भारत में बाल विवाह की दर में रिकॉर्ड गिरावट, दुनिया के लिए बना नजीर
'जस्ट राइट्स फॉर चिल्ड्रेन' की रिपोर्ट में खुलासा: लड़कियों के बाल विवाह में 69% और लड़कों में 72% की ऐतिहासिक कमी दर्ज।
- ‘टिपिंग प्वाइंट टू जीरो’ रिपोर्ट के अनुसार, भारत में लड़कियों के बाल विवाह की दर में 69% और लड़कों में 72% की अभूतपूर्व गिरावट आई है।
- असम 84% की गिरावट के साथ बाल विवाह की रोकथाम में देश में शीर्ष पर रहा, जिसके लिए मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा को ‘चैंपियंस ऑफ चेंज’ पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
- रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछले तीन वर्षों में केंद्र, राज्य सरकारों और 250 से अधिक नागरिक समाज संगठनों के समन्वित प्रयासों, खासकर कठोर कानूनी उपायों (गिरफ्तारियां व एफआईआर) के कारण यह बदलाव संभव हुआ है।
समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 26 सितंबर: बाल अधिकारों की सुरक्षा और संरक्षण के लिए कार्यरत देश के सबसे बड़े नेटवर्क जस्ट राइट्स फॉर चिल्ड्रेन (JRC) द्वारा जारी एक शोध रिपोर्ट ने भारत में सामाजिक बदलाव की एक ऐतिहासिक तस्वीर पेश की है। ‘टिपिंग प्वाइंट टू जीरो : एविडेंस टूवार्ड्स ए चाइल्ड मैरेज फ्री इंडिया’ नामक इस रिपोर्ट के अनुसार, देश ने बाल विवाह की दर को बेतहाशा कम करने में अभूतपूर्व सफलता हासिल की है। लड़कियों के बाल विवाह की दर में 69 प्रतिशत की बड़ी गिरावट दर्ज की गई है, जबकि लड़कों में यह कमी 72 प्रतिशत रही है। यह गिरावट भारत को 2030 तक बाल विवाह के खात्मे के सतत विकास लक्ष्य (SDG) को हासिल करने की दिशा में एक निर्णायक मोड़ पर खड़ा करती है और दुनिया के लिए एक महत्वपूर्ण सबक बन गई है।
रिपोर्ट यह स्पष्ट करती है कि बाल विवाह की रोकथाम के लिए गिरफ्तारी और एफआईआर जैसे कड़े कानूनी उपाय सबसे प्रभावी साबित हुए हैं। कानूनी सख्ती और जागरूकता के तालमेल ने समुदायों की सोच को बदलने में निर्णायक भूमिका निभाई है।
असम बना देश का रोल मॉडल
इस ऐतिहासिक गिरावट में राज्यों का प्रदर्शन भी उल्लेखनीय रहा है। रिपोर्ट के अनुसार, लड़कियों के बाल विवाह की दर में सर्वाधिक 84 प्रतिशत की गिरावट असम में दर्ज की गई है। असम की इस अभूतपूर्व उपलब्धि को मान्यता देते हुए, जस्ट राइट्स फॉर चिल्ड्रेन ने संयुक्त राष्ट्र महासभा से इतर न्यूयॉर्क में आयोजित एक कार्यक्रम में असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा को ‘चैंपियंस ऑफ चेंज’ पुरस्कार से सम्मानित किया।
असम के बाद, बाल विवाह की रोकथाम में अन्य प्रमुख राज्य रहे हैं:
महाराष्ट्र और बिहार: संयुक्त रूप से 70 प्रतिशत की गिरावट।
राजस्थान: 66 प्रतिशत की गिरावट।
कर्नाटक: 55 प्रतिशत की गिरावट।
ये आंकड़े बताते हैं कि देश के विभिन्न सामाजिक-सांस्कृतिक संदर्भों वाले राज्यों में भी दृढ़ राजनीतिक इच्छाशक्ति और जमीनी स्तर पर प्रयास के माध्यम से इस सामाजिक बुराई पर जीत हासिल की जा सकती है।
जन-जागरूकता और सरकारी अभियान की सफलता
रिपोर्ट के नतीजे देश में हुए ऐतिहासिक बदलावों की ओर इशारा करते हैं। 2019-21 तक देश में जहां हर मिनट तीन बाल विवाह होते थे और रोजाना केवल तीन मामलों की ही शिकायत दर्ज हो पाती थी, वहीं आज स्थिति पूरी तरह बदल गई है। सर्वे में शामिल 99 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने यह स्वीकार किया कि उन्होंने गैरसरकारी संगठनों के जागरूकता अभियानों, स्कूलों और पंचायतों के जरिए भारत सरकार के ‘बाल विवाह मुक्त भारत अभियान’ के बारे में सुना या जाना है।
