अमेरिका में भारतीयों की सुरक्षा पर सवाल – डलास में चंद्र नागमल्लैया की हत्या

कृपया इस पोस्ट को साझा करें!

पूनम शर्मा
अमेरिका में रहने वाले भारतीय समुदाय को एक बार फिर गहरे सदमे का सामना करना पड़ा है। डलास (टेक्सास) में भारतीय मूल के चंद्र नागमल्लैया की उनके कार्यस्थल पर बेरहमी से हत्या ने न केवल प्रवासी भारतीयों को झकझोर दिया है बल्कि अमेरिका में उनकी सुरक्षा को लेकर गहरी चिंता भी पैदा कर दी है। ह्यूस्टन स्थित भारतीय वाणिज्य दूतावास ने इस घटना पर गहरा शोक जताते हुए कहा है कि वह पीड़ित परिवार के संपर्क में है और हर संभव सहायता प्रदान की जा रही है। आरोपी को डलास पुलिस ने हिरासत में ले लिया है और मामले की जांच जारी है।

लेकिन यह पहली बार नहीं है जब अमेरिका में रहने वाले भारतीय किसी हिंसक वारदात के शिकार हुए हों। पिछले एक दशक में कई घटनाएँ सामने आई हैं जिन्होंने भारतीय समुदाय के भीतर असुरक्षा की भावना को गहरा किया है।

डलास की घटना और प्रवासी भारतीयों में बेचैनी

चंद्र नागमल्लैया की हत्या ने कामकाजी भारतीयों के मन में यह डर और भी गहरा कर दिया है कि अमेरिका जैसे विकसित देश में भी प्रवासी भारतीय हमेशा सुरक्षित नहीं हैं। अमेरिका के आईटी सेक्टर, स्वास्थ्य सेवाओं और खुदरा व्यवसाय में लाखों भारतीय काम कर रहे हैं। अक्सर इन्हें ‘मॉडल माइनॉरिटी’ कहा जाता है, लेकिन हाल के वर्षों में इन पर हिंसक हमले बढ़े हैं।

प्रवासी संगठनों का कहना है कि भारतीय मूल के लोग आमतौर पर मेहनती, कानून का पालन करने वाले और स्थानीय समाज में घुलमिल कर रहने वाले होते हैं, फिर भी नस्लीय भेदभाव और घृणा अपराध (हेट क्राइम) के शिकार बनते हैं।

अतीत की घटनाएँ – असुरक्षा की लंबी सूची

कंसास शूटिंग (2017) – फरवरी 2017 में कंसास के ओलाथे शहर में भारतीय इंजीनियर श्रीनिवास कुचिभोटला की एक अमेरिकी नागरिक ने गोली मारकर हत्या कर दी थी। हमलावर ने उन्हें ‘मिडिल ईस्टर्न’ समझकर नस्लीय टिप्पणी की और गोली चला दी।

ट्रेंटन (न्यू जर्सी) हमला (2018) – भारतीय मूल के स्टोर मालिक को लूट के दौरान गोली मारी गई।

कैलिफोर्निया सिख मंदिर पर हमला (2022) – सिख समुदाय के कई लोगों पर गोलीबारी की घटना हुई, जिससे धार्मिक और नस्लीय घृणा का पहलू उजागर हुआ।

न्यूयॉर्क में टैक्सी ड्राइवर पर हमला (2022) – भारतीय मूल के टैक्सी ड्राइवर को नस्लीय गालियाँ दी गईं और पीटा गया।

ह्यूस्टन में महिला पर हमला (2022) – भारतीय मूल की महिला को सड़क पर चलते समय श्वेत महिला ने घृणा अपराध का शिकार बनाया।

ये कुछ प्रमुख उदाहरण हैं, लेकिन स्थानीय समाचारों में ऐसे छोटे-बड़े हमले लगातार आते रहते हैं।

कारण – घृणा अपराध, नस्लीय तनाव और आर्थिक असुरक्षा

अमेरिका में भारतीयों पर होने वाले हमलों के पीछे कई कारण हैं:

नस्लीय पूर्वाग्रह – अभी भी कई इलाकों में प्रवासियों और एशियाई मूल के लोगों के प्रति संकीर्ण सोच पाई जाती है।

