूती को और बल मिलेगा।
RJD पर सीधा हमला
पवन सिंह ने अपने पोस्ट में साफ तौर पर जातिवादी राजनीति करने वालों पर हमला बोला। भले ही उन्होंने किसी पार्टी का नाम नहीं लिया, लेकिन उनका इशारा स्पष्ट रूप से RJD की ओर था।
राजनीतिक विशेषज्ञ मानते हैं कि यह बयान NDA की रणनीति का हिस्सा है, जिससे विपक्षी दलों को घेरने और बिहार में जातिगत राजनीति की धार को कमजोर करने की कोशिश की जा रही है।