हैदराबाद सेंट्रल यूनिवर्सिटी में ABVP का ‘क्लीन स्वीप’
ABVP ने HCU छात्रसंघ चुनाव में बड़ी जीत दर्ज की, NSUI का हुआ सफाया।
- अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) ने हैदराबाद सेंट्रल यूनिवर्सिटी (HCU) छात्रसंघ चुनाव में सभी प्रमुख पदों पर जीत हासिल कर ‘क्लीन स्वीप’ किया है।
- यह जीत एबीवीपी के लिए एक बड़ी सफलता है, क्योंकि यह देश के कई केंद्रीय विश्वविद्यालयों में उसकी लगातार जीत की श्रृंखला का हिस्सा है।
- इस हार ने कांग्रेस की छात्र इकाई नेशनल स्टूडेंट्स यूनियन ऑफ इंडिया (NSUI) को बड़ा झटका दिया है, खासकर जब कांग्रेस ‘जेन-जी’ को लुभाने की कोशिश कर रही है।
समग्र समाचार सेवा
हैदराबाद, 21 सितंबर, 2025: देश की छात्र राजनीति में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) का वर्चस्व लगातार बढ़ता जा रहा है। इसी क्रम में, एबीवीपी ने हैदराबाद सेंट्रल यूनिवर्सिटी (HCU) छात्रसंघ चुनाव में एक बड़ी जीत दर्ज की है, जहाँ उसने अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, महासचिव और संयुक्त सचिव सहित सभी प्रमुख पदों पर ‘क्लीन स्वीप’ किया। यह जीत एबीवीपी के लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है, क्योंकि यह देश के प्रमुख केंद्रीय विश्वविद्यालयों में उसकी लगातार जीत की श्रृंखला में एक और कड़ी है। पिछले एक साल में, एबीवीपी ने पटना विश्वविद्यालय, पंजाब विश्वविद्यालय, जेएनयू, दिल्ली विश्वविद्यालय, गुवाहाटी विश्वविद्यालय और मणिपुर विश्वविद्यालय जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों में भी शानदार जीत हासिल की है।
यह जीत कांग्रेस की छात्र इकाई नेशनल स्टूडेंट्स यूनियन ऑफ इंडिया (NSUI) के लिए एक बड़ा झटका है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी लगातार ‘जेन-जी क्रांति’ की बात करते रहे हैं और युवाओं को अपनी ओर खींचने की कोशिश कर रहे हैं। हालांकि, इन चुनावी नतीजों से साफ है कि उनका संदेश शायद युवाओं तक उस तरह से नहीं पहुंच पा रहा है जैसा कि वह उम्मीद कर रहे हैं। सोशल मीडिया पर भी कई भाजपा समर्थकों ने इस जीत को लेकर राहुल गांधी पर तंज कसा है।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि छात्र संघ चुनावों के परिणाम अक्सर देश के राजनीतिक मूड का एक संकेत देते हैं। केंद्रीय विश्वविद्यालयों में एबीवीपी की लगातार जीत यह दर्शाती है कि युवा मतदाता राष्ट्रवाद, विकास और संगठित राजनीति की ओर अधिक आकर्षित हो रहे हैं। यह सिर्फ एबीवीपी की जीत नहीं है, बल्कि उस विचारधारा की जीत है जिसका प्रतिनिधित्व वह करती है।
दूसरी ओर, एनएसयूआई के लिए यह एक आत्म-मंथन का समय है। इन चुनावों में उनकी हार के पीछे कई कारण हो सकते हैं, जिनमें कमजोर छात्र-संपर्क, प्रभावी नेतृत्व की कमी और युवाओं की आकांक्षाओं को सही ढंग से समझने में विफल रहना शामिल है। जहाँ एक तरफ राहुल गांधी अपने फिटनेस को दिखाते हुए युवाओं को प्रभावित करने की कोशिश कर रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ एबीवीपी का संगठनात्मक ढांचा और जमीनी स्तर पर काम करने की रणनीति ज्यादा कारगर साबित हो रही है।
हैदराबाद सेंट्रल यूनिवर्सिटी की यह जीत एबीवीपी के लिए आगामी चुनावों में एक बड़ा मनोबल बढ़ाने वाला कदम साबित होगी। यह दिखाता है कि छात्र समुदाय अब केवल विरोध प्रदर्शनों से नहीं, बल्कि ठोस दृष्टि, स्पष्टता और मजबूत नेतृत्व से प्रभावित हो रहा है।
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