मोदी सरकार का साथ हाई BP से दो-दो हाथ
दिल्ली, 26 सितंबर 2025, मुफ्त जेनेरिक दवाओं से हाई BP पर लगाम|
भारत दुनिया के सबसे युवा देशों में से एक है। युवा जोश से लबरेज भारत तेजी से विकसित भारत के सपने को अपना बनाने के लिए बढ़ रहा है। विकास की इस यात्रा में भारत के लिए एक बड़ी राहत की खबर भी आई है। डॉक्टरी की दुनिया में हाई बीपी या हाइपर टेंशन की बीमारी को साइलेंट किलर कहा जाता है। लेकिन अब मोदी सरकार की तमाम हेल्थ योजनाओं से इस बीमारी पर लगाम लगनी शुरु हुई है। हाल ही में मोदी सरकार के GST रिफॉर्म्स से दवाएं सस्ती हुई हैं, जबकि सरकारी क्लिनिकों में जेनेरिक दवाएं मुफ्त दी जा रही हैं। इससे ब्लड प्रेशर जैसी साइलेंट किलर बीमारी पर लगाम लगाने में भारत ने पहली बार बड़ी सफलता हासिल की है।
साल 2018-2019 से सरकारी क्लीनिकों में मुफ्त जेनेरिक दवाएं दी जा रही हैं। दवाओं की कीमत पर सीमा लगाई गई। निजी दुकानों से 80% सस्ती दवाएं सरकारी स्टोर्स पर मिलती हैं। पहले सिर्फ 14% मरीजों का बीपी कंट्रोल में रहता था, लेकिन सरकार की लगातार कोशिशों से पंजाब और महाराष्ट्र में बीपी कंट्रोल 70 से 81% तक पहुंच गया है। औसत सिस्टोलिक बीपी 15-16 mmHg कम हुआ।
मोदी सरकार के तमाम स्वास्थ्य मिशनों से लगातार आम लोगों को फायदा हो रहा है। हालांकि हाई बीपी की ये लड़ाई अभी पूरी तरह खत्म नहीं हुई है|
जीतेगा भारत, हाई BP हारेगा भारत में 30 साल से 79 साल के 21 करोड़ से ज्यादा लोग हाई बीपी से जूझ रहे हैं। WHO की 2025 रिपोर्ट कहती है, सिर्फ 39% जानते हैं उन्हें हाई बीपी है और वे दवाएं लेते हैं, जबकि 83% लोग ऐसे हैं जिनका बीपी कंट्रोल में ही नहीं है।
पिछले करीब 8 साल में मोदी सरकार ने हाई बीपी के खिलाफ एक लड़ाई छेड़ी है, जिसमें लोगों को हाईपर टेंशन और हाई बीपी से जुड़ी जानकारी पहुंचाई जा रही है ताकि समय रहते इस पर कंट्रोल किया जा सके। क्योंकि हाई बीपी शरीर में गंभीर बीमारियों की फैक्ट्री मानी जाती है।
हाई BP से सावधान, तुरंत करें समाधान
हाई बीपी दिल और दिमाग पर अतिरिक्त दबाव डालता है
कंट्रोल ना होने पर हार्ट अटैक, स्ट्रोक, किडनी फेल जैसी समस्याएं होती हैं
हाई बीपी से आंखों की दिक्कत और डिमेंशिया जैसी बीमारी का भी खतरा
(WHO के मुताबिक) दुनिया में हर घंटे 1000 से ज्यादा लोगों की हाई बीपी से मौत होती है
195 देशों में से 99 में हाई बीपी कंट्रोल रेट 20% से कम है
गरीब देशों में दवाओं की उपलब्धता सिर्फ 28% है
जबकि अमीर देशों में दवाओं की उपलब्धता 93% है
भारत उत्सव में जीने वाला देश है. तेज लाइफ स्टाइल और खान पान की वजह से हाई बीपी जैसी बीमारियां भारत में महामारी बन सकती हैं। हालांकि केंद्र सरकार के लगातार उपायों और हेल्थ संबंधी नीतियों की वजह से हाई बीपी पर लगाम लगनी शुरु हुई है, लेकिन लड़ाई अभी लंबी है और इसमें सरकार के साथ-साथ आम लोगों को भी जागरुकता को हथियार बनाकर लड़ाई लड़नी होगी। तभी भारत ये जंग जीत पाएगा।