आर्थिक प्रतिस्पर्धा की भावना – भारतीय आईटी और मेडिकल पेशेवरों की बड़ी संख्या को कुछ अमेरिकी नागरिक नौकरी के लिए खतरा मानते हैं।

राजनीतिक ध्रुवीकरण और हिंसा की संस्कृति – अमेरिकी समाज में हथियारों की आसान उपलब्धता भी हिंसक घटनाओं को बढ़ाती है।

भारतीय सरकार और दूतावास की भूमिका

भारतीय वाणिज्य दूतावास और दूतावास लगातार ऐसी घटनाओं में पीड़ित परिवारों की मदद करते हैं, कानूनी सहायता और शव को भारत भेजने तक की प्रक्रिया में सहयोग करते हैं। इसके बावजूद भारत सरकार पर दबाव बढ़ रहा है कि वह अमेरिका से उच्च स्तर पर बातचीत कर वहां रहने वाले भारतीयों की सुरक्षा सुनिश्चित करे।

भारत ने समय-समय पर अमेरिका सरकार से प्रवासी भारतीयों की सुरक्षा को लेकर सख्त कदम उठाने की मांग की है। अमेरिकी पुलिस और एफबीआई कई मामलों में सक्रिय रहती हैं, लेकिन घृणा अपराधों की जड़ें गहरी होने के कारण घटनाएँ पूरी तरह नहीं रुक पातीं।

प्रवासी भारतीय समुदाय की चिंता

अमेरिका में लगभग 50 लाख भारतीय मूल के लोग रहते हैं। ये न केवल स्थानीय अर्थव्यवस्था में बड़ा योगदान देते हैं, बल्कि अमेरिका और भारत के बीच पुल की तरह भी काम करते हैं। ऐसे में उन पर होने वाले हमले दोनों देशों के रिश्तों पर भी असर डालते हैं।

समुदाय के नेताओं का कहना है कि प्रवासियों को आत्मरक्षा और सामुदायिक एकजुटता पर ध्यान देना चाहिए। कई संगठनों ने सुरक्षा जागरूकता कार्यक्रम भी चलाए हैं।

आगे का रास्ता

सुरक्षा जागरूकता – भारतीय समुदाय को सुरक्षा प्रशिक्षण, अलर्ट ऐप और पुलिस के साथ बेहतर संपर्क विकसित करना चाहिए।

कानूनी कार्रवाई तेज – घृणा अपराध करने वालों पर सख्त कानूनी कार्रवाई होनी चाहिए।

दोनों सरकारों का सहयोग – भारत और अमेरिका को मिलकर प्रवासी भारतीयों की सुरक्षा के लिए रणनीति बनानी होगी।

स्थानीय समाज में बेहतर सहभागिता – भारतीय समुदाय को स्थानीय राजनीतिक और सामाजिक गतिविधियों में और सक्रिय होकर हिस्सा लेना चाहिए।

निष्कर्ष

डलास में चंद्र नागमल्लैया की हत्या सिर्फ एक व्यक्ति या परिवार का दुख नहीं है, बल्कि यह एक पूरे समुदाय के लिए चेतावनी है कि विकसित देशों में भी सुरक्षा की गारंटी नहीं होती। अमेरिका में भारतीयों पर होने वाले हमले हमें याद दिलाते हैं कि आर्थिक सफलता और सामाजिक प्रतिष्ठा के बावजूद नस्लीय पूर्वाग्रह और घृणा अपराध जैसी समस्याएँ अब भी मौजूद हैं।

भारतीय सरकार, प्रवासी संगठन और अमेरिकी प्रशासन — तीनों को मिलकर ऐसे कदम उठाने होंगे जिससे भविष्य में कोई चंद्र नागमल्लैया या श्रीनिवास कुचिभोटला न बने। प्रवासी भारतीयों की सुरक्षा केवल उनकी व्यक्तिगत जिम्मेदारी नहीं, बल्कि भारत और अमेरिका दोनों देशों की साझा प्राथमिकता होनी चाहिए।

कृपया इस पोस्ट को साझा करें!
Leave A Reply

Your email address will not be published.