पटना हाईकोर्ट ने पीएम मोदी की मां का AI वीडियो हटाने का दिया आदेश

पीएम मोदी की दिवंगत मां का AI वीडियो अपलोड करने पर कांग्रेस को झटका, कोर्ट ने कहा- यह मृत व्यक्ति की गरिमा का उल्लंघन।

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  • पटना हाईकोर्ट ने पीएम मोदी की दिवंगत मां का AI-जनरेटेड वीडियो हटाने का आदेश दिया है।
  • यह वीडियो बिहार कांग्रेस द्वारा सोशल मीडिया पर अपलोड किया गया था, जिसमें हीराबेन को राजनीतिक अपील करते दिखाया गया था।
  • कोर्ट के इस फैसले ने AI के दुरुपयोग और डीपफेक वीडियो को लेकर एक महत्वपूर्ण कानूनी मिसाल कायम की है।

समग्र समाचार सेवा
पटना, 18 सितंबर, 2025: आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और डीपफेक तकनीक के बढ़ते दुरुपयोग को लेकर एक अहम कानूनी फैसला आया है। पटना हाईकोर्ट ने एक राजनीतिक वीडियो को लेकर बड़ा आदेश दिया है, जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की दिवंगत मां हीराबेन की छवि का इस्तेमाल किया गया था। इस AI-जनरेटेड वीडियो को बिहार प्रदेश कांग्रेस कमेटी द्वारा सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर अपलोड किया गया था, जिसके बाद बीजेपी ने इस पर कड़ा विरोध जताया और कानूनी कार्रवाई की मांग की।

यह वीडियो पिछले साल पीएम मोदी की मां के निधन के बाद बनाया गया था, जिसमें हीराबेन को यह कहते हुए दिखाया गया था कि लोगों को बीजेपी को वोट नहीं देना चाहिए। बीजेपी ने इसे “झूठा, भ्रामक और अपमानजनक” बताते हुए अदालत का रुख किया। पार्टी ने दलील दी कि यह न केवल राजनीतिक द्वेष से भरा कदम है, बल्कि यह एक मृत व्यक्ति की गरिमा का भी उल्लंघन है।

कांग्रेस को मिला झटका, सभी प्लेटफॉर्म से हटेगा वीडियो

अदालत ने इस मामले की गंभीरता को समझते हुए कांग्रेस को तुरंत वीडियो हटाने का आदेश दिया। कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि इस तरह के वीडियो न केवल गलत सूचना फैलाते हैं, बल्कि ये डीपफेक तकनीक के खतरनाक दुरुपयोग का भी उदाहरण हैं। जस्टिस राजीव रंजन प्रसाद की एकल पीठ ने कांग्रेस को फेसबुक, इंस्टाग्राम और एक्स (पूर्व में ट्विटर) सहित सभी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म से इस वीडियो को तत्काल हटाने का निर्देश दिया।

कोर्ट के इस आदेश के बाद राजनीतिक गलियारों में हलचल मच गई है। बीजेपी ने इस फैसले का स्वागत किया है और इसे नैतिकता और कानून की जीत बताया है। वहीं, कांग्रेस ने अभी तक इस पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी है। हालांकि, यह स्पष्ट है कि इस तरह के वीडियो का राजनीतिक इस्तेमाल अब और भी कठिन होगा। यह फैसला भविष्य में एआई-आधारित आपत्तिजनक कंटेंट पर रोक लगाने के लिए एक महत्वपूर्ण कानूनी मिसाल के रूप में काम करेगा।

एआई और डीपफेक पर राष्ट्रीय बहस

यह घटना ऐसे समय में हुई है जब भारत में एआई और डीपफेक तकनीक के बढ़ते खतरे को लेकर राष्ट्रीय स्तर पर बहस चल रही है। सरकार भी इस तरह के कंटेंट पर लगाम लगाने के लिए कानून लाने पर विचार कर रही है। पीएम मोदी ने भी सार्वजनिक मंचों से इस तकनीक के दुरुपयोग को लेकर चिंता व्यक्त की है।

इस मामले में पटना हाईकोर्ट का आदेश यह दर्शाता है कि अदालतें भी इस मुद्दे को कितनी गंभीरता से ले रही हैं। यह फैसला राजनीतिक दलों के लिए एक चेतावनी है कि उन्हें अपनी प्रतिद्वंद्विता में नैतिक और कानूनी सीमाओं का उल्लंघन नहीं करना चाहिए। यह विशेष रूप से तब और भी महत्वपूर्ण हो जाता है जब इसमें किसी मृत व्यक्ति की छवि का इस्तेमाल किया गया हो, क्योंकि कानून के तहत भी उनकी गरिमा का सम्मान करना अनिवार्य है।

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