रिपोर्ट ने इस अभियान को जन-जन तक पहुंचाने में गैरसरकारी संगठनों की भूमिका को रेखांकित किया है:
बिहार: 93% लोगों को NGOs के जरिए जानकारी मिली।
महाराष्ट्र: 89% लोगों को NGOs के जरिए जानकारी मिली।
असम: 88% लोगों को NGOs के जरिए जानकारी मिली।
इसके अलावा, जागरूकता फैलाने में स्कूलों की भूमिका भी महत्वपूर्ण रही है, खासकर राजस्थान (87%) और महाराष्ट्र (77%) में, जहां स्कूलों के माध्यम से लोगों को इस अभियान के बारे में पता चला। जागरूकता के कारण ही, अब 63% लोग बाल विवाह की सूचना उचित अधिकारियों को देने में खुद को “काफी सहज” महसूस करते हैं, जो कुछ साल पहले तक एक अकल्पनीय बदलाव था।
विश्व के लिए भारत एक ब्लूप्रिंट: जेआरसी संस्थापक
बाल अधिकारों के संरक्षण के लिए जस्ट राइट्स फॉर चिल्ड्रेन के संस्थापक भुवन ऋभु ने इस उपलब्धि को ऐतिहासिक बताया। उन्होंने न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र महासभा से इतर आयोजित कार्यक्रम में कहा, “भारत आज बाल विवाह के खात्मे के कगार पर है। यह सिर्फ एक सतत विकास लक्ष्य को हासिल करना नहीं है, बल्कि हमने दुनिया के सामने यह साबित किया है कि इसका खात्मा न सिर्फ संभव है, बल्कि यह होकर रहेगा।”
उन्होंने इस सफलता के सूत्र स्पष्ट किए: सुरक्षा से पहले रोकथाम, अभियोजन से पहले सुरक्षा और रोकथाम के लिए निवारक उपाय के तौर पर अभियोजन (3P)। ऋभु ने जोर दिया कि यह सिर्फ भारत की जीत नहीं है, बल्कि दुनिया के लिए एक ब्लूप्रिंट है। उन्होंने कहा कि सरकार का दृढ़ संकल्प, मजबूत साझेदारियां, समुदायों की भागीदारी और कानून के शासन पर सख्ती से अमल हो तो बाल विवाह मुक्त विश्व हमारी पहुंच में है।
चुनौतियां और आगे की राह
हालांकि बाल विवाह की दर में गिरावट आई है, लेकिन रिपोर्ट ने लड़कियों की शिक्षा और बाल विवाह के पीछे की मूल चुनौतियों को भी उजागर किया है। सर्वे में शामिल लोगों ने लड़कियों की शिक्षा में सबसे बड़ी रुकावट के रूप में गरीबी (88%), बुनियादी ढांचे की कमी (47%), सुरक्षा (42%) और परिवहन साधनों की कमी (24%) को बताया।
इसी तरह, बाल विवाह के पीछे मुख्य कारणों में गरीबी (91%) और सुरक्षा (44%) को प्रमुख माना गया। यह दर्शाता है कि कानून के साथ-साथ गरीबी उन्मूलन और बुनियादी ढांचे में सुधार भी आवश्यक है।
रिपोर्ट ने 2030 तक बाल विवाह के पूर्ण खात्मे के लिए निम्नलिखित सिफारिशें की हैं:
बाल विवाह कानूनों पर सख्ती से अमल करना।
सूचना तंत्र को बेहतर बनाना।
विवाह पंजीकरण को अनिवार्य करना।
बाल विवाह मुक्त भारत के पोर्टल पर ग्राम स्तरीय जागरूकता कार्यक्रमों की निगरानी।
बाल विवाह के खिलाफ लोगों को लामबंद करने के उद्देश्य से एक राष्ट्रीय दिवस तय करना।
जस्ट राइट्स फॉर चिल्ड्रेन नेटवर्क ने अप्रैल 2023 से सितंबर 2025 के बीच 3,97,849 बाल विवाहों को सफलतापूर्वक रोका है और हर घंटे 18 बाल विवाह को रोकने का काम कर रहा है। यह आंकड़ा भारत के दृढ़ संकल्प और सामाजिक कार्यकर्ताओं के समर्पण को दर्शाता है। यह विधेयक वास्तव में जनभावनाओं का प्रतिबिंब और सनातन संस्कृति की रक्षा का ऐतिहासिक कदम